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चलती ट्रेन में डुप्लीकेट टिकट रखते हैं रेलकर्मी, जानें-क्यों नहीं लग पा रहा फर्जीवाड़े पर अंकुश

रेलवे में चलरी ट्रेन से टिकट बना देना आम बात है। दर असल वह डुप्लीकेट टिकट होते हैं। उसकी आड़ में फर्जी टिकट का खेल भी शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 05:45 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 06:34 AM (IST)
चलती ट्रेन में डुप्लीकेट टिकट रखते हैं रेलकर्मी, जानें-क्यों नहीं लग पा रहा फर्जीवाड़े पर अंकुश

गोरखपुर, जेएनएन। एक्सेस फेयर टिकट (ईएफटी) में सेंधमारी कोई नहीं बात नहीं है। रेलवे के अपने ही रेलवे को लाखों का चूना लगा रहे हैं। रेलकर्मी अपने साथ डुप्लीकेट ईएफटी लेकर चलते हैं। आए दिन मामला प्रकाश में आता रहता है। जांच भी होती है। कार्रवाई के नाम पर खानापूरी ही होती है। ऐसे में फर्जीवाड़ा पर अंकुश नहीं लग पाता।

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संबंधित रेलकर्मी तो बकायदा नकली ईएफटी छपवा लेते हैं। 16 नवंबर, 2016 को रेलवे की विजिलेंस टीम ने लखनऊ स्थित करामत बिल्डिंग की एक दुकान से नकली ईएफटी छापने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया था। वे कुछ रेलकर्मियों के सहयोग से ईएफटी छाप रहे थे। पूछताछ में पता चला कि नकली ईएफटी से यात्रियों का टिकट, जुर्माना और पार्सल चार्ज आदि बनाए जा रहे हैं। 25 मई, 2014 को पूर्वोत्तर रेलवे की जांच टीम ने नेपाली मूल के छह लोगों के खिलाफ ईएफटी में फ्राड के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। यहां जान लें कि ईएफटी चल टिकट परीक्षकों के पास होता है। उसके जरिये वह टिकट और जुर्माना बनाते हैं।

ऐसे लगाते हैं चपत

संबंधित रेलकर्मी असली की तरह नकली ईएफटी बनवा लेते हैं। वे अपने साथ असली और नकली दोनों ईएफटी लेकर चलते हैं। असली ईएफटी का पैसा रेलवे को जाता है। फर्जी वाले से अपनी जेब भरते हैं। अक्सर, भोले-भाले यात्रियों का टिकट और जुर्माना नकली ईएफटी से ही बनाते हैं। यही नहीं दलालों का नेटवर्क भी सक्रिय रहता है। स्टेशन या ट्रेन में टिकट के लिए परेशान यात्रियों को झांसे में लेकर पेनाल्टी और किराया वसूली दिखाकर वे ईएफटी काट देते हैं। रास्ते में टीटीई यात्री के पास उपलब्ध ईएफटी को देखता है तो आगे बढ़ जाता है। वह उसकी छानबीन नहीं करता।

पिछले साल गोंडा में पकड़ा गया था ईएफटी का गड़बड़झाला

कुछ तो डुप्लीकेट ईएफटी बनवा लेते हैं। कुछ असली ईएफटी का पैसा ही रेलवे को जमा नहीं करते हैं। इसी तरह का मामला पिछले साल गोंडा में प्रकाश में आया था। एक संबंधित रेलकर्मी ईएफटी का पैसा रेलवे में जमा ही नहीं करता था। संबंधित विभागों को भी इसकी भनक नहीं लग पा रही थी। डीसीआइ विशाल कुमार श्रीवास्तव ने जुलाई,2018 में मामले का पर्दाफाश किया। जांच में पता चला कि रेलकर्मी ने ईएफटी से वसूला गया लगभग 15 लाख रुपये रेलवे को जमा ही नहीं किया है।


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