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नोटबंदी के बीच बैंक बंद होने से नकदी संकट और बढ़ा

बैंकों में अवकाश रहा तो एटीएम उपभोक्ता के जले पर नमक छिड़कते रहे। सड़क जाम, हंगामा के बाद अवसाद ग्रस्त लोग जान देने पर आमादा होने लगे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 10 Dec 2016 08:19 PM (IST)Updated: Sat, 10 Dec 2016 08:27 PM (IST)
नोटबंदी के बीच बैंक बंद होने से नकदी संकट और बढ़ा

लखनऊ (जेएनएन)। नोटबंदी के बाद नकदी संकट से जूझ रही उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी अब खून के आंसू रोने लगी है। बैंकों में अवकाश रहा तो एटीएम उपभोक्ता के जले पर नमक छिड़कते रहे। सड़क जाम, हंगामा के बाद अवसाद ग्रस्त लोग जान देने पर आमादा होने लगे हैं। आगरा में बैंक से रुपये निकासी न होने से परेशान सीआरपीएफ के रिटायर्ड सिपाही ने आत्महत्या कर ली। लखनऊ में भी बैंकों में तीन दिनी अवकाश के पहले दिन शनिवार को ज्यादातर एटीएम भी दगा दे गए। राजधानी के अधिसंख्य एटीएम के शटर गिरे रहे। सुलतानपुर, बलरामपुर में विवाद हो गया। ग्रामीणांचल में हालात बेकाबू हैं।

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सुलतानपुर शहर के बस अड्डा के निकट एसबीआइ मुख्य शाखा के एटीएम से रुपये निकालने के लिए उपभोक्ता भिड़ गए। पुलिस को हल्के बल का प्रयोग करना पड़ा। बलरामपुर नगर क्षेत्र में सिर्फ एसबीआइ का एटीएम चालू रहा। धक्का-मुक्की से दो गेट टूट गए। लखीमपुर शहर में भी एक ही एटीम चल रहा था। एचडीएफसी बैंक के एटीएम का गला भी दोपहर बाद सूख गया। बाराबंकी ,गोंडा, रायबरेली,अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, फैजाबाद, बहराइच में भी एटीएम सफेद हाथी बने रहे। इलाहाबाद में 10 फीसद एटीएम खुले, उन पर भीड़ आर या पार के मूड में नजर आई। कानपुर में लोग दिन भर नकदी की तलाश में भटके। मध्य यूपी तथा बुंदेलखंड के सभी जिलों में यही स्थिति रही। कुछ बैंकों के चुनिंदा एटीएम को छोड़ दें तो अधिकांश शोपीस बने रहे। महोबा, चित्रकूट, बांदा, उरई, हमीरपुर, उन्नाव, कानपुर, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, फतेहपुर, औरैया, इटावा तथा हरदोई के लोग अधिकांश एटीएम में करेंसी न होने पर केंद्र सरकार को कोसते रहे। वाराणसी शहर के 674 एटीएम जो बुरे दौर में जनता के तारणहार बन सकते थे, उनमें से महज गिनती के ही खुले। पूर्वांचल के सोनभद्र, बलिया, मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, मीरजापुर, भदोही और चंदौली आदि जिलों में भी हालात काफी दुश्वारी भरे रहे।

नकदी संकट के अवसाद में आत्महत्या

आगरा के गांव बुढ़ाना निवासी सीआरपीएफ के रिटायर्ड सिपाही रमेश चंद ने घर में ही गोली मारकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने बताया कि इलाज के लिए रुपये निकालने को बैंकों के कई चक्कर काटने के बाद भी एक पैसा हाथ में न आने से वे अवसाद और तनाव में थे। शनिवार को ज्यादातर एटीएम पर ताला पड़ा रहा। जो खुले उन पर लंबी कतारें लगी रहीं। अलीगढ़ भी कैश कैश की किल्लत से लोग जूझे। मेरठ में करीब दो दर्जन एटीएम ने दिनभर नोट उगले, लेकिन शाम होते-होते हांफ गए। कई जगह हंगामे होते रहे। बागपत, बिजनौर, शामली में एटीएम बंद रहे। बुलंदशहर में चंद एटीएम चले। मुजफ्फरनगर में नकदी के लिए संघर्ष रहा।


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