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मुख्‍तार अंसारी एंबुलेंस प्रकरण : अदालत ने खारिज की मुख्तार के गुर्गे की जमानत अर्जी

बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय में फर्जी दस्तावेज के आधार पर मऊ के श्याम संजीवनी हास्पिटल की एंबुलेंस का पंजीयन कराने के प्रकरण में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने मऊ के अहिरौली सराय लखंसी के राजनाथ यादव को गिरफ्तार किया था।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 06:06 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 08:12 AM (IST)
एंबुलेंस प्रकरण मामले में गिरफ्तार मुख्तार के गुर्गे की जमानत अर्जी को खारिज कर दी है।

बाराबंकी, जेएनएन। बाराबंकी के एंबुलेंस प्रकरण के मुकदमे में गिरफ्तार मुख्तार के गुर्गे की जमानत अर्जी को मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दी है। जिला कारागार में निरुद्ध मऊ के राजनाथ यादव ने गुरुवार को ही सीजेएम कोर्ट पर जमानत अर्जी अपने वकील के माध्यम से डाली थी।

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बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय में फर्जी दस्तावेज के आधार पर मऊ के श्याम संजीवनी हास्पिटल की एंबुलेंस का पंजीयन कराने के प्रकरण में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने मऊ के अहिरौली सराय लखंसी के राजनाथ यादव को गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि मुकदमे में मात्र डा. अलका राय को नामजद किया गया था। विवेचक एमपी सिंह के नेतृत्व में गई टीम की जांच के बाद मुख्तार अंसारी पर साजिशन रचने की धारा 120 बी के तहत शामिल किया गया। साथ में डा. अल्का राय के सहयोगी डा. शेषनाथ राय, मुजाहिद व अन्य पर आपराधिक षडयंत्र में कूटरचित दस्तावेज तैयार कराने की धारा बढ़ाई थी। यही नहीं मऊ गई टीम ने राजनाथ यादव को गिरफ्तार भी कर जेल भेजा था। आठ अप्रैल को ही राजनाथ ने अपनी जमानत के लिए सीजेएम कोर्ट पर अर्जी डाली थी, जिसे सुनवाई कर खारिज कर दी गई।

यह है मामला: पंजाब की रूपनगर जेल में बंद उत्तर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी को मोहाली की कोर्ट में जब पेश किया गया, तो इस दौरान उसे यूपी के बाराबंकी जिले के नंबर की गाड़ी से लाया गया, वह एक निजी एंबुलेंस है। यह वाकया सुर्खियों में आने के बाद यहां के जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह एंबुलेंस सवालों के घेरे में है। बाराबंकी के जिस अस्पताल श्याम संजीवनी के नाम यह एंबुलेंस (यूपी 41 एटी 7171) पंजीकृत है, वह अस्पताल भी मौजूद नहीं है। इसके अलावा बाराबंकी के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय (एआटीओ) में पंजीकृत एंबुलेंस की फाइल गुम है। पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन से लेकर जिम्मेदार अधिकारी तक चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह एंबुलेंस रहस्य बनती जा रही है।

बाराबंकी के जिस अस्पताल के नाम पर एंबुलेंस पंजीकृत है, वह मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में न तो पंजीकृत है और न ही इससे संबंधित कोई दस्तावेज वहां हैं। अस्पताल का जो पता दिया गया है, उस गली में उसका कोई नामोनिशान तक नहीं है। इसके बावजूद दिसंबर 2013 में उस पते पर एंबुलेंस का पंजीकरण होना आश्चर्य की बात है। एआरटीओ कार्यालय में बताया गया कि इसके पंजीकरण की फाइल गुम हो गई है, जिसकी तलाश जारी है।


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