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कानपुर: प्रत्येक माह 15000 कंटेनर देने वाली शिपिंग लाइन को अब भाड़े में मिलेगी 100 फीसद छूट

कारपोरेशन के इंटरनेशनल मार्केटिंग एंड आपरेशन के निदेशक संजय स्वरूप ने कहा कि कोरोना के चलते कंटेनर चीन के पोर्ट पर फंसे हुए हैं। इससे पूरी दुनिया में कंटेनर की कमी हो गई है। इसी वजह से भाड़ा भी बढ़ रहा है।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 04:45 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 04:45 PM (IST)
भारतीय कंटेनर कारपोरेशन लिमिटेड की बैठक को संबोधित करते कमल जैन।

कानपुर, जेएनएन। 15000 कंटेनर हर माह देने वाली शिपिंग लाइन को भारतीय कंटेनर कारपोरेशन लिमिटेड भाड़े में सौ फीसद तक छूट देगा‌। यह बात सोमवार को कारपोरेशन के इंटरनेशनल मार्केटिंग एंड आपरेशन के निदेशक संजय स्वरूप ने कही।

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उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते कंटेनर चीन के पोर्ट पर फंसे हुए हैं। इससे पूरी दुनिया में कंटेनर की कमी हो गई है। इसी वजह से भाड़ा भी बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि कारपोरेशन ने इस समस्या को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुंद्रा पिपावा और जवाहरलाल नेहरू कोर्ट से कंटेनर कानपुर लाए जाते हैं। इसमें कारपोरेशन ने फ्री आफ कास्ट कंटेनर कानपुर लाने की योजना बनाई है ताकि निर्यातकों को कंटेनर मिल सकें और उनकी कमी की समस्या खत्म हो। उन्होंने कहा कि अगर शिपिंग लाइन 15000 कंटेनर देती हैं तो उन्हें भाड़े में 100 फीसद की छूट दी जाएगी। अगर वे 10000 कंटेनर देती हैं तो 75 फीसद और अगर 10000 से नीचे कंटेनर देती हैं तो उन्हें 50 फीसद की छूट दी जाएगी।उनके मुताबिक तुगलकाबाद, दादरी और लुधियाना यहां बहुत सारा माल विदेशों से आता है लेकिन यहां से निर्यात ना होने की वजह से कंटेनर खाली वापस जाते हैं। इसे देखते हुए इन कंटेनर को कानपुर के लिए भेजने की बात कही गई है। बिना किसी लाभ के इसका टैरिफ जारी किया गया है। इनमें जो कंटेनर कानपुर आएंगे, उनका भाड़ा तीन हजार से चार हजार रुपए तक कम रहेगा । इसका लाभ एक्सपोर्टर को मिलेगा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा एक अक्टूबर से इंसेंटिव योजना भी घोषित की है। इसमें 2000  रुपए 20 फीट के कंटेनर के लिए तथा 4000 रुपए 40 फीट के कंटेनर के लिए छूट दी जाएगी। यह धनराशि निर्यातक को वापस की जाएगी। इसके साथ ही कारपोरेशन में रेलवे के साथ मिलकर टाइम टेबल ट्रेन चालू की है। यह ट्रेन जवाहर लाल नेहरू पोर्ट, मुंद्रा और पिपावा जा रही है। इससे पहले के मुकाबले कम समय लग रहा है और लगभग 40 घंटे में ट्रेन कहां पहुंच रही हैं। संजय स्वरूप के मुताबिक कानपुर में जूही रेलवे यार्ड को प्रति माह तीन से साढे तीन हजार  कंटेनर की जरूरत होती है और इस समय एक से डेढ़ हजार कंटेनर की कमी है। स्वरूप नगर स्थित एक होटल में आयोजित ट्रेड मीट में निर्यातकों ने भी अपनी समस्याएं बताई। ज्यादातर  निर्यातकों ने कहा कि उन्हें कंटेनर नहीं मिल पा रहे हैं। साथ ही भाड़ा भी पिछले छह-सात महीने में बहुत अधिक हो चुका है। इस मौके पर कारपोरेशन के उत्तरी क्षेत्र के कार्यकारी निदेशक कमल जैन, कानपुर के टर्मिनल मैनेजर भाग्यमणि सिंह भी उपस्थित रहे ‌।


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