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हाईस्पीड ट्रेनों के ट्रायल के लिए बनेगा अलग ट्रैक, आठ के आकार में दौड़ेंगी ट्रेनें

25 किलोमीटर के इस कॉरिडोर पर खर्च होंगे 353 करोड़, जयपुर मंडल को सौंपा गया काम।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 27 Jan 2019 11:05 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 08:43 PM (IST)
हाईस्पीड ट्रेनों के ट्रायल के लिए बनेगा अलग ट्रैक, आठ के आकार में दौड़ेंगी ट्रेनें

लखनऊ, [निशांत यादव]। ट्रेन 18 हो या फिर तेज और गतिमान एक्सप्रेस जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेन। अब ऐसी ट्रेनों का ट्रायल एक डेडीकेटेड टेस्टिंग टैक पर किया जाएगा। यह 25 किलोमीटर का ट्रैक होगा, जोकि अंग्रेजी के 8 के आकार में बनेगा। रेलवे बोर्ड ने इसके लिए 353 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। टेस्टिंग ट्रैक बनाने का काम जयपुर रेल मंडल को सौंपा गया है, जबकि उसके लिए तकनीकी सहयोग लखनऊ का अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) मुहैया कराएगा।

आरडीएसओ को रोलिंग स्टॉक (टेनों की बोगियों) के ट्रायल के लिए अभी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिस रूट पर टेन 18 जैसी ट्रेनों का संचालन प्रस्तावित होता है, उन पर भी एक ट्रायल आरडीएसओ करता है, जिससे भौगोलिक स्थिति के साथ तकनीकी पहलुओं की भी जांच की जा सके। कई बार रूट पर नियमित ट्रेनों के अधिक दबाव के कारण आरडीएसओ को ट्रायल के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस कारण ट्रायल पूरा होने और यात्रियों के लिए नई ट्रेन की सौगात में भी देरी हो जाती है।

आरडीएसओ ने भेजा था प्रस्ताव

आरडीएसओ ने रेलवे बोर्ड को अपने लिए एक अलग टेस्टिंग टैक बनाने का प्रस्ताव भेजा था। हालांकि, यह प्रस्ताव कई साल पहले भी रेलवे बोर्ड को सौंपा गया था। तब उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। अब रेलवे बोर्ड ने टेस्टिंग ट्रैक बनाने के लिए बजट दे दिया है। टेंडर प्रक्रिया जल्द ही जयपुर रेल मंडल की ओर से की जाएगी।

बड़ी उपलब्धि होगा यह ट्रैक

आरडीएसओ के बाद रेलवे से जुड़े शोध करने के लिए कई लैब हैं, निदेशालय भी हैं। अब नया जमाना ट्रेन 18 का है। जिसके लिए एक स्वतंत्र निदेशालय भी बन रहा है। सेंट्रल बफर कपलर और एलएचबी बोगियों को लेकर आरडीएसओ कई ट्रायल कर रहा है। इसके लिए आरडीएसओ के बाद टेस्टिंग ट्रैक नहीं है। कभी उसे आगरा मंडल जाना पड़ता है तो कभी कोटा मंडल। ऐसे में जोनल और मंडल स्तर पर ट्रायल की अनुमति में अधिक समय लग जाता है। आरडीएसओ के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक एक अलग टेस्टिंग ट्रैक होने से अब पहले से कहीं अधिक ट्रायल हो सकेंगे। अगले एक साल में ट्रैक तैयार हो जाएगा।

ये होगी खासियत

8 के आकार में बनने वाले इस कॉरिडोर में कम गति के ट्रायल के लिए अलग और हाईस्पीड ट्रायल के लिए अलग लाइन होगी। साथ ही रेलवे पुल, कई कोण वाले मोड़ सहित सभी तरह का आधारभूत ढांचा भी उपलब्ध होगा। एक ही ट्रैक में आरडीएसओ ट्रेनों का अलग-अलग स्थिति में ट्रायल कर सकेगा।

क्या कहते हैं अफसर ?

लखनऊ आरडीएसओ कार्यकारी निदेशक प्रशासन एनके सिन्हा कहते हैं कि आरडीएसओ अब नए रोलिंग स्टॉक का ट्रायल अलग टेस्टिंग ट्रैक पर कर सकेगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने बजट जारी कर दिया है। यह आठ के आकार का बनेगा। इस ट्रैक पर ट्रायल पूरा करने में पहले से कम समय लगेगा।


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