Hapur News: नो-केन की स्थिति से जुझने लगी सिंभावली मिल, पिछले वर्ष के मुकाबले 20 लाख क्विंटल कम मिला गन्ना
Hapur News मार्च के मध्यांह से ही हापुड़ की सिंभावली शुगर मिल नो-केन की स्थिति से जुझने लगी है। अभी सिंभावली चीनी मिल पर पिछले करीब दो सप्ताह से प्रतिदिन दस हजार क्विंटल से अधिक गन्ना कम आ रहा है। पिछले तीन वर्ष में चार हजार हेक्टेयर से अधिक गन्ने का क्षेत्रफल घटा दिया जिसका असर इस वर्ष साफ दिखाई दिया।
जागरण संवाददाता, हापुड़। गन्ना क्षेत्रफल कम होने का असर मिलों के पेराई सत्र पर साफ दिखाई देने लगा है। मार्च के मध्यांह से ही सिंभावली शुगर मिल नो-केन की स्थिति से जुझने लगी है, परिणाम स्वरुप मिलों का वर्तमान पेराई सत्र मार्च के अंत अथवा अप्रैल के प्रथम सप्ताह में बंद होने के पूर्ण आसार बन गए है।
पिछले डेढ़ दशक में समय पर गन्ना भुगतान नहीं करने की मिलों की नीति अब चीनी मिल प्रबंध तंत्र पर ही भारी पड़ने लगी है। समय पर गन्ना भुगतान नहीं होने से नाराज किसानों ने पिछले तीन वर्ष में चार हजार हेक्टेयर से अधिक गन्ने का क्षेत्रफल घटा दिया, जिसका असर इस वर्ष साफ दिखाई दिया।
गन्ना क्षेत्रफल कम होने से जहां कोल्हुओं पर गन्ना सरकारी दाम 370 रुपये से अधिक पर खरीदा गया तो वहीं दूसरी मिलों अथवा छोटे क्रेशरों ने 400 रुपये प्रति क्विंटल तक गन्ना खरीदा, जिस कारण जिले की दोनों मिलों सिंभावली एवं ब्रजनाथपुर चीनी मिल के सामने पेराई सत्र समय से पूर्व बंद होने के पूर्ण आसार बन गए है।
20 लाख क्विंटल कम मिला गन्ना
वर्तमान में सिंभावली चीनी मिल पर पिछले करीब दो सप्ताह से प्रतिदिन दस हजार क्विंटल से अधिक गन्ना कम आ रहा है। सीजीएम करन सिंह ने बताया कि पिछले सत्र के मुकाबले इस वर्ष करीब 20 लाख क्विंटल गन्ना कम आया है, जिससे मिल के समय पूर्व बंद होने के आसार बन रहे है। हालांकि ब्रजनाथपुर चीनी मिल को अभी तक गन्ना पूर्ण रुप से मिल रहा है।
यह है स्थिति
ब्रजनाथपुर चीनी मिल का पेराई सत्र एक नवंबर तथा सिंभावली चीनी मिल का पेराई सत्र पांच नवंबर को शुरू हुआ था। वर्तमान पेराई सत्र में सिंभावली मिल ने एक लाख 67 हजार क्विंटल, ब्रजनाथपुर मिल ने 44 लाख क्विंटल (कुल दो लाख 11 हजार क्विंटल) गन्ने की पेराई कर दी है, जिसकी अमूमन कीमत करीब 780 करोड़ रुपये बैठती है।
इसमें से किसानों को सिंभावली ने 23 नवंबर तक का 77 करोड़ 11 लाख तथा ब्रजनाथपुर शुगर मिल ने 22 नवंबर तक का 38 करोड़ 24 लाख (कुल 115 करोड़ 35 लाख) का भुगतान किया है। इस पेराई सत्र से प्राप्त आय से मिलों ने पिछले पेराई सत्र का भी भुगतान जनवरी माह तक किया है।
14 दिनों पूर्व तक किसानों का मिल पर 530 करोड़ रुपये बकाया था, यदि 14 दिन के गन्ना खरीद को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 665 करोड़ रुपये के करीब हो जाएगा। मिलों की गन्ना भुगतान की स्थिति को देखकर साफ जाहिर हो जाएगा कि जिले में गन्ना किसान किस दौर से गुजर रहा है।
इस तरह घटा क्षेत्रफल
- वर्ष 2021- 42847
- वर्ष 2022- 41946
- वर्ष 2023- 38346
सिंभावली चीनी मिल को क्षमता के हिसाब से प्रतिदिन करीब दस हजार क्विंटल गन्ना कम आ रहा है, जिसके कारण मिल के सामने नो-केन की स्थिति पैदा हो रही है।मार्च के अंत अथवा अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मिल का पेराई सत्र बंद हो सकता है।
-- करन सिंह, सीजीएम सिंभावली चीनी मिल