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सरसों की खेती का 31 फीसद बढ़ गया दायरा

जागरण संवाददाता जौनपुर लगातार कम हो रही खेती और मांग बढ़ने के कारण सरसों के तेल क

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 03:46 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 03:46 PM (IST)
सरसों की खेती का 31 फीसद बढ़ गया दायरा

जागरण संवाददाता, जौनपुर: लगातार कम हो रही खेती और मांग बढ़ने के कारण सरसों के तेल का दाम आसमान पर है। मिलावट भी बढ़ गई है। अधिक लाभ के लिए किसानों ने इस साल सरसों की खेती को प्राथमिकता दी है। परिणामस्वरूप लक्ष्य से 31 फीसद दायरा बढ़ गया है।

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जनपद में 3921 हेक्टेयर में सरसों की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। वर्षा ऋतु की विदाई की बेला में हुई अच्छी बारिश के कारण खेतों में पर्याप्त नमी देख और सरसों की कीमतों में वृद्धि के कारण किसानों का रुझान सरसों की खेती के प्रति बढ़ गया। परिणामस्वरूप 5139 हेक्टेयर खेती की गई है।

जिला कृषि अधिकारी केके सिंह ने किसानों को सलाह दी कि सरसों की फसल को रोग से बचाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए दवाओं का छिड़काव आवश्यक है। उन्होंने बताया कि फसल को माहू से बचाने के लिए प्रकोपित शाखाओं को तोड़कर भूमि में गाड़ दें। जब फसल में कम से कम 10 प्रतिशत पौधे की संख्या माहू से ग्रसित हो व 26-28 प्रति पौधा हो तब एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 500 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 150 मिली. को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर में सायंकाल में छिड़काव करें। यदि दोबारा से कीट का प्रकोप हो तो 15 दिन के अंतराल से पुन: छिड़काव करें। इसी क्रम में आरा मक्खी से बचाव के लिए गर्मियों की गहरी जोताई करें व सिचाई करने पर भी इसका प्रकोप कम हो जाता है। इस कीट की रोकथाम हेतु मेलाथियान 50 ई.सी. एक लीटर को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ऩे पर दोबारा छिड़काव करें।

जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि सरसों की फसल में सफेद रतुवा या श्वेत किट्ट का भी प्रकोप उत्पाद को प्रभावित कर सकता है। इस रोग के कारण 23-55 प्रतिशत तक नुकसान होता है। सरसों के अतिरिक्त यह रोग मूली, शलजम, तारामीरा, फूलगोभी, पत्तागोभी, पालक और शकरकंद पर भी पाया जाता है। इससे बचाव के लिए बीजों को मेटालेक्जिल (एप्रोन 35 एस डी) छह ग्राम/किग्रा. बीज या मैन्कोजेब 2.5 ग्राम/किग्रा. बीज से उपचारित कर बोएं।


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