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यहां दीपावली पर मुस्तफा, इरफान और अंसारी करते हैं मोहब्बत का उजियारा, चौराहे पर सजाते हैं दीपमाला

कानपुर में दादा मियां चौराहा पर हर साल की तरह इस बार मुस्लिम लोगों ने दीपमाला बनाने की तैयारी कर ली है। हिंदुओं के साथ मिलकर दीपोत्सव का पर्व मनाते हैं और सद्भावना के दीयों से मोहब्तत की रोशनी से उजियारा करते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 04 Nov 2021 10:59 AM (IST)Updated: Thu, 04 Nov 2021 10:59 AM (IST)
कानपुर में मुस्लिम मनाते सौहार्द्र की दीपावली।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दीपावली पर हर वर्ष की तरह इस बार भी दादामियां चौराहे पर सद्भावना के दीये जलाए जाएंगे, जिनसे होने वाला प्रेम व भाईचारे का प्रकाश हर तरफ फैलेगा। गंगा-जमुनी संस्कृति का यह नजारा बेकनगंज की घनी आबादी वाले क्षेत्र में दिखेगा। यहां मुस्लिम दीयों को रोशन करेंगे और हिंदुओं से गले मिलकर शुभकमामनाएं देंगे। दीपावली की शाम दीपमाला सजाने को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैैं।

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दादामियां चौराहा अब सौहार्द स्थल के रूप में पहचान बना चुका है। यहां होली-दीपावली हो या फिर ईद, हिंदू-मुस्लिम एक साथ मनाते हैं। होली पर मुस्लिम होलिका सजाते हैं तो उसे पम्मी गुप्ता व अन्य हिंदू भाई मिलकर दहन करते हैं। इसी तरह दीपावली पर दीपमाला भी रोशन की जाती है। इस दौरान दादा मियां की मजार पर फूल भी अर्पित किए जाते हैैं। इस वर्ष भी दीपावली पर मोहब्बत और भाईचारे की दीपमाला रोशन करने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैैं। यहां डा. मुस्तफा तारिक, इरफान, अंसारी, डा. इकबाल व क्षेत्र के अन्य मुस्लिम दीये प्रज्वलित करेंगे। साथ ही हिंदू भाइयों के साथ दीपोत्सव का जश्न मनाएंगे।

करीब 150 साल पुरानी है परंपरा

आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले डा. मुस्तफा तारिक बताते हैैं, उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है कि करीब 150 साल पहले दादामियां चौराहे पर कई हिंदू परिवार रहते थे। तब हिंदू-मुस्लिम मिलकर त्योहार मनाते थे। मुख्य रूप से होली और ईद साथ-साथ मनाते थे। करीब 50 साल से होली के साथ दीपावली का पर्व भी एक साथ मनाकर सद्भावना का संदेश दिया जा रहा है।

-होली हो अथवा दीपावली, दादामियां चौराहा पर हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं। कई बार शहर का माहौल भी खराब हुआ लेकिन वर्षों से चली आ रही परंपरा पर कोई आंच नहीं आई। - पम्मी गुप्ता

-दादा मियां चौराहा सांप्रदायिक सौहार्द स्थल के रूप में जाना जाता है। होली पर एक ओर मजार पर फूल पेश होते है, तो चौराहे पर होलिका दहन होता है। दीपावली पर यही नजारा रहता है। - डा. मुस्तफा तारिक


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