Lok Sabha Election 2024: यूपी की इस सीट से अब तक केवल एक महिला सांसद पहुंची दिल्ली, इस पार्टी ने दिया था मौका
Lok Sabha Election 2024 एक तरफ सरकारें महिला आरक्षण का दंभ भरती हैं। सदन में महिला आरक्षण का बिल भी ध्वनि मत से पारित होता है ... सरकारें उनको पुरूषों के बराबर व मुकाबिल खड़ा देखना चाहती हैं। ताे दूसरी ओर खीरी जिले में इस दावे की स्याह तस्वीर भी सामने है। यहां खीरी सीट से आजादी के अब तक केवल एक महिला सांसद ही चुनकर दिल्ली तक गईं।
धर्मेश शुक्ला, लखीमपुर। एक तरफ सरकारें महिला आरक्षण का दंभ भरती हैं। सदन में महिला आरक्षण का बिल भी ध्वनि मत से पारित होता है ... सरकारें उनको पुरूषों के बराबर व मुकाबिल खड़ा देखना चाहती हैं। ताे दूसरी ओर खीरी जिले में इस दावे की स्याह तस्वीर भी सामने है।
यहां खीरी सीट से आजादी के अब तक केवल एक महिला सांसद ही चुनकर दिल्ली तक गईं या यूं कहें दलों ने किसी महिला उम्मीदवार पर भरोसा ही नहीं जताया।
ऊषा वर्मा को कांग्रेस ने दिया था मौका
हां, 2019 में गठबंधन से डॉ. पूर्वी वर्मा सपा के टिकट पर चुनाव तो जरूर लड़ीं लेकिन उनको हार का मुंह देखना पड़ा। आखिरी बार साल 1989 में कांग्रेस की सीट से ऊषा वर्मा को खीरी संसदीय सीट से उतारा गया था और उन्होंने जीत भी हासिल की थी लेकिन तब से किसी और को दलों ने मौका नहीं दिया।
ऊषा वर्मा को भी कांग्रेस ने अस्सी के दशक में मौका इसलिए दिया गया था क्योंकि सांसद रहते हुए उनके पति बालगोविंद वर्मा का निधन हो गया था। जिससे खाली हुई सीट पर उनको उतारा गया और उसके बाद वह एक नहीं लगातार तीन बार खीरी संसदीय सीट से सांसद बनीं।
ऐसा भी नहीं है कि जिले में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों से बहुत ज्यादा कम हो लेकिन उनको उच्च जिम्मेदारी दिए जाने का मौका नहीं मिला। खीरी संसदीय सीट पर 13 लाख से ज्यादा महिला वोटर हैं और वह भी आम चुनाव में किसी भी सांसद को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं पर उनको अवसर दिए जाने का नाम पार्टियां नहीं लेतीं।
खीरी संसदीय सीट पर अब तक जीते सांसद
1952 : रामेश्वर प्रसाद नेवटिया (कांग्रेस)
1957 : कुंवर खुशवक्त राय (प्रसोपा)
1962 : बाल गोविंद वर्मा (कांग्रेस)
1967 : बाल गोविंद वर्मा (कांग्रेस)
1972 : बाल गोविंद वर्मा (कांग्रेस)
1977 : सुरथ बहादुर शाह (जनता पार्टी)
1980 : बाल गोविंद वर्मा (कांग्रेस)
1980 : ऊषा वर्मा (बाल गोविंद वर्मा के निधन के बाद उप चुनाव) (कांग्रेस)
1985 : ऊषा वर्मा (कांग्रेस)
1989 ऊषा वर्मा (कांग्रेस)
1991 : डा. जीएल कनौजिया (भाजपा)
1996 : डा. जीएल कनौजिया (भाजपा)
1998 : रवि प्रकाश वर्मा (सपा)
1999 : रवि प्रकाश वर्मा (सपा)
2004 : रवि प्रकाश वर्मा (सपा)
2009 : जफर अली नकवी (कांग्रेस)
2014 : अजय कुमार मिश्र टेनी (भाजपा)
2019 : अजय कुमार मिश्र टेनी (भाजपा)
धौरहरा सीट पर टूटा है मिथक
साल 2009 में अपने वजूद में आई खीरी जिले की दूसरी संसदीय सीट धौरहरा में ये मिथक भाजपा ने तोड़ा हैं और वहां से रेखा वर्मा लगातार दो बार से सांसद चुनी गई हैं और इस बार उनका हैट्रिक चांस है। यहां एक बार तो जितिन प्रसाद साल 2009 में कांग्रेस सांसद चुने गए उसके बाद से अब तक रेखा वर्मा का ही इस सीट पर दबदबा है और तीसरी बार वह फिर से भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
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