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कुलपति सम्मेलनः स्नातक में शामिल होगा कौशल विकास का छमाही कोर्स

कुलपति सम्मेलन में तय हुआ कि राज्य विश्वविद्यालयों के तीन वर्षीय (स्नातक) पाठ्यक्रमों में छह महीने के कौशल विकास कोर्स शामिल किये जाएंगे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 06 Jul 2017 09:27 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jul 2017 10:56 PM (IST)
कुलपति सम्मेलनः स्नातक में शामिल होगा कौशल विकास का छमाही कोर्स

लखनऊ (जेएनएन)। छात्रों में रोजगारपरक दक्षता पैदा कर उनके लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ाने के मकसद से राज्य विश्वविद्यालयों के तीन वर्षीय (स्नातक) पाठ्यक्रमों में छह महीने के कौशल विकास कोर्स शामिल किये जाएंगे। गुरुवार को योजना भवन में राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता और उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा की मौजूदगी में हुए राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में यह फैसला हुआ। कौशल विकास कोर्स के सेमेस्टर को तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में कब और कैसे जोड़ा जाए, कुलपतियों को खुद निर्णय लेना होगा। शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए सभी विश्वविद्यालय 15 अगस्त से पहले समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराएंगे।

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सहमति बनी

  • अगले शैक्षिक सत्र में सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों को 10 जून 2018 से पहले खोला जाए
  • अगले सत्र से सभी परीक्षाफल 15 जून तक घोषित किये जाएं
  • 220 दिन का शैक्षिक सत्र तय किया जाए, शैक्षिक कैलेंडर का निर्धारण शीघ्र होगा
  • नकलविहीन परीक्षा के लिए नियमावली लागू कर प्रभावी कार्यवाही की जाए। यथासंभव स्व परीक्षा केंद्र न बनाये जाएं
  • महाविद्यालयों में नैक मूल्यांकन 30 जून 2019 तक प्रारंभ होगा।
  • औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के तालमेल और छात्रों को इंटर्नशिप कराया जाए 
  • वर्चुअल क्लासरूम, स्मार्ट क्लासेज और ई-लर्निंग की व्यवस्था विश्वविद्यालय अपने स्तर से करें
  • सभी शोध पत्रों को शोध गंगा के पोर्टल पर अपलोड किया जाए
  • आधार सहित शिक्षकों का केंद्रीय डाटाबेस तैयार किया जाए
  • ई-यूनिवर्सिटी के नाम से पोर्टल तैयार कर उस पर राज्य विश्वविद्यालयों की बेस्ट प्रैक्टिसेज को शामिल किया जाए। इसके लिए प्राविधिक विश्वविद्यालय को नोडल एजेंसी होगा
  • कुलपति की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय में समन्वय समिति गठित की जाएगी जिसमें शिक्षक संघ, छात्रसंघ व कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि भी होंगे

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कुलपति सम्मेलन में हुए फैसलों की जानकारी डॉ.दिनेश शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया के लिए विशेषज्ञ समय से उपलब्ध करा दिये जाएंगे। सम्मेलन में विश्वविद्यालयों में नामांकन, शिक्षण व परीक्षा प्रणाली को कंप्यूटरीकृत व ऑनलाइन कराने पर सहमति बनी। आगामी शैक्षिक वर्ष से सभी अंकतालिकाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराने व कॉलेजों को संबद्धता ऑनलाइन जारी करने की प्रक्रिया निर्धारित करने का निर्णय हुआ। परीक्षा सुधार की दृष्टि से विश्वविद्यालय परीक्षा के प्रश्नपत्रों में विस्तृत के साथ वस्तुनिष्ठ (आब्जेक्टिव) प्रश्न पूछे जाने पर भी विमर्श हुआ, जिस पर कुलपतियों ने सहमति जतायी।

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यह भी तय हुआ कि निर्धारित फीस जमा करने पर विश्वविद्यालय की ओर से छात्र को उसकी उत्तरपुस्तिका स्कैन कर उसे मेल की जाएगी। शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कुलपति अपने स्तर से प्रोत्साहन राशि तय कर सकेंगे। छात्रों के लिए क्षेत्रीय और विदेशी भाषा की पढ़ाई की व्यवस्था शुरू की जाएगी। समान पाठ्यक्रम पर चर्चा के बाद विश्वविद्यालयों में न्यूनतम साझा पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय हुआ। कितना प्रतिशत पाठ्यक्रम साझा हो, इसका प्रतिशत कुलपतियों से विचार विमर्श के बाद तय किया जाएगा। यह भी तय हुआ कि कलास में लेक्चर देने से पहले शिक्षक अपने व्याख्यान को दो दिन पहले वेबसाइट पर अपलोड कर देंगे जिससे कि छात्र बेहतर तैयारी के साथ कक्षा में आयें। इस योजना को पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर हर विश्वविद्यालय के दो विभागों में लागू किया जाएगा। 

