सोलर उर्जा के क्षेत्र में आने वाली है क्रांति, हो रहा है नया शोध
सोलर उर्जा के क्षेत्र में नई क्रांति आने वाली है। माना जा रहा है कि शोध के लिए अब सोलर पैनल या इस तरह के किसी यंत्र की जरूरत नहीं पड़ेगी। शोधपत्र को युनाइटेट किंगडम के अंतरराष्ट्रीय जर्नल एनर्जी कनवर्जन एंड मैनेजमेंट ने भी प्रकाशित किया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। एक शोध में यह बात सामने आई है कि शोध के लिए अब सोलर पैनल या इस तरह के किसी यंत्र की जरूरत नहीं पड़ेगी। शोधपत्र को युनाइटेट किंगडम के अंतरराष्ट्रीय जर्नल एनर्जी कनवर्जन एंड मैनेजमेंट ने भी प्रकाशित किया है।
विश्वविद्यालय प्रोफेसर के आंदोलन को अधिवक्ताओं का समर्थन : बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट के अध्यक्ष मनोज कुमार पांडेय एवं मंत्री धीरेंद्र कुमार द्विवेदी ने संयुक्त रूप से विज्ञप्ति जारी कर गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता द्वारा कुलपति के भ्रष्टाचार के खिलाफ किए जा रहे आमरण अनशन का अधिवक्ता समर्थन किया है।
अध्यक्ष एवं मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना पुर्वांचल के विद्यार्थियों के समुचित शिक्षा के लिए हुआ था,लेकिन विश्वविद्यालय आज अराजकता की भेट चढ़ गया है। शिक्षक से लेकर कर्मचारी तक सब लोग भय के वातावरण में कार्य कर रहे है। प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने वर्तमान कुलपति के कारनामों के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हे विश्वविद्यालय प्रशासन ने निलंबित कर दिया। तीन दिन से वह आमरण अनशन पर बैठे हैं परंतु उनके मांगों के संदर्भ में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन उनके मांगों के संदर्भ में विचार नहीं किया है तो अधिवक्ता समुदाय उनकी लड़ाई को सफल बनाने के लिए हर संभव सहयोग करेगा। पूर्व मंत्री जितेंद्र धर दूबे, आशुतोष मिश्र, डाक्टर सुभाष चंद्र शुक्ल ने भी प्रोफेसर गुप्ता के आंदोलन को समर्थन दिया है ।
आइसीएआर सोसाइटी के सदस्य बने डा. विनोद सिंह : जिले के पीपीगंज के पास स्थित ग्राम बढ़या चौक निवासी डा. विनोद सिंह को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) सोसाइटी की साधारण सभा का सदस्य बनाया गया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री व आइसीएआर सोसाइटी के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने डा. विनोद को सदस्य नामित किया है। डा. सिंह वर्तमान में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग में पिछले 35 वर्षों से शिक्षण एवं शोध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने गेहूं की कई प्रजातियां विकसित की हैं।