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Lok Sabha Elections: किसान और जाट बेल्ट में भाजपा की खास रणनीति तैयार, कमल को मजबूत करेगा 'नल'

रालोद किसानों को अपना परंपरागत वोटर मानती है। दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान बवाल के बाद बाद से भाजपा को किसान विरोधी के रूप में प्रस्तुत किया गया। किसानों के साथ ही जाट बिरादरी को भी भाजपा विरोधी के रूप में प्रस्तुत किया जाने लगा। ऐसे में चुनाव से पहले भाजपा ने खास रणनीति तैयार की है। जिसका लाभा उसे मिलेगा।

By Dharampal Arya Edited By: Shyamji Tiwari Published: Thu, 21 Mar 2024 04:00 AM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2024 04:05 AM (IST)
किसान और जाट बेल्ट में भाजपा की खास रणनीति तैयार

जागरण संवाददाता, हापुड़। लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा उत्साहित है। प्रत्येक जाति-वर्ग के लोगों से अलग-अलग संपर्क करके लगातार जनाधार तैयार किया जा रहा था। पिछले दिनों रालोद से गठबंधन होने के बाद से जाट बेल्ट में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जगी है। जयन्त चौधरी की सभाओं से भाजपा को अब दोहरा लाभ हो सकता है।

भाजपा को चुनाव में मिलेगा लाभ

एक ओर जहां किसान और कामगार का समर्थन मिल सकेगा, वहीं जाट समाज की नाराजगी भी कम हो जाएगी। किसान आंदोलन के बाद से विपक्ष भाजपा को जाट विरोधी ठहराने पर आमादा था। कई जाट नेता भी भाजपा के विरोध में मुखर थे। आज भी जाट और किसान अपना सर्वमान्य नेता चौधरी चरण सिंह को मानते हैं। उनके पौत्र के रूप में छोटे चौधरी का बड़ा जनाधार है। उसका लाभ भाजपा को अब लोकसभा चुनाव में मिल सकेगा। इसके लिए भाजपा ने जाट और किसान बाहुल्य क्षेत्रों में जयन्त चौधरी की जनसभाओं का आयोजन करने की रूपरेखा तैयार कर ली है।

लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबद्द करने में जुटे हैं। सपा और कांग्रेस का गठबंधन होने से चुनाव मैदान में मुख्य रूप से तीन पार्टियां हैं। बसपा के बड़े वोटबैंक के रूप में किसानों को नहीं माना जाता है। किसानों का साथ मुख्य रूप से भाजपा, कांग्रेस, सपा और रालोद को मिलता रहा है।

इनमें रालोद स्वयं को किसानों की पार्टी के रूप में प्रस्तुत करती रही है। रालोद का नेतृत्व करने वाली तीनों पीढ़ियों के नेता चौधरी चरण सिंह, चौधरी अजित सिंह और जयन्त चौधरी को किसान नेता स्वीकार किया जाता है। यदि जाति-संप्रदाय से ऊपर उठकर वर्गवाद की बात करें तो किसान बड़ी संख्या में हैं। गांव-देहात की ज्यादातर आबादी किसान और कामगार ही हैं।

किसानों को परंपरागत मतदाता मानती रालोद

किसानों-कामगारों को अपने पक्ष में करने के लिए सभी राजनीतिक दलों में खींचतान रही है। भाजपा, कांग्रेस और सपा जहां किसानों को अपना मतदाता मानती रही हैं, वहीं रालोद किसानों को अपना परंपरागत मतदाता मानती है। पिछले कई साल से विभिन्न मांगों को लेकर बार्डर पर आंदोलन हुआ।

दिल्ली में भी ट्रैक्टर रैली निकाली गई और जमकर बवाल हुआ था। उसके बाद से भाजपा को किसान विरोधी के रूप में प्रस्तुत किया गया। किसानों के साथ ही जाट बिरादरी को भी भाजपा विरोधी के रूप में प्रस्तुत किया जाने लगा। ऐसे में भाजपा ने किसानों को साधने में पूरी ताकत झोक दी थी। काफी हद तक भाजपा किसानों और जाट बेल्ट को साधने में सफल भी रही।

भारत रत्न से मिली ऊर्जा

पिछले दिनों भाजपा ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के एलान किया। उसके साथ ही रालोद के साथ गठबंधन हो गया। यह दोनों मामले भाजपा के लिए किसान और जाट बेल्ट में ऊर्जा देने वाले रहे। किसानों और जाटों में भाजपा के प्रति विरोध लगभग समाप्त हो गया है। अब चुनाव प्रचार में जयन्त चौधरी के जनाधार व किसान प्रेम का लाभ भाजपा को मिलेगा।

ऐसे में भाजपा ने किसान और जाट बेल्ट में जयन्त चौधरी की जनसभा की रणनीति तैयार कर ली है। उनकी सभा ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित की जाएंगी। भाजपा सूत्रों का दावा है कि मुजफ्फरनगर से मथुरा तक जयन्त चौधरी की जनसभाओं को अंतिम रूप दिया जा चुका है। भाजपा संगठन ने इसकी सूची पार्टी हाईकमान को भेज दी है।किसान हित में भाजपा द्वारा चलाई गई योजनाओं को भी जयन्त चौधरी अपने तरीके से किसानों के सामने रखेंगे।

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