मथुरा, जागरण टीम। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने करीब 66 महीने की अपनी छानबीन के बाद मंगलवार को जवाहरबाग हत्याकांड में आरोप पत्र गाजियाबाद कोर्ट में दाखिल कर दिया। केंद्र व राज्य की राजनीति में भूचाल लाने वाली घटना में 15 दोषी की मृत्यु हो चुकी है। पहले इस कांड में पुलिस ने 102 लोगों को आरोपित बनाया था।

जवाहर बाग में हुई थी हिंसा

मार्च 2014 में मध्य प्रदेश के सागर जिले से दिल्ली के लिए 1500-1600 आदमियों के साथ चले स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के स्वयंभू अध्यक्ष रामवृक्ष यादव ने जवाहर बाग में दो दिन ठहरने की अनुमति प्रशासन से ली। अनुमति मिलने पर वह अपने लोगों के साथ ही जवाहर बाग में जम गया। उद्यान पर कब्जा कर लिया और अपनी समांतर सत्ता स्थापित कर ली। मथुरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय पाल तोमर ने हाई कोर्ट जनहित याचिका दाखिल कर जवाहर बाग को खाली करने की मांग। हाईकोर्ट के जिला प्रशासन को उद्यान खाली कराने के आदेश दिए।

एसपी सिटी और एसओ की जान ले ली

2 जून 2016 को तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी पुलिस के साथ रामवृक्ष यादव को समझाने गए । रामवृक्ष यादव और उसके आदमियों ने उनके ऊपर हमला कर दिया।एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और तत्कालीन एसओ फरह संतोष कुमार यादव की कब्जाधारियों ने जान ले ली। इस हिंसा में 27 कब्जाधारी मारे गए। एक शव को रामवृक्ष यादव का बताया गया। थाना सदर बाजार में पुलिस ने हत्याकांड के दर्ज कराए मुकदमा 102 लोग आरोपित बनाए और जिला जज की कोर्ट आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इससे पहले कब्जाधारियों के खिलाफ 29 मुकदमें थाना सदर बाजार में दर्ज हुए थे।

सीबीआइ को सौंपी जांच

हाई कोर्ट के आदेश पर 20 मई 2017 को जवाहरबाग हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंपी गई। करीब 66 महीने तक सीबीआइ ने अपनी जांच की। जांच में जवाहर बाग हत्याकांड के आरोपितों की संख्या बढ़ी। इस दौरान 15 लोगों की मृत्यु हो गई। एक दर्जन लोग अभी भी जेल में हैं। आरोपित पक्ष के अधिवक्ता एलके गौतम ने बताया, जो जेल में हैं, उनको भी जमानत मिल गई, लेकिन वह अभी जमानतदार कोर्ट के समक्ष पेश नहीं कर पाए। इसलिए उनकी रिहाई नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि इस मामले की सुनवाई सीबीआइ कोर्ट में 10 जनवरी को है।

सीबीआइ कोर्ट जाएगा रिकार्ड

जवाहरबाग हत्याकांड की सुनवाई एडीजे अभिषेक पांडेय की अदालत में सुनवाई चल रही है। सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद में आरोप पत्र दाखिल होने के कारण यहां से मुकदमें से संबंधित पूरा रिकार्ड भी सीबीआइ कोर्ट में चला जाएगा।

अभी बाकी हैं कई सवाल

जवाहरबाग में मार्च 2014 से लेकर 2 जून 2016 के मध्य जो भी घटना घटी। सीबीआइ ने हत्याकांड की जांच के अलावा अन्य मामलों को लेकर अपनी जांच स्पष्ट नहीं की। जवाहर बाग की जमीन पर अपना डेरा तंबू तानकर रामवृक्ष यादव ने अपने आप को दो वर्ष में इतना मजबूत कर लिया कि वह समानांतर सरकार चलाने लगा। आनुषांगिक संगठन गठित कर लिए।

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बाग में गुरिल्ला युद्ध की ट्रेंनिग कैंप तक चलाए गए। हथियार भी एकत्र कर लिए गए। राशन की कमी नहीं थी। यहां तक कि जवाहर बाग के गेट से बाहर आकर मुख्य सड़क पर भी अपने झंडे गाड़ दिए और लकड़ी का गेट बना दिया। जब भी अधिकारी बातचीत करने गए, उनको बंधक बना लिया गया। उनके साथ अभद्रता की गई। उसके बाद भी रामवृक्ष यादव और उनके आदमियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका।

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बिजली पानी की सप्लाई को बंद किया था

उद्यान विभाग के कार्यालय को बंद करा दिया गया। बिजली बिल का भी भुगतान नहीं किया गया, तो विद्युत निगम ने आपूर्ति बंद कर दी। पानी की सप्लाई कट गई। लेकिन इसके बाद 24 घंटे के अंदर ही कनेक्शन जोड़ दिया गया। बाग के अंदर की गतिविधियों पर कोई अंकुश दो वर्ष तक नहीं लग सका। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, ये अभी सामने नहीं आ सका है। 

Edited By: Abhishek Saxena