UP: महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए काम कर रहीं अलका, कई के जीवन में भर दी खुशियां
शिवनगर कालोनी निवासी अलका निम दहेज उत्पीड़न के विरुद्ध दिन-रात लड़ाई लड़ रही हैं। बीएससी साइंस तक की शिक्षा इन्होंने प्राप्त की हुई है। अलका का मानना है कि समाज में दहेज प्रथा सबसे बुरी प्रथा है। जिसको रोकने के लिए हर किसी को प्रयास करना होगा।
हापुड़ [संजीव वर्मा]। अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन, दूसरे के लिए जीता है वह संसार में जाना जाता है। ऐसी है हापुड़ की अलका निम। लंबे समय से वह महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ रही है। अब उन्होंने इस लड़ाई को अपना जीवन बना लिया है। इन्होंने दहेज प्रथा को रोकने के लिए प्रदेश भर में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया है। यहां तक कि पीड़ितों को उनके हक दिलाकर जीवन संवारने का काम इनके द्वारा दिया गया है।
इसलिए देश भर में जगह-जगह यह सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में दहेज आदि से पीड़ित महिलाएं इनके पास आती हैं और यह उन्होंने न्याय दिलाने के लिए पुलिस से लेकर न्यायालय तक निश्शुल्क लड़ाई लड़ती है।
शिवनगर कालोनी निवासी अलका निम का बचपन से सपना था कि वह समाज के लिए कुछ करें। जिससे समाज उन्हें याद रखें। सपनों को पूरा करने की शुरुआत वैसे तो उन्होंने शादी से पहले शुरू कर दी थी, लेकिन सपने शादी के बाद पूरे होने शुरू हुए। वर्तमान में वह दहेज उत्पीड़न के विरुद्ध दिन-रात लड़ाई लड़ रही हैं। बीएससी साइंस तक की शिक्षा इन्होंने प्राप्त की हुई है। अलका का मानना है कि समाज में दहेज प्रथा सबसे बुरी प्रथा है। देश में हर दूसरे दिन एक ना एक विवाहिता दहेज की बलि चढ़ती है। जिसको रोकने के लिए हर किसी को प्रयास करना होगा। शादी के बाद से ही अलका ने सपना पूरा करने के लिए समाजसेवा के कार्यों में ध्यान देना शुरू कर दिया।
इन्होंने सबसे पहले दहेज प्रथा को रोकने का बीड़ा उठाया। इसके बाद इन्होंने कुछ महिलाओं को अपने साथ जोड़ा और नारी दहेज उन्मूलन संस्था की प्रदेश अध्यक्ष बन गई। समाज में बेहतर कार्य करते-करते इनकी सराहना जगह-जगह हुई। यही कारण रहा कि इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 में समाज को दहेज रहित बनाने के बेहतर प्रयासों पर सम्मानित किया। अब यह ऑल इंडिया क्राइम रिफार्म्स आर्गेनाइजेशन की सदस्य और मजदूर उत्थान समिति की प्रदेश महासचिव बनकर भी काम कर रही हैं।
गरीब कन्याओं का करा चुकी हैं विवाह
अलका निम 117 गरीब कन्याओं का विवाह भी करा चुकी हैं। साथ ही यह समय-समय पर गरीब व असहाय वृद्धों व बच्चों की आर्थिक मदद करती हैं। बच्चियों की पढ़ाई में वह अपने पास से सहयोग प्रदान करती है।
यह संस्थाएं कर चुकी हैं सम्मानित
लायंस क्लब, अखिल भारतीय दक्षता समिति, इंटरनेशनल महिला पायनियर्स, भारतीय मानव अधिकार एसोसिएशन, आर्य समाज मंदिर, पंचवटी प्रगति पथ, भारतीय दलित साहित्य एकेडमी दिल्ली में भगवान बौद्ध फैलोशिप अवार्ड आदि अन्य दर्जनों संस्थाएं इन्हें देशभर में सम्मानित कर चुकी हैं।