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कर्नाटक के ट्रेंड हाथी करेंगे दुघवा के जंगल में Partolling, काबू होंगे बिगड़ैल बाघ Lakhimpur News

लखीमपुर रेंज के दुधवा नेशनल पार्क में कर्नाटक के ट्रेंड हाथी करेंगे जंगल की पेट्रोलिंग। बाघ के हमलों को रोकेंगे हाथी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 07:56 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 07:34 AM (IST)
कर्नाटक के ट्रेंड हाथी करेंगे दुघवा के जंगल में Partolling, काबू होंगे बिगड़ैल बाघ Lakhimpur News

लखीमपुर, जेएनएन। हरे-भरे जंगलों से घिरे तराई के खीरी जिले में अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं चुनौती बन जाती हैं और इससे निपटने में अधिकारियों के पसीने छूट जाते हैं। कारण, संसाधनों का अभाव और प्रशिक्षित हाथियों की कमी। ऐसे अभियानों से निपटने के लिए दुधवा प्रशासन सिर्फ दो हाथियों पुष्पाकली और पवनकली ही एक मात्र विकल्प थीं लेकिन, अब दुधवा प्रशासन ने बिगड़ैल बाघों से निपटने के लिए कर्नाटक से आए छह हाथियों को पूरी तरह ट्रेंड कर दिया है।

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हाल ही में कराए गए मेडिकल में ये सभी हाथी पूरी तरह स्वस्थ पाए गए हैं। किसी हाथी में संक्रमण या अन्य बीमारी नहीं पाई गई है। मौजूदा समय में इन हाथियों को दुधवा के गैंडा परिक्षेत्र में मॉनीटर‍िंंग के लिए लगाया गया है। सठियाना, अंबरगढ़ सहित घने जंगलों में भी इन हाथियों से पेट्रोईल‍िंग की जा रही है।

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गंगाकली, रूपकली ने सिखाया कैसे निपटें बाघ से

शारीरिक रूप से कमजोर हो रही गंगाकली और रूपकली ने कोरजोन एरिया में कर्नाटक से आए हाथियों को ट्रेंड किया है। इस समय गंगाकली की उम्र 65 वर्ष और रूपकली की उम्र 70 वर्ष हो चुकी है। एक साल पहले पुष्पाकली की मौत के बाद 55 वर्ष की पवनकली अकेली हो गई है। ऐसे में दुधवा प्रशासन उम्रदराज हो चुके हाथियों को अब आराम देने का मन बना रहा है। इनकी जगह पर कर्नाटक के ट्रेंड हाथी मोर्चे पर लगाए जाएंगे।

दुधवा में हाथियों की संख्‍या

दुधवा पार्क में पहले 13 प्रशिक्षित हाथी थे लेकिन, कर्नाटक से 12 हाथियों को दुधवा लाया गया। जिससे संख्या 25 हो गई है। कर्नाटक के हाथियों को भीरा के बेस कैंप में रखकर उन्हें तराई की आबो-हवा में ढाला गया। इस समय 23 हाथी दुधवा और दो हाथी कर्तनिया घाट में रखे गए हैं।

ये हैं बाघ प्रभावित क्षेत्र

वर्ष 2016 में मैलानी के छेदीपुर में बाघ ने एक-एक कर खेत पर काम कर रहे पांच ग्रामीणों को मार डाला था। वर्ष 2017 में महेशपुर रेंज के देवीपुर, अयोध्यापुर, सुंदरपुर आदि गांवों में बाघ ने चार इंसानी जानों को निवाला बना लिया। वर्ष 2009 में भीरा रेंज के महराजनगर इलाके में बाघ ने सात लोगों की जान ले ली। पलिया का परसपुर क्षेत्र भी डेंजरजोन है। वन विभाग की ओर ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए गांवों में मानव-वन्यजीव सहजीवन का जागरूकता अभियान चला रहा है।

जिम्मेदार की सुनिए

दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि हाथी बेहद उपयोगी जीव है। हमारा मुख्य उद्देश्य हाथियों से जंगल की पेट्रेाल‍िंंग करना है। इनमें छह हाथी मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं के मद्देनजर ट्रेंड किए गए हैं। गंगाकली और रूपकली को अब आराम देने का समय आ गया है। नए हाथी अब बिगड़ैल बाघों को काबू करने के लिए मोर्चे पर लगाए जाएंगे। 


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