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यूपी विधानपरिषद में सपा-बसपा का दबदबा, भाजपा का मंसूबा विफल

उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में सपा व बसपा का दबदबा रहा जबकि भाजपा का दूसरा उम्मीदवार हार गया। क्रास वोटिंग में समाजवादी पार्टी के सभी आठ, बसपा के तीन, भाजपा और कांग्रेस के एक एक प्रत्याशी विजयी रहें।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 10 Jun 2016 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jun 2016 10:48 PM (IST)
यूपी विधानपरिषद में सपा-बसपा का दबदबा, भाजपा का मंसूबा विफल

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश विधानपरिषद की चुनावी जंग में सपा व बसपा का दबदबा रहा जबकि भाजपा का दूसरा उम्मीदवार जिताने का मंसूबा पूरा नहीं हो सका। जमकर हुई क्रास वोटिंग में समाजवादी पार्टी के सभी आठ, बसपा के तीन, भाजपा व कांग्रेस के एक एक प्रत्याशी विजयी रहें। देर शाम घोषित परिणाम में बसपा के अतर सिंह राव, दिनेश चंद्र एवं सुरेश कश्यप ने प्रथम वरीयता की वोटों में जीत हासिल की। जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बलराम यादव, बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, कमलेश पाठक, रामसुंदर दास निषाद और रणविजय सिंह भी प्रथम वरीयता में जीत गए। भाजपा के भूपेंद्र सिंह को भी प्रथम वरीयता की वोटों के आधार पर जीत मिली लेकिन दूसरे उम्मीदवार दयाशंकर कांग्रेस के दीपक सिंह को मिली प्रथम वरीयता के 26 वोटों के आंकड़ें को लांघ नहीं सके।

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आज विधानभवन के तिलक हाल में प्रात: नौ बजे से विधानपरिषद की 13 सीटों के लिए मतदान शुरू हो गया। वोट डालने के लिए विधायक अलग -अलग गुटों में पहुंचते रहें। उमसभरी गर्मी के बावजूद वोटिंग की रफ्तार तेज सुबह से ही तेज थी। प्रात: साढ़े दस बजे तक सौ से ज्यादा वोट डाल चुके थे। सभी निगाहें बागियों पर लगी थी। करीब दस बजे भाजपा के संगीत सोम अपने साथ सपा विधायक श्रीभगवान शर्मा और उनके भाई मुकेश शर्मा को लेकर पहुंचे तो उनका भाजपा के पक्ष में जाना तय हो गया।

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सपा विधायकों पर निगरानी करने के लिए सांसद धर्मेन्द्र यादव के अलावा महासचिव शिवपाल यादव भी प्रभारी मंत्रियों के साथ विधानभवन में डेरा डाले थे। पाटियों के विधानमंडल दल के कार्यालय वार रूम की तरह कार्य कर रहे थे। वहीं से विधायकों के लिए वोट आवंटन कार्य किया जा रहा था। बसपा विधायक नेता विरोधी दल के कार्यालय में एकत्र होकर वोट डालने जा रहे थे। बसपा कक्ष में अपेक्षाकृत बेचैनी कम दिख रही थी जबकि सपा, भाजपा व कांग्रेस के खेमें में बागियों की गतिविधियां बढऩे से उहापोह जैसे हालात बने थे। पसीने से सराबोर नेता एक एक वोट के लिए जूझते दिखे।

कांग्रेस कार्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा के अलावा प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री, मधुसूदन मिस्त्री, प्रमोद तिवारी, प्रदीप माथुर के अलावा नसीब पठान आदि फोन से संपर्क कर विधायकों को वोट डालने के लिए न्यौत रहे थे। कमोबेश ये हालात सभी दलों के कार्यालयों में बने थे।वहीं भाजपा में गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से विधायक विजयबहादुर को लेकर उहापोह बनी रही वहीं बसपा में बाला प्रसाद अवस्थी की तरह गोरखपुर की चिल्लूपार सीट के राजेश त्रिपाठी भी बागी बने है। कांग्रेस में माधुरी वर्मा व तीन अन्य विधायकों पर क्रास वोटिंग का शक है। रालोद विधायकों ने भले ही सपा व कांग्रेस के बीच में आधी आधी वोट बांटने का दावा किया हो परन्तु एक विधायक के बसपा व एक भाजपा के खेमे में जाने की चर्चा रही। पीस पार्टी के मुखिया डा. अय्यूब भी अकेले ही अपना वोट कांग्रेस को देने का ऐलान किया जबकि दो विधायक सपा के साथ थे।

डेढ़ घंटा पूर्व ही निपट गया मतदान

विधानपरिषद चुनाव के लिए प्रात: नौ बजे से शुरू मतदान अपराह्न करीब 2.35 बजे निर्धारित समय चार बजे से डेढ़ घंटा पहले ही निपट गया। मनोनीत सदस्य समेत कुल 404 विधायकों में से 402 ने अपना वोट डाला। केवल दो विधायक मतदान करने के लिए नहीं पहुंचे। अस्वस्थ होने के कारण कांग्रेस के कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना एवं सपा के वकार अहमद शाह वोट नहीं डाल सकें।==


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