12 क्विंटल से 20 किलो रह गयी करेले की पैदावार
डकोर, संवाद सहयोगी : गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी के संकट ने जनमानस के साथ छोटे सब्जी उगाने वाले
डकोर, संवाद सहयोगी : गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी के संकट ने जनमानस के साथ छोटे सब्जी उगाने वाले किसानों को रुलाना शुरू कर दिया है।
बेतवा नदी किनारे सब्जी उगाने वाले लोगों को पानी न मिलने से उनकी सब्जी की पैदावार में बेतहाशा कमी आयी है। इससे उनकी जीविका भी गड़बड़ा गयी है। बेतवा के पानी से नदी किनारे सब्जी की खेती करने वालों को इस बार मुहाना घाट की ओर पानी न होने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। नदी किनारे रहने वाले लोग इसी पानी से सब्जी की क्यारियां सींचते थे और पैदावार कर अपनी जीविका चलाते थे। यहां की सबसे मशहूर करेला की खेती है। यहां का करेला गर्मी के मौसम में कानपुर, लखनऊ, दिल्ली तक जाता है लेकिन इस बार पानी न मिलने से सब्जी की क्यारियां सूख गयी हैं। पिछले साल जहां यहां के किसान प्रति सब्जी की क्यारियों से 12 कुंटल करेला बेचने के लिए तोड़ते थे। इस बार पानी न मिलने से यह पैदावार घटकर प्रतिदिन 20 किलो भी नहीं रह गयी है। अन्य सब्जियों जैसे तरोई, लौकी, ककड़ी, तरबूज की भी पैदावार नहीं हो पा रही है।
किसे बतायें व्यथा
Þइस बारे नदी के इस पाट पर पानी न होने से उनकी क्यारियां सूख गयी हैं जिससे सब्जी की पैदावार होना संभव नहीं है। इससे बाजार में सब्जी महंगी मिलेगी।Þ - राम बिहारी
Þयहां गर्मियों में पैदावार होने वाला करेला बड़े बड़े महानगरों में जाता था लेकिन इस बार पानी न मिलने से इसकी पैदावार नगण्य हुई है, जिससे करेला की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। - Þराजू Þ
अगर राठ क्षेत्र में बहने वाला नदी का पानी इस तरफ से बहने लगे तो जो कुछ पानी मिलने उससे सब्जी की खेती को बचाया जा सकता है। - Þनिर्दोष Þ
यहां के ज्यादातर लोगों की जीविका सब्जी की पैदावार पर टिकी रहती है। अगर पानी न मिला तो उनके सामने भी भुखमरी नौबत आ जायेगी।Þ - नवाब खां