Kanpur Kidnapping News: मास्टरमाइंड की फूलप्रूफ प्लानिंग पर भारी पड़ गई साथी की एक गलती
संजीत की तलाश में जुटी पुलिस अंधेरे में तीर चला रही थी और सर्विलांस से भी कोई सुराग नहीं मिल रहे थे लेकिन गिरोह की एक गलती ने उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया।
कानपुर, जेएनएन। सावधान इंडिया और क्राइम पेट्रोल देखने के शौकीन मास्टरमाइंड ज्ञानेंद्र ने अपने साथियों के साथ संजीत के अपहरण की प्लानिंग तो फूलप्रूफ की थी और पुलिस भी सर्विलांस का सहारा लेने के बावजूद उनतक पहुंच नहीं पा रही थी। शायद पुलिस अंधेरे में तीर तीर चलाते हुए कभी अपराधियों तक पहुंच ही नहीं पाती और मामला ठंडे बस्ते में चला जाता लेकिन, कहते हैं कि अपराधी की एक चूक उसपर भारी पड़ जाती है। मास्टरमाइंड के साथी की चूक से सभी पुलिस के हत्थे चढ़ गए, अब सिर्फ प्रीती की मां सिम्मी सिंह फरार है।
फुल प्रूफ की थी प्लानिंग
मास्टरमाइंड दबौली निवासी ईशू उर्फ ज्ञानेंद्र यादव ने बर्रा-5 एलआइजी कॉलोनी निवासी चमन सिंह यादव के 27 वर्षीय इकलौते बेटे संजीत यादव के अपहरण करके तीस लाख रुपये फिरौती वसूलकर रातों-रात अमीर बनने के लिए फूल प्रूफ प्लानिंग की थी। इसके लिए उसने सरायमीता निवासी कुलदीप गोस्वामी, गज्जापुरवा निवासी नीलू सिंह, गुजैनी के अंबेडकर नगर निवासी रामजी शुक्ला और कौशलपुरी निवासी प्रीती शर्मा को भी शामिल किया था। नीलू ने उसे पुलिस के मोबाइल सर्विलांस से बचने का तरीका बताया था और ज्ञानेंद्र ने सभी को अपना अपना काम समझा दिया था। उसने सभी से कहा था अपहरण के बाद किसी को घबराने की जरूरत नहीं है और नॉर्मल तरह से अपना काम करते रहेंगे। उसने संजीत के घर और पुलिस की गतिविधियों की भी निगरानी शुरू करा दी थी।
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चार नंबरों से आपस में करते थे बात
आरोपित ज्ञानेंद्र ने नीलू के जरिए सचेंडी की एक मोबाइल दुकान से फर्जी आइडी पर छह सिमकार्ड और दो पुराने फोन खरीदे थ्रे। इनमें से एक नंबर से संजीत को फोन किया और दूसरे से संजीत के पिता चमन सिंह से फिरौती मांगी थी। बाकी चार नंबरों से शातिर आपस में बात करते थे ताकि पुलिस के सर्विलांस से बच सकें। इसी तरह सभी आपस में जुड़े रहे और बिना मिले ही एक दूसरे को हर गतिविधि से अवगत कराते रहे।
इस तरह पुलिस ने लगाया ट्रैप
क्राइम ब्रांच टीम के मुताबिक 22 जून को संजीत के मोबाइल पर एक नंबर से पांच कॉल आईं। दो बार अपहरणकर्ता ने फोन किया था और तीन बार संजीत ने उसी नंबर पर बात की। रात पौने आठ बजे संजीत की आखिरी बार उस नंबर पर बात हुई थी। पौने नौ बजे संजीत का मोबाइल और संदिग्ध नंबर स्विच ऑफ हो गया। 29 जून को आरोपितों ने दूसरे नंबर से संजीत के पिता चमन के पास फिरौती के लिए फोन किया। 13 जुलाई की रात तक चमन की इस नंबर पर कुल 22 बार बात हुई। इसके बाद वह नंबर भी बंद हो गया। 14 जुलाई को पुलिस टीम ने मोबाइल सिमकार्ड देने वाले दुकानदार को हिरासत में लिया। उसने छह सिमकार्ड बेचने की बात कही।
कुलदीप की एक गलती पड़ गई भारी
मास्टरमाइंड की प्लानिंग पर कुलदीप की एक गलती भारी पड़ गई, वह दिए गए मोबाइल से अस्पताल के कर्मचारी दोस्त को कॉल कर बैठा। सर्विलांस टीम ने सभी मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल निकलवानी शुरू की और उन नंबरों को लिसनिंग पर भी लगाया। इसके बाद धनवंतरि अस्पताल की पैथोलॉजी के दो कर्मचारी हिरासत में लिए गए। उनमें से एक की संदिग्ध नंबर पर बात हुई थी। पूछताछ में सामने आया कि वह संदिग्ध नंबर कुलदीप गोस्वामी के पास था। जो पैथोलॉजी में काम कर चुका था और लॉकडाउन के दौरान विवाद होने पर नौकरी छोड़ दी थी। पुलिस ने कुलदीप को ट्रेस किया और उससे पूछताछ के बाद मुख्य आरोपित ज्ञानेंद्र यादव व रामजी शुक्ला पकड़े गए। रामजी ने नीलू के बारे में और नीलू ने अपनी महिला मित्र प्रीती के बारे में जानकारी दी। सख्ती से पूछताछ पर आरोपितों ने वारदात कबूल ली।
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