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गोरखपुर-नरकटियागंज रूट पर पड़ी सुखद रेल यात्रा की नींव, तीन साल बाद इन लोगों के लिए आसान होगी राह

16 अगस्त 2023 को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने दोहरीकरण की मंजूरी दे दी। 3 साल में दोहरीकरण पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है। यद्यपि रेल मंत्रालय ने दोहरीकरण को पूरा करने के लिए 1120 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए रेल मंत्रालय ने बजट में 310 करोड़ रुपये का प्रविधान भी कर दिया है।

By Prem Naranyan Dwivedi Edited By: Vivek Shukla Published: Thu, 07 Mar 2024 11:37 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2024 11:39 AM (IST)
उत्तर और पूर्वोत्तर को मिलेगा वैकल्पिक रेलमार्ग।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर-नरकटियागंज रूट पर बुधवार को सुखद रेल यात्रा की नींव पड़ गई। तीन साल बाद उत्तर और पूर्वोत्तर को एक वैकल्पिक रेलमार्ग मिल जाएगा, जिसपर यात्रियों की मांग के अनुसार ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। करीब 15 अतिरिक्त मालगाड़ियों के अलावा दर्जनभर और यात्री ट्रेनें चल सकेंगी।

गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज और बिहार के लोगों की राह आसान होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के बेतिया में 8700 करोड़ लागत की परियोजनाओं के साथ गोरखपुर कैंट से वाल्मीकिनगर तक 96 किलोमीटर रेल लाइन के दोहरीकरण व विद्युतीकरण की आधारशिला भी रखी। रेल मंत्रालय ने वर्ष 2019-20 में गोरखपुर कैंट-वाल्मीकिनगर रेलमार्ग के दोहरीकरण की स्वीकृति प्रदान की थी।

16 अगस्त 2023 को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने दोहरीकरण की मंजूरी दे दी। 3 साल में दोहरीकरण पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है। यद्यपि, रेल मंