यूथ कॉनक्लेव: दस करोड़ उपेक्षित बच्चों की आवाज बनेंगे दस करोड़ युवा
देश के दस करोड़ उपेक्षित बच्चों की आवाज दस करोड़ युवा बनेंगे। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने एलान किया कि आंदोलन इसी साल लांच होगा।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। देश के दस करोड़ उपेक्षित बच्चों की आवाज दस करोड़ युवा बनेंगे। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने आज एलान किया कि दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन इसी साल लांच किया जाएगा।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम की पहली पुण्यतिथि पर आयोजित इंटरनेशनल यूथ कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए सत्यार्थी ने बताया कि पूरी दुनिया में 18 करोड़ बाल मजदूर हैं और 21 करोड़ वयस्क बेरोजगार घूम रहे हैं। इन्हें रोजगार देकर स्थितियां बदल सकती हैं। दस करोड़ उपेक्षित बच्चों की आवाज बनने के लिए दुनिया के दस करोड़ युवाओं के साथ विश्व का सबसे बड़ा आंदोलन इसी साल एक लाख युवाओं के साथ भारत में लांच होगा। यदि मुख्यमंत्री कहें तो उत्तर प्रदेश में इसे लांच किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डॉ.लोहिया धर्म को अल्पकालीन राजनीति और राजनीति को दीर्घकालीन धर्म मानते थे। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज हम साम्प्रदायिकता, जातिवाद, लिंगभेद आदि में जकड़े हैं। यदि हम इनसे मुक्त नहीं हुए तो इसी तरह पिछड़े बने रहेंगे। दुनिया भर में सेना पर हो रहे अत्यधिक खर्च को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कहा कि सेनाओं पर 1200 अरब डालर खर्च होता है, वहीं बच्चों के लिए सिर्फ 22 अरब डालर चाहिए। यह प्राथमिकताएं बदलनी चाहिए। इसी तरह धन भी कुछ लोगों में सिमट गया है। 2010 तक दुनिया के एक फीस लोगों के पास 48 फीसद संपत्ति थी, जो पांच साल में बढ़कर 51 फीसद हो गयी है।
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फोर-पी और थ्री-डी
नोबेल विजेता ने युवाओं को फोर-पी व 'थ्री-डी फार्मूला के साथ शांति व विकास की राह दिखाई। पीपुल (जनता), प्लैनेट (धरती), प्रास्परिटी (संपन्नता) व पीस (शांति) के रूप में फोर पी इस समय खतरे में हैं, जिन्हें बचाने के लिए जोरदार नेतृत्व चाहिए। नीतियों के जरिये सपने भरे जाने चाहिए। इसके लिए ड्रीम (बड़े व बेहतर सपने), डिस्कवर (अपने अंदर के चैंपियन की खोज) और डू (प्रक्रियागत पहल या काम करने) के रूप में थ्री-डी फार्मूला सुझाया।
चॉकलेट व फुटबाल से दूर
सत्यार्थी ने बताया कि अफ्रीका के आइबरीकोस्ट के एक गांव में हजारों बच्चों को बंधुआ बनाकर चाकलेट पाउडर बनाने वाली कोको बीन्स के खेतों में काम करवाया जाता है। वे वहां पहुंचे तो चाकलेट पाउडर के लिए कच्चा माल निकालते समय घाव खाने वाले बच्चों को यही नहीं पता था कि चाकलेट क्या होती है। पाकिस्तान के सियालकोट में बच्चे हाथ से फुटबाल सिल रहे थे। उनके हाथ सुई चुभने से खून भी निकल रहा था किन्तु उन्होंने कभी फुटबाल नहीं खेली थी।
चचिया ससुर से तो न पूछेंगी
सत्यार्थी ने दुनिया के सबसे बड़े आंदोलन का एलान करने के साथ ही सांसद डिंपल यादव की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि क्या वे इसका नेतृत्व करने को तैयार हैं। फिर बोले, आप इसका नेतृत्व कर समाज को दिशा दीजिए। ऐसा न हो कि अब आप कहें कि पतिदेव से पूछूंगी, ससुर से पूछूंगी। इसके बाद जैसे ही उन्होंने कहा कि चचिया ससुर से तो न पूछेंगी, पूरे पांडाल में ठहाके लग गए। लखनऊ से जुड़ाव बताते हुए कहा कि उनकी पत्नी सुमेधा यहीं पैदा हुई थीं। वैसे भी वे देश की पहली नोबेल पुरस्कार विजेता पत्नी हैं।