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मुलायम और शिवपाल के अपमान पर दिया इस्तीफाः अशोक वाजपेई

मुलायम सिंह यादव ने तिनका-तिनका जोड़ सपा बनाई और शिवपाल ने संघर्ष से खड़ा किया लेकिन, इनको अपमानित करने से मेरा मन आहत है।-अशोक वाजपेई

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 09 Aug 2017 07:40 PM (IST)Updated: Wed, 09 Aug 2017 10:33 PM (IST)
मुलायम और शिवपाल के अपमान पर दिया इस्तीफाः अशोक वाजपेई
मुलायम और शिवपाल के अपमान पर दिया इस्तीफाः अशोक वाजपेई

लखनऊ (जेएनएन)। इस्तीफा सौंपने के बाद पूर्व मंत्री अशोक बाजपेयी के दिल के गुबार फूट पड़े। बोले कि आहत मन से सपा से इस्तीफा दे रहा हूं। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने तिनका-तिनका जोड़कर समाजवादी पार्टी बनाई और शिवपाल सिंह यादव ने अपने संघर्ष से इसे खड़ा किया लेकिन, इन लोगों को हाशिए पर कर अपमानित किए जाने से मेरा मन आहत है। अगले पड़ाव के सवाल को काटते हुए बाजपेयी ने कहा कि वह अपने साथियों और कार्यकर्ताओं के साथ विमर्श के बाद ही कोई फैसला करेंगे। 

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बड़े-बड़ों को पहचान देने वाले तिरस्कृत 

अशोक बाजपेयी ने कहा कि नेताजी सबको साथ लेकर चले और बड़े-बड़ों को राजनीतिक पहचान दी लेकिन, उन्हें तिरस्कृत किया गया है। ऐसे में समाजवादी पार्टी में रहना मुश्किल है। सपा में आज सभी बेगाने हो गए हैं। भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी सोचा नहीं है। लेकिन भाजपा में जाने की पक्की खबर और यह पूछे जाने पर अब तक जिस भाजपा को कोसते रहे, उसका गुणगान कैसे करेंगे? बाजपेयी ने कहा कि सवाल जायज है। मेरा संघर्ष का लंबा इतिहास है लेकिन, कई बार समय और परिस्थिति के हिसाब से भी सियासत करनी पड़ती है। बाजपेयी ने यह भी कहा कि जब 2014 में लखनऊ लोकसभा में उनकी लहर चल रही थी तब अंतिम दौर में टिकट काट दिया। फिर राज्यसभा में भेजा जाना तय हुआ और फिर आखिरी समय में टिकट काट दिया। अपमान का घूंट पीकर भी वहां रहा लेकिन, अब मुश्किल हो गया था। 

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मैं बसपा में खुश हूं, बसपा में ही रहूंगा : अंबिका

विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने कहा कि मैं बसपा में खुश हूं और बसपा में ही रहूंगा।भाजपा में जाने के सवाल को उन्होंने सिरे से खारिज किया। कहा, गुरुवार को बहन जी (मायावती) की बैठक है और उस बैठक में भी रहूंगा। अंबिका ने कहा कि मुझे 2012 में सपा ने नामित किया था और 2017 में बसपा से चुनाव लड़ा इसलिए नैतिक रूप से मुझे पहले ही इस्तीफा देना चाहिए था। मैंने अपनी नेता को बता दिया था कि मुझे पहले इस्तीफा देना चाहिए था। कुछ वजहों से दे नहीं सका। अंबिका का कहना था कि मैं इस्तीफा देता तब भाजपा के पक्ष में भ्रम बनता और यह होता कि हम भाजपा की मजबूती के लिए इस्तीफा दिए लेकिन, मैं ऐसे समय इस्तीफा दे रहा हूं जब सरकार में शामिल पांच लोगों के लिए पहले से ही सीट खाली हो गई है। अंबिका ने दोहराया कि मेरी राजनीतिक निष्ठा को लेकर कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। मेरी नेता का मुझे संरक्षण है। अंबिका ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सदस्यता निरस्त करने के लिए सपा ने कोई अर्जी नहीं लगाई थी। 

सदस्यता निरस्त होने का औचित्य नहीं : नसीमुद्दीन

बसपा से निष्कासित विधान परिषद सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने दावा किया है कि उनकी सदस्यता निरस्त होने का औचित्य नहीं है। वह विधान परिषद मुख्यालय में बुधवार को पहुंचे थे। अपने अधिवक्ता के साथ सिद्दीकी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और पंजीकृत दलों की सूची लेकर पहुंचे थे और बताया कि वह जिस संगठन की नुमाइंदगी कर रहे हैं, वह कोई राजनीतिक दल नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरी सूची में देख लें, कहीं भी मेरे संगठन का जिक्र नहीं है। ऐसे में मेरी सदस्यता निरस्त नहीं हो सकती है। सिद्दीकी ने विधान परिषद की ओर से मिली नोटिस का जवाब भी दिया। 


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