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Chandrayaan 2 के रोवर तैयार करने वाले वैज्ञानिकों ने बनाया विश्व का पहला रोबोटिक हाथ Kanpur News

लकवाग्रस्त मरीज हाथ में पहन सकेंगे एक्सोस्केलेटेन हाथ जो मस्तिष्क के संकेतों से चलेगा।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 08:29 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 08:29 AM (IST)
Chandrayaan 2 के रोवर तैयार करने वाले वैज्ञानिकों ने बनाया विश्व का पहला रोबोटिक हाथ Kanpur News
Chandrayaan 2 के रोवर तैयार करने वाले वैज्ञानिकों ने बनाया विश्व का पहला रोबोटिक हाथ Kanpur News

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसरों ने लकवाग्रस्त मरीजों के लिए क्रांतिकारी खोज की है। चार साल की कड़ी मेहनत के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के चंद्रयान-दो अभियान में जाने वाले लूनर रोवर प्रज्ञान के लिए मोशन प्लानिंग एंड मूवमेंट सॉफ्टवेयर बनाने वाले इन प्रोफेसरों ने लकवाग्रस्त मरीजों के लिए विश्व का पहला रोबोटिक हाथ बनाया है।

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लकवाग्रस्त मरीज कर सकेंगे हाथ से काम

आइआइटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रो. केएस वेंकटेश व मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. आशीष दत्ता के बनाए इस टू फिंगर रोबोटिक हैंड को हाथ में पहन कर लकवाग्रस्त मरीज काम कर सकते हैं। यह एक्सोस्केलेटेन रोबोटिक प्रणाली पर बना है। हाथ में पहनने के बाद यह मस्तिष्क के संकेत पढ़ेगा और उसी अनुरूप काम करेगा। यह दुनिया का पहला रोबोटिक हाथ है जो मस्तिष्क के संकेत पढऩे में सक्षम है। इसका सफलता पूर्वक परीक्षण भी हो चुका है।

बैटरी से चलता है रोबोटिक हाथ

इसी डिवाइस के साथ उन्होंने सिर पर पहना जाने वाला मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआइ) भी बनाया है। दोनों डिवाइस मिलकर लकवाग्रस्त रोगियों को शारीरिक अभ्यास के लिए अंगूठा और मध्य अंगुलियों को खोलने और बंद करने में मदद देंगे। इनकी गति निर्धारित करेंगी। यह रोबोटिक हाथ माइक्रो-कंट्रोलर व एक बैटरी से चलता है। दोनों वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन स्थित उलेस्टर विश्वविद्यालय व प्रोफेसर गिरिजेश प्रसाद के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम किया।

कीमत लगभग 15,000 रुपये

यूके में चार हेमिपेटेरिक स्ट्रोक के अलावा बाएं हाथ की विकलांगता वाले मरीजों पर इसका सफल परीक्षण किया गया। छह हफ्ते चले परीक्षण में सकारात्मक परिणाम सामने आए। इसके बाद कानपुर के एक मरीज पर किया गया प्रयोग भी सफल रहा। प्रोफेसरों का कहना है कि इस डिवाइस की कीमत लगभग 15,000 रुपये होगी। इसे पेटेंट कराने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है।
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