यूपी: देश का पहला राज्य बन जाएगा उत्तर प्रदेश, गंगा एक्सप्रेसवे पर इस्तेमाल में लाई जाएगी विश्व स्तरीय तकनीक
Ganga Expressway Update - प्रदेश सरकार ने मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे को अत्याधुनिक बनाने के लिए दो विदेशी संस्थानों से एमओयू किया है। इस एक्सप्रेसवे में यातायात को सुगम बनाने के लिए एयरो सेंसर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा साथ ही एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सेंसर मॉड्यूल लागू होगा। इस विश्व स्तरीय तकनीक का इस्तेमाल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार ने मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे को अत्याधुनिक बनाने के लिए दो विदेशी संस्थानों से एमओयू किया है। इस एक्सप्रेसवे में यातायात को सुगम बनाने के लिए एयरो सेंसर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, साथ ही एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सेंसर मॉड्यूल लागू होगा।
इस विश्व स्तरीय तकनीक का इस्तेमाल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा। गंगा एक्सप्रेसवे में इसका प्रयोग सफल होने के बाद इसे प्रदेश के अन्य एक्सप्रेसवे में भी लगाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय व आरटीडीटी लेबोरेटरीज एजी के साथ दो अलग-अलग एमओयू किए हैं।
औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इससे गंगा एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता और बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इस तकनीक को अन्य एक्सप्रेसवे में भी लागू किया जाएगा। इससे लाखों यात्रियों को फायदा होगा।
लाखों यात्रियों को होगा फायदा
इस तकनीक को समझने के लिए पिछले वर्ष मनोज कुमार सिंह स्विट्जरलैंड गए थे। उन्होंने बाद में मुख्यमंत्री के समक्ष इस तकनीक का प्रस्तुतीकरण भी किया था। इसके बाद में यूपीडा के अधिकारी जर्मनी व स्विट्जरलैंड गए, जहां के राष्ट्रीय राजमार्गों के संचालन व ट्रैफिक व्यवस्था का अध्ययन किया था।
उन्होंने बताया कि विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक ईटीएच ज्यूरिख एक्सप्रेसवेज की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने में यूपीडा का सहयोग करेगा। इसके निर्माण के बाद इससे गुजरने वाले जिलों का परिदृश्य बदल जाएगा। वर्ष 2027-2028 तक उत्तर प्रदेश के वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने में यह एक्सप्रेसवे बड़ा योगदान देगा।