UP News: लड़ाकू विमानों के पायलटों के लिए देश में बनेंगे एंटी ग्रेविटी सूट, DEBEL ने विकसित की तकनीक
UP News आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए डीईबीईएल ने रक्षा मंत्रालय के डीपीएसयू (सरकारी क्षेत्र के रक्षा उपक्रम) ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) कंपनी की चेन्नई के आवाडी स्थित आयुध वस्त्र निर्माणी यानी ओसीएफ को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करेगा। एंटी ग्रेविटी सूट यानी गुरुत्वाकर्षण विरोधी सूट अब देश में ही बनने से विदेश पर से निर्भरता खत्म होगी।
विवेक मिश्र, कानपुर। लड़ाकू विमानों के पायलटों को गुरुत्वाकर्षण बल झेलने की क्षमता प्रदान करने वाला एंटी ग्रेविटी सूट यानी गुरुत्वाकर्षण विरोधी सूट अब देश में ही बनने से विदेश पर से निर्भरता खत्म होगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की शाखा रक्षा जैव-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रो मेडिकल प्रयोगशाला (डीईबीईएल) ने यह सूट बनाने की तकनीक विकसित कर ली है।
आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए डीईबीईएल ने रक्षा मंत्रालय के डीपीएसयू (सरकारी क्षेत्र के रक्षा उपक्रम) ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) कंपनी की चेन्नई के आवाडी स्थित आयुध वस्त्र निर्माणी यानी ओसीएफ को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करेगा।
क्या होता है एंटी ग्रेविटी सूट
भारत में कुल 2000 विमान हैं जिनमें से सभी बलों में एक हजार लड़ाकू विमान हैं। इन लड़ाकू विमानों के पायलट एंटी ग्रेविटी सूट पहनकर उड़ान भरते हैं। यह सूट पायलट के शरीर में उड़ान के समय खून के बहाव को नियंत्रित रखता है। अधिकारी के अनुसार, जी गुरुत्वाकर्षण बल को मापने की इकाई है। जमीन पर सामान्यत: एक जी यानी एक गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव होता है। सामान्यतः: एक मनुष्य तीन जी तक का गुरुत्वाकर्षण बल झेल सकता है। जबकि एक फाइटर पायलट को अधिकतम पांच जी तक का गुरुत्वाकर्षण बल झेलने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
अब भारत में बनाए जाएंगे जी-सूट
जब बल इससे अधिक बढ़ता है तो पायलट की मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं। वर्तमान में ये सूट विदेश से आयात किए जाते हैं। एक सूट की औसत कीमत 3.50 लाख रुपये तक है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरित होने के बाद अब भारत में ही ये सूट बनाए जाएंगे।
पैरों की नसों को नियंत्रित रखता है विशेष सूट
गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होने पर रक्तस्राव दिल से आगे नहीं बढ़ पाता है। खून सिर्फ पैरों में या फिर टखने में ही जमने का अंदेशा बढ़ जाता है। यदि खून एक जगह जमा हो जाए तो पायलट बेहोश हो सकते हैं और जिंदगी खतरे में भी पड़ सकती है। विशेष एंटी ग्रेविटी-सूट पैरों की नसों को नियंत्रित रखता है और पायलट के शरीर में खून का संचार दिल से दिमाग तक बना रहता है। यह सूट पायलट को नौ जी से ज्यादा मात्रा का गुरुत्वाकर्षण बल झेलने में सक्षम बनाता है।
चार किलोग्राम तक होता है एंटी जी सूट का वजन
एक स्टैंडर्ड जी-सूट का वजन सामान्यत: चार किलोग्राम तक होता है। यह सूट विशेष रूप से विकसित उच्च शक्ति, हल्के वजन वाले अरामिड कपड़े से निर्मित है। अरामिड कपड़ा उच्च तापमान से बचाने में प्रभावी रहता है। ये अग्निरोधी और गुरुत्वाकर्षण विरोधी होता है। सभी मौसमी स्थितियों से बचाने के लिए विशेष कोटिंग की जाती है। उच्च स्तर पर गुरुत्वाकर्षण बल की जरूरत अधिक होती है। ऐसे में पायलट लड़ाकू विमान का पूरा प्रयोग करके दुश्मन के युद्धक विमान को आसानी से नष्ट कर सकते हैं।
विदेश पर से अब होगी खत्म
डीआरडीओ की शाखा डीईबीईएल ने एंटी जी सूट की तकनीक विकसित करने की उपलब्धि हासिल की है। सूट के लिए अब विदेश पर से निर्भरता खत्म होगी। डीईबीईएल के सहयोग से प्रौद्योगिकी हस्तांरित होते ही ओसीएफ, आवाडी में सूट का उत्पादन शुरू किया जाएगा।-राजीव शर्मा, महाप्रबंधक, टीसीएल
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