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फैजपुर में नहीं फैल सका विकास का उजियारा

ग्राम पंचायत फैजपुर में तमाम गलियां कची पड़ी हुई हैं। वहीं पंचायत घर अधबना है। सफाई के अभाव में नालियां कचरे से भरी हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 06:00 AM (IST)
फैजपुर में नहीं फैल सका विकास का उजियारा

संसू, घिरोर, मैनपुरी: ग्राम पंचायत फैजपुर में विकास का उजियारा मजरों तक नहीं फैल सका। पांच साल गांव की सरकार काबिज रहीं, लेकिन गलियां कच्ची ही रह गईं। सफाई के अभाव में नालियां कीचड़ से भर चुकी हैं, जिससे नालियों में गंदगी उफन रही हैं। निजी शौचालय अधूरे होने से ग्रामीण खेतों में दौड़ते हैं।

क्षेत्र की ग्राम पंचायत फैजपुर और उससे जुड़े मजरों के ऐसे हालात आज भी नजर आते हैं। मुख्य गांव और मजरों में आज भी तमाम राहें कच्ची हैं तो बारिश के दिनों में और बदहाल हो जाती हैं। पंचायत घर का काम भी अधूरा पड़ा है, इसकी वजह धन की कमी बताई जा रही है। वहीं, सफाई के अभाव में गांव कचरा बनता जा रहा है। महीनों से नालियां में गंदगी से भरी होने से बजबजा रही हैं।

ग्राम पंचायत क्षेत्र में बनाए गए निजी शौचालय कुछ बने हैं तो कुछ अधूरे पड़े हैं, जिसे ग्रामीण सुबह और शाम खुले में दौड़ भरते नजर आते हैं। गांव का तालाब भी बदहाल है। सफाई नहीं होने और अतिक्रमण होने से इसका वजूद खतरे में हैं। गर्मी शुरू हो चुकी हैं, लेकिन हैंडपंप आजतक ठीक नहीं हो सके हैं। एक नजर-

आबादी, 5248

मतदाता, 3808

आंगनबाड़ी केंद्र, 04

प्राथमिक स्कूल, 07

जूनियर स्कूल, 02 यह भी शामिल

ग्राम पंचायत में फैजपुर के अलावा नगला मही, नगला राय, हुकुम पुरा, नगला कन्हई, नगरिया, रतबा, बिलसड़ा, नगला कस्बा आदि शामिल हैं। आमने-सामने

शासन से पांच साल में जो राशि मिली, उससे सभी गांवों में समान तरीके से विकास करवाया गया। पात्रों को शौचालय दिलवाए गए तो आवास की सुविधा दी गई। बजट के अभाव में पंचायत घर का काम जरूर अधूरा रह गया है।

शेर बहादुर, निवर्तमान प्रधान विकास को आई राशि का दुरुपयोग हुआ है। निजी शौचालय बनवाने में मनमानी की गई है, जिससे आज भी यह अधूरे पड़े हुए हैं। तमाम ग्रामीण आवास और शौचालय सुविधा पाने से वंचित रह गए हैं।

शैलू चौहान, रनर प्रत्याशी ग्रामीणों की बात

सफाई काम बेहद खराब है, कर्मचारी आता नहीं है। नालियां कूड़े से भरी हैं तो नालियों में कीचड़ जमा है। राहों पर कूड़े के ढेर स्वच्छता के दावों को आइना दिखा रहे हैं।

मास्टर श्याम सिंह विकास को तो तलाशना पड़ रहा है। गांव की तमाम गलियां आज भी कच्ची हैं, धूल होने से अब दिक्कत होती है। बारिश में यह और बदहाल हो जाती हैं।

पूर्व सूबेदार सुभाष मिश्रा तालाब को तो पांच साल देखा ही नहीं गया। यह पानी सहेजने का सबसे खास विकल्प बन सकता था। आज अनदेखी से यह कब्जों का शिकार होने लगा है।

रईस सिंह शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं। तमाम तो बदहाल हो गए हैं। हैंडपंपों को संवारा नहीं जा रहा है, जबकि गर्मी का मौसम शुरू भी हो चुका है।

दिनेश सिंह


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