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'क्या हुआ तेरा वादा'

जागरण संवाददाता, हाथरस : खंडहर किले के गर्भ में लगने वाले मेला श्री दाऊजी महाराज परिसर को विकास क

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 01:15 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 01:15 AM (IST)

जागरण संवाददाता, हाथरस : खंडहर किले के गर्भ में लगने वाले मेला श्री दाऊजी महाराज परिसर को विकास की दरकार है। यहां मेला के उद्घाटन के दौरान हर साल वायदे होते हैं, कार्ययोजनाएं तक बन जाती हैं, मगर नतीजा सिफर ही रहता है। वर्तमान लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल ¨सह यादव से लेकर पूर्व पर्यटन मंत्री कोकब हमीद तक इस मेले का उद्घाटन कर चुके हैं और तमाम दिलासाएं दे गए हैं, मगर नतीजा आज तक नहीं आया है।

देखा जाए तो यहां राजा दयाराम के किले के निशान ही बाकी हैं, मगर इसके मध्य बना श्री दाऊजी महाराज का विशाल मंदिर आज भी वैसा का वैसा ही है। इसका शिखर सौ फीट ऊंचा और अठारह फीट चौड़ा है। इस ऐतिहासिक स्थल पर भाद्र मास की देवछठ से हर साल एक सदी से अधिक से मेला लगता आ रहा है। देखा जाए तो इस शहर के लोगों के लिए यही एकमात्र स्वस्थ मनोरंजन का साधन है। इसका लोग एक साल तक बेसब्री से इंतजार करते हैं। मेला परिसर में मेला के दौरान की रौनक रहती है, बाकी सालभर तक यहां बीरानी छा जाती है। मेला उद्घाटन के वक्त परिसर के विकास की तमाम घोषणाएं हर साल होती हैं। योजनाएं भी बन जाती हैं, मगर परिणाम आज तक कुछ भी नहीं आया है। विगत वर्ष मेला उद्घाटन के लिए लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल ¨सह यादव यहां आए थे। उन्होंने मेला परिसर के उत्थान के लिए तमाम कसीदे पढ़े थे। जिलाधिकारी को भी निर्देश दिए थे। इसे धीरे-धीरे एक साल गुजर रहा है, मगर मेला परिसर में घोषणा के मुताबिक कुछ भी नहीं हो सका है। पूर्व पर्यटन मंत्री कोकब हमीद भी यहां कई साल पहले मेला में आए थे। उन्होंने भी तमाम घोषणाएं कीं, मगर वे भी हवाई ही साबित हुईं। उन्होंने कहा था कि इस परिसर का विकास कराकर इसे पर्यटन स्थल घोषित कराया जाएगा। इसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ था और प्रस्ताव भी तैयार हुए थे, लेकिन मेला समाप्त होते ही प्रस्तावों को भी बिसार दिया गया। यही कारण है कि किला परिसर की जमीन पर कब्जे होते जा रहे हैं और ऐतिहासिक स्वरूप बिगड़ता जा रहा है।

एक दशक पूर्व पुरातत्व विभाग कुछ सक्रिय हुआ था। उसने जगह-जगह प्राचीन स्मारक के बोर्ड लगवाए थे। पर्यटन विभाग ने एक गेस्ट हाउस और चैनल के साथ ही पथ प्रकाश की व्यवस्था की थी। वहीं अतिक्रमण न हो सके इसके लिए चार दीवारी का कार्य भी कराया गया। इसके बाद यह विभाग भी इस स्थल को भूल गए। यहां जो टीले थे उनका भी क्षरण हो चुका है।

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार शर्मा की मुहिम के कारण यहां कूड़ा डलना जरूर बंद हो गया है। इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए यहां पर हरतिमा के साथ ही इसे पर्यटन स्थल घोषित करने और यहां पर संग्रहालय बनाए जाने की जरूरत है। इस मंदिर पर जो प्राचीन कलाकृति है उसे भी उकेरा जाए। मल्ल विद्या के पुरोधा बलदाऊ महाराज के इस परिसर में मल्ल व योग विद्या केन्द्र की स्थापना की की जा सकती है।


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