ज्यादातर कुलपति नेट की तर्ज पर शोध छात्रों के चयन के लिए स्टेट लेवल एलिजिबिलिटी टेस्ट (स्लेट) आयोजित कराने के पक्षधर थे तो कुछ मौजूदा प्रणाली के हिमायती। तय हुआ कि इस बारे में शासन निर्णय लेगा। सम्मेलन में डेयरी डेवलपमेंट में बीटेक कोर्स शुरू करने और च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने पर भी मंथन हुआ। 

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मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों में जीएसटी

पहली जुलाई से नई कर प्रणाली के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के मद्देनजर कुलपति सम्मेलन में सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कॉमर्स/मैनेजमेंट कोर्स में जीएसटी को विषय के रूप में शामिल करने का फैसला हुआ है। यह भी तय हुआ है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय शताब्दी वर्ष के दौरान विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाली गोष्ठियों में से एक जीएसटी पर केंद्रित होगी जिसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, टैक्स कंसल्टेंट और कारोबारियों को बुलाया जाएगा। 

कंप्यूटर लैब और ई-लाइब्रेरी जरूरी 

सम्मेलन में यह भी तय हुआ कि कॉलेजों को संबद्धता देने के लिए उसकी प्रत्येक फैकल्टी में कंप्यूटर लैब के साथ उसमें ई-लाइब्रेरी की सुविधा को अनिवार्य शर्तों में शामिल किया जाए। कॉलेज के हर कमरे में सीसीटीवी कैमरे भी लगे होने चाहिए। कॉलेजों को अपने उत्कृष्ट शोधपत्रों को ऑनलाइन प्रदर्शित करना होगा। 

कौशल विकास विश्वविद्यालय बनेगा

युवाओं को रोजगार के लिहाज से दक्ष बनाने के लिए प्रदेश में कौशल विकास विश्वविद्यालय की स्थापना पर भी सम्मेलन में विचार विमर्श हुआ। इस विश्वविद्यालय में कौशल विकास के पाठ्यक्रमों को लागू करने पर विचार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्णय हुआ। समिति में मथुरा स्थित पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केएमएल पाठक, प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक और व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास विभाग के सचिव भुवनेश कुमार शामिल होंगे। 

छात्रसंघ चुनाव पर नहीं बनी सहमति

सभी विश्वविद्यालयों में एक निश्चित अवधि के अंदर छात्रसंघ चुनाव कराने के बारे में सम्मेलन में सहमति नहीं बन पायी। उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि कुलपतियों की इस मुद्दे पर अलग-अलग राय थी। कुछ कुलपतियों ने इसे लेकर समस्याएं भी बतायीं। उनका कहना था कि अभी उनके विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा ही नहीं हो पायी है, ऐसे में छात्रसंघ चुनाव एक साथ करा पाना संभव नहीं।

सेवाकाल बढ़ाने का फैसला शासन पर 

राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का कार्यकाल तीन से बढ़ाकर पांच साल करने और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के मुद्दों पर सभी कुलपति सहमत थे। इस बारे में अंतिम निर्णय शासन को करना है। शिक्षकों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की सुविधा लागू करने और उनके असाधारण अवकाश की अवधि को पांच साल से अधिक बढ़ाये जाने के मुद्दों पर भी शासन विचार करेगा। सम्मेलन में विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के पद रिक्त होने का मुद्दा भी उठा। तय हुआ कि विश्वविद्यालयों में समूह ग के रिक्त पदों पर भर्ती का अधिकार उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्थान पर संबंधित कुलपति को देने के बारे में शासन विचार करेगा। 

चिकित्सा प्रतिपूर्ति पर विचार

राज्य कर्मचारियों की तरह विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा देने के मुद्दे पर भी सम्मेलन में चर्चा हुई। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बात पर सैद्धांतिक सहमति बनी है कि विश्वविद्यालय चाहें तो अपने संसाधनों से कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति कर सकते हैं। इस मुद्दे पर शासन स्तर पर विचार के बाद निर्णय लिया जाएगा। 


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