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लखनऊ में इंजीनियरों ने कर दिया बड़ा खेल, अब दबाए बैठे हैं रिपोर्ट; दो के बदले जोन और दो को किया गया निलंबित

Illegal Constructions in Lucknow गोमतीनगर जैसे पाश इलाकों में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण की जांच आख्या आदेशों के बावजूद नहीं दी जा रही है। एलडीए के सात प्रवर्तन जोन में अवैध निर्माण की जांच आख्या के 488 पत्रों पर इंजीनियर कुंडली मारे बैठे हैं। इसमें कई शापिंग कांप्लेक्स रो-हाउस और बड़े व्यावसायिक निर्माण के साथ अपार्टमेंट भी शामिल हैं।

By Nishant Yadav Edited By: Aysha Sheikh Published: Wed, 22 May 2024 08:11 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2024 08:11 AM (IST)
लखनऊ में इंजीनियरों ने कर दिया बड़ा खेल, अब दबाए बैठे हैं रिपोर्ट

निशांत यादव, लखनऊ। गोमतीनगर जैसे पाश इलाकों में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण की जांच आख्या आदेशों के बावजूद नहीं दी जा रही है। एलडीए के सात प्रवर्तन जोन में अवैध निर्माण की जांच आख्या के 488 पत्रों पर इंजीनियर कुंडली मारे बैठे हैं। इसमें कई शापिंग कांप्लेक्स, रो-हाउस और बड़े व्यावसायिक निर्माण के साथ अपार्टमेंट भी शामिल हैं। एलडीए के संयुक्त सचिव सुशील प्रताप सिंह ने सभी जोनल अधिकारियों को इस लापरवाही पर पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि जांच आख्या न मिलने से अवैध निर्माण को सील और ध्वस्त नहीं किया जा रहा है।

अवैध निर्माण की जांच के लिए एलडीए के उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी ने मार्च माह में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में सचिव विवेक श्रीवास्तव, अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा, संयुक्त सचिव सुशील प्रताप सिंह भी शामिल थे। इन अधिकारियों ने संबंधित प्रवर्तन अधिकारियों के साथ अवैध निर्माण पर हुई कार्रवाई की जांच की थी। जांच के बाद समिति ने जोनवार अपनी रिपोर्ट एलडीए उपाध्यक्ष डा. इंद्रमणि त्रिपाठी को सौंप दी थी।

संलिप्त पाए गए सभी जूनियर इंजीनियरों के जोन बदले

प्रारंभिक जांच में संलिप्त पाए गए सभी जूनियर इंजीनियरों के जोन बदल दिए गए थे। दो इंजीनियर सुभाष शर्मा और भानु प्रताप वर्मा के खिलाफ शासन में रिपोर्ट भेजी गई थी। शासन ने दोनों अवर अभियंताओं को निलंबित करते हुए मंडलायुक्त कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। अब भी 10 सहायक और जूनियर इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।

विहित प्राधिकारी सुशील प्रताप सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि अवैध निर्माण की स्थलीय आख्या समय से प्राप्त नहीं होती है। इससे अवैध निर्माण के वादों की सुनवाई लंबित होती है, इस बीच अवैध निर्माण पूरा कराकर लोग अध्यासित हो जाते हैं। जांच आख्या न मिलने के कारण पक्षकारों को लगातार तारीख मिलती रहती हैं। यह पक्षकार एलडीए पर बार-बार दौड़ाने का आरोप लगाते हैं। जांच आख्या के लिए जोन एक में 132, दो में 115, तीन में 27, चार में 58, पांच में 92, छह में 35 और सात में 29 पत्र भेजे गए हैं।

अवैध निर्माणों की जांच आख्या समय पर नहीं मिलने को लेकर सभी जोनल अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। स्थलीय जांच आख्या मिलने पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लायी जा सकेगी। - सुशील प्रताप सिंह, संयुक्त सचिव, एलडीए


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