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    यूपी की इस सीट पर होता है कड़ा मुकाबला, वोटर बढ़े पर कम रहा हार-जीत का अंतर; देखें कब हुई थी अब तक की सबसे क्लोज जीत

    Updated: Tue, 11 Jun 2024 06:03 PM (IST)

    वर्ष 1952 में जब पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तो खीरी लोकसभा सीट वजूद में नहीं थी। तब इस सीट में शाहजहांपुर उत्तर और खीरी का पूर्व क्षेत्र सम्मिलित था। सीट का नाम शाहजहांपुर डिस्ट्रिक्ट नार्थ कम खीरी डिस्ट्रिक्ट ईस्ट था। कुल वोटर 800993 थे जिसमें सांसद चुने गए रामेश्वर प्रसाद नेवरिया को 479588 वोट मिले थे। वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई खीरी लोकसभा सीट पर उस वर्ष...

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    यूपी की इस लोकसभा सीट पर वोटर बढ़े लेकिन कम रहा हार-जीत का अंतर

    जागरण संवाददाता, लखीमपुर। लाेकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब सभी अपनी जीत-हार की समीक्षा में लगे हैं। किसी खेमे में खुशी और जश्न का माहौल है, तो काेई हार के कारणों को टटोल रहा है। इस सबके बीच एक महत्वपूर्ण पहलू जीत-हार के अंतर का भी है।

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    यहां अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कई बार अंतर दस हजार से नीचे भी गया, तो एक बार ये 15 सौ के नीचे भी रहा, पर दो लाख का आंकड़ा सिर्फ दो बार पार हुआ है, वो भी 1984 में जो बड़ा अंतर रहा वो कमाल दोबारा नहीं हुआ।

    1952 में खीरी लोकसभा का नहीं था वजूद

    वर्ष 1952 में जब पहला लोकसभा चुनाव हुआ था, तो खीरी लोकसभा सीट वजूद में नहीं थी। तब इस सीट में शाहजहांपुर उत्तर और खीरी का पूर्व क्षेत्र सम्मिलित था। सीट का नाम शाहजहांपुर डिस्ट्रिक्ट नार्थ कम खीरी डिस्ट्रिक्ट ईस्ट था।

    कुल वोटर 8,00993 थे, जिसमें सांसद चुने गए रामेश्वर प्रसाद नेवरिया को 4,79588 वोट मिले थे। वर्ष 1957 में अस्तित्व में आई खीरी लोकसभा सीट पर उस वर्ष 4,05123 मतदाता थे। तब सांसद चुने गए कुंवर खुशवक्त राय ने 17,431 वोटों से जीत दर्ज की थी।

    इसके बाद वर्ष 1962 से 1980 तक हुए पांच लोकसभा आम चुनावों में वोटरों की संख्या जहां सात लाख के आंकड़े को पार कर गई, वहीं, जीत- हार का अंतर भी घटते- बढ़ते 81 हजार के आंकड़े को पार कर गया।

    1984 में कांग्रेस की ऊषा वर्मा बनी थी सांसद

    वर्ष 1984 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो यहां सांसद चुनीं गईं कांग्रेस की ऊषा वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के करन सिंह को 2,36515 वोटों के बड़े अंतर से हराया था। तब वोटर 7,69692 थे। इसके बाद अब तक हुए 10 लोकसभा चुनावों में सिर्फ एक बार वर्ष 2019 में जीत - हार के अंतर ने दो लाख के आंकड़े को पार किया, पर 1984 का रिकॉर्ड नहीं टूटा।

    2019 में सांसद चुने गए भाजपा के अजय कुमार मिश्र टेनी ने निकटम प्रतिद्वंदी सपा की डा. पूर्वी वर्मा को 2,18807 मतों के अंतर से पराजित किया था। 2019 में कुल वोटर 17,29085 थे। अब इस बार 2024 के चुनाव में वोटरों की संख्या 18,70171 हो गई, आर जीत- हार का अंतर 34,329 ही रह गया। 

    वर्ष   वोटर   जीत- हार का अंतर
    1957  405123  17431
    1962  432335  36979
    1967  509557  1347
    1971  560203  70625
    1977  612725  74304
    1980  725285  81306
    1984  769692  236515
    1989  944231  54386
    1991  948884  37094
    1996  1211803  5444
    1998  1233463  57881
    1999  1260158   4515
    2004   1437563   11760
    2004  1437563  11760
    2009  1297088  8777
    2014  1679466  110274
    2019  1729085  218807
    2024  1870171  34329

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