ऐतिहासिक महत्व रखता है सागर तालाब
संवाद सहयोगी कोंच जल संरक्षण के प्रति पूर्वजों की सोच कितनी महत्वपूर्ण रही होगी कि आज उनके बनाए गए तालाब हम सब को संजीवनी देने का काम कर रहे हैं पूर्वजो द्वारा खोदे गए तालाबों में से नगर का ऐतिहासिक सागर तालाब भी है ।जिसे 12 वीं शताब्दी के चंदेल राजाओं में पृथ्वीराज चौहान के कहने पर उसके सामन्त चामुंडा राय द्वारा खुदवाया गया था। चारों ओर से पक्की सीडी नुमा वर्गाकार तालाब जल संरक्षण का बेहतरीन नमूना तो है ही साथ ही नगर की सुंदरता को निखार भी रहा है।
संवाद सहयोगी, कोंच : जल संरक्षण के प्रति पूर्वजों की सोच कितनी महत्वपूर्ण रही होगी कि आज उनके बनाए गए तालाब हम सब को संजीवनी देने का काम कर रहे हैं, पूर्वजो द्वारा खोदे गए तालाबों में से नगर का ऐतिहासिक सागर तालाब भी है ।जिसे 12 वीं शताब्दी के चंदेल राजाओं में पृथ्वीराज चौहान के कहने पर उसके सामन्त चामुंडा राय द्वारा खुदवाया गया था। चारों ओर से पक्की सीडी नुमा वर्गाकार तालाब जल संरक्षण का बेहतरीन नमूना तो है ही साथ ही नगर की सुंदरता को निखार भी रहा है।
सागर तालाब नगर के निवासियों के लिए एक प्राचीन ऐसी धरोहर है जिसे बचाए रखना हर नागरिक चाहता है। चंदेल राजाओं के समय में जब इस तालाब को बनवाया गया था तभी इस तालाब में ईंटो की सीढि़यां बनवाई गईं थीं। जिसका परिणाम यह रहा कि सदियां गुजरने के बाद भी तालाब अपने स्वरूप को नही खो पाया। पहले यह तालाब नगर के लोगों को पानी की जरूरतें पूरी किया करता था। जानवर भी इस तालाब में आकर अपनी प्यास बुझाया करते थे। जानवरों के लिए तालाब में एक पक्का रैंप का निर्माण किया गया था और पक्के घाट चारों ओर सीढ़ी नुमा लोगों को पानी की जरूरतें पूरा करने के बनाये गए थे। तालाब में पानी भरने के लिए एक इनलेट मलंगा नहर से जोड़ा गया था और आउटलेट तालाब को खाली करने के लिए मलंगा नाले की ओर निकाला गया था। हालांकि बाद के जो नगर के हुक्मरान रहे उन्होंने तालाब के इनलेट और आउटलेट पर ध्यान नही दिया जिस कारण यह खत्म हो गये बाद में तालाब को भरने के लिए पालिका प्रशासन ने एक नलकूप का निर्माण कराया और तालाब में ऊंची जाली लगाकर उसे कूड़ा करकट डलने से सुरक्षित किया। धार्मिक महत्व भी है तालाब का
सागर तालाब धार्मिक ²ष्टि से ही महत्वपूर्ण है इसके चारों कोनों पर मठिया मठिया बनी हुई हैं। पश्चिमी घाट पर प्राचीन शिव मंदिर और नगर पालिका का कार्यालय है पूर्वी घाट पर बलदाऊ धर्मशाला और संस्कृत पाठशाला बनी हुई है और उत्तरी घाट पर कमला नेहरू स्थापित है दक्षिण घाट पर 16 वीं शताब्दी के सूफी संत कलंदर शाह बाबा की दरगाह है तालाब में नगर की ऐतिहासिक रामलीला की राम बन गमन सरयूपार लीला एवं मोहर्रम का मेला तालाब के तट पर सदियों से लगता आ रहा है। हिन्दू मुस्लिम एकता की बेमिसाल नजीर पेश करता सागर तालाब अब सूखने लगा है। लोग कहने लगे हैं कि तालाब को भरे जाने नलकूप से अच्छा विकल्प पूर्व में बनाये गए इनलेट ही है जो नहर से लेकर सागर तालाब तक नाली के रूप में बनाया था।