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यूपी के इस जिले का पूरे देश में रहा है वर्चस्व, सत्ता पर शासित हुए तीन मुख्यमंत्री; महाभारत से भी जुड़ा है इतिहास

Lok Sabha Election 2024 बुलंदशहर की जनता ने आशीर्वाद देकर राजनीति के महारथी बनाएं और इन महारथियों को आगे बढ़ाया। इसी कारण प्रदेश की राजनीति में बुलंदशहर सुर्खियों में रहा। यहां से प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास रामप्रकाश गुप्त व बाबू कल्याण सिंह बनें तो बुलंदशहर केन्द्र व प्रदेश के राजनीतिज्ञों की नजरों में खासा अहम रहा है।

By Bhupendra Kumar Edited By: Abhishek Pandey Published: Tue, 26 Mar 2024 12:14 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2024 12:14 PM (IST)
यूपी के इस जिले का पूरे देश में रहा है वर्चस्व, सत्ता पर शासित हुए तीन मुख्यमंत्री

जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। (Lok Sabha Election 2024) बुलंदशहर की जनता ने आशीर्वाद देकर राजनीति के महारथी बनाएं और इन महारथियों को आगे बढ़ाया। इसी कारण प्रदेश की राजनीति में बुलंदशहर सुर्खियों में रहा। यहां से प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास, रामप्रकाश गुप्त व बाबू कल्याण सिंह बनें, तो बुलंदशहर केन्द्र व प्रदेश के राजनीतिज्ञों की नजरों में अहम रहा।

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इसी कारण राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनावों में प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बाबू बनारसी दास व कल्याण सिंह पर भी दांव लगाने से गुरेज नहीं किया। दोनों बुलंदशहर से सांसद भी निर्वाचित हुए। इस लोकसभा चुनाव में जनता का आशीर्वाद लेने को राजनीतिक दलों के उम्मीदवार मैदान में है, अब देखते है कि जनता किसे आशीर्वाद देती है। बुलंदशहर से भूपेन्द्र शर्मा... --

दिल्ली से सटे बुलंदशहर खेती किसानी से लेकर हिंदुत्व को लेकर मुखर रहा है। गन्ने के अलावा गेहूं व सरसों की फसलों का उत्पादन कर रहा यहां का किसान राजनीति को धार देने में आगे रहा है। पाटरी उद्योग ने दुनिया में अलग पहचान बनाई, तो महाभारतकालीन इतिहास समेटे तीर्थ स्थल भी यहां पर्यटकों को आकर्षित करते रहे।

अवंतिका कारिडोर को पयर्टन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के प्रयास शुरू हो गए है। बुलंदशहर से सटे गौतमबुद्धनगर में बन रहे जेवर एयरपोर्ट का प्रभाव यहां पर भी पड़ने लगा है। राजनीति की बात करें, तो देश की आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवारों को ही जीत का मिलीं। कांग्रेस ने यहां से छह बार जीत की पताका फहराई, इसमें चार बार सुरेन्द्र सिंह सांसद रहे। हालांकि भाजपा ने 1991 से जीत का स्वाद चखा और लगातार चार बार छत्रपाल सिंह को संसद भेजा।

प्रदेश की राजनीति के साथ ही कल्याण सिंह का प्रभाव बुलंदशहर सीट पर भी रहा। 2009 में हुए परिसीमन के बाद बुलंदशहर सीट के अनूसचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में बाबू जी के समर्थन के कारण सपा के उम्मीदवार कमलेश वाल्मीकि ने जीत दर्ज की।

भाजपा के उम्मीदवार अशोक प्रधान को हार का सामना करना पड़ा। पिछले दो चुनावों से भाजपा के उम्मीदवार डा. भोला सिंह जीत हासिल कर रहे हैं। इस चुनाव में भी डा. भोला सिंह मैदान में हैं।

प्रमुख विधानसभा

-बुलंदशहर लोकसभा सीट में पांच विधानसभा बुलंदशहर, स्याना, डिबाई, शिकारपुर व अनूपशहर हैं। इन विधानसभाओं पर फिलहाल भाजपा के ही विधायक निर्वाचित है। वहीं जिले की दो विधानसभा खुर्जा व सिकंदराबाद गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट में शामिल हैं।

बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र में मतदाता

18,55,176

-पुरुष-972855

महिला-882266

जेंडर-55

लोधी, पिछड़ा व अनुसूचित जाति खोल देती हैं जीत के दरवाजे

बुलंदशहर लोकसभा सीट पर जातिवार मतदाता की बात करें, तो लोधी-3.50 लाख, ब्राह्मण-2.00 लाख, राजपूत-1.50 लाख, जाट-2.00 लाख, अनुसूचित जाति-3.50 लाख, पिछड़ा वर्ग-3.00 लाख व मुस्लिम-3.00 लाख हैं। अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित बुलंदशहर सीट पर उम्मीदवारों के लिए लोधी, पिछड़ा व अनूसूचित जाति के मतदाता जीत के दरवाजे खोल देते हैं। मुस्लिम मतदाता भी अहम भूमिका में रहता है।

पांच बड़े मुद्दें

-बुलंदशहर शहर में जाम से निजात को रिंग रोड का निर्माण।

-पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अवंतिका कारिडोर का निर्माण।

-बुलंदशहर से दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा, अभी तक खुर्जा से ही दिल्ली के लिए ही रेल सेवा है।

-जेवर एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए बुलंदशहर के ककोड़ से आगे झाझर तक ही मेट्रो ट्रेन चलेगी, इस मेट्रो ट्रेन को बुलंदशहर तक करने की मांग उठाई जा रही है।

-बुलंदशहर में स्याना नहर पटरी से नरौरा तक को स्टेट हाइवे घोषित करना।

लोकसभा चुनाव, विजेता

-1952-कांग्रेस रघुबर दयाल

-1957-कांग्रेस रघुबर दयाल

-1962- कांग्रेस सुरेंद्र पाल सिंह

-1967 -कांग्रेस सुरेंद्र पाल सिंह

-1971 -कांग्रेस सुरेंद्र पाल सिंह

-1977-भारतीय लोकदल महमूद हसन खान

-1980-जनता पार्टी सेक्युलर महमूद हसन खान

-1983- उपचुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार बनारसी दास

-1984-कांग्रेस सुरेंद्र पाल सिंह

-1989- जनता दल सरवर हुसैन

-1991-भाजपा छत्रपाल

-1996-भाजपा छत्रपाल

-1998-भाजपा छत्रपाल

-1999- भाजपा छत्रपाल

-2004-भाजपा कल्याण सिंह

-2009- सपा कमलेश

2014-भाजपा डा. भोला सिंह

2019-भाजपा डा.भोला सिंह


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