जानें, ट्रांस गंगा सिटी में क्या है विवाद, तीन बार मुआवजा बढऩे के बाद फिर क्यों टकराव Kanpur News
पहली बार 5.51 लाख और दूसरी बार 7 लाख रुपये प्रति बीघा और मुआवजा देने पर समझौता हुआ था।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर गंगा बैराज से सटे उन्नाव के ट्रांस गंगा सिटी की भूमि अधिग्रहण को लेकर पहले भी तीन बार किसान आंदोलन कर चुके हैं। उनकी मांगों पर तीन बार मुआवजा राशि भी बढ़ाई गई, लेकिन उसके बाद भी किसानों ने ट्रांस गंगा सिटी का काम शुरू नहीं होने दिया था। इस बार यीपीसीडा के अफसरों ने शनिवार को काम की शुरुआत की तो फिर किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। वे नई मांग के साथ टकराव पर उतारू हैं।
2002 वर्ष 2003 में यूपीएसआइडीसी ने स्पेशल इकोनामिक जोन (एसइजेड) के लिए 1150 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की थी। किसानों को डेढ़ लाख रुपया प्रति बीघा मुआवजा तय हुआ था। वर्ष 2005 में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। लेदर इंडस्ट्री स्थापित नहीं करने और मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग उठाई थी। तत्कालीन बसपा सरकार की ओर से सांसद बृजेश पाठक ने किसानों और प्रशासन के बीच मध्यस्थता की थी। अगस्त 2007 में बृजेश पाठक की मध्यस्थता में प्रशासन से समझौता हुआ था। किसानों पांच लाख 51 हजार रुपया प्रति बीघा का मुआवजा देने की पेशकश की गई थी।
किसानों ने इसे कम बताया, जिस पर सात लाख रुपया प्रति बीघा और मुआवजा देने पर समझौता हुआ। इस तरह किसानों को 12,51,000 रुपया प्रति बीघा का भुगतान किया जा चुका है। पुनर्वास के लिए प्रति परिवार 50,000 रुपया और दिया जाना तय हुआ था। उसके बाद किसान अधिग्रहीत भूमि में छह प्रतिशत विकसित जमीन और पुनर्वास की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध करते रहे। सपा सरकार में एसइजेड की जगह ट्रांस गंगा सिटी की आधारशिला रख इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने के लिए भू उपयोग की घोषणा हुई।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने काम शुरू करा दिया। तब किसानों ने एक न्यायिक आदेश का हवाला देते हुए एसइजेड के लिए अधिग्रहीत भूमि को ट्रांस गंगा सिटी के उपयोग में लेने का प्राविधान न होने की बात कहते हुए अधिग्रहण खत्म करने या फिर नए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत पुन: मुआवजा राशि व अन्य शर्तों को पूरा करने की मांग शुरू कर दी। वर्ष 2017 में चुनाव से पूर्व इस मुद्दे को हवा दी गई। उसी के बाद किसान जून 2017 से आंदोलन कर रहे हैं। ट्रांस गंगा सिटी में 2000 हाउसिंग प्लाट और 250 इंडस्ट्रियल प्लाट बनाए जाने हैं। पूर्व में चार बार किसान और पुलिस आमने सामने आ चुके हैं। शनिवार को पांचवी बार किसान और प्रशासन आमने-सामने हुए।
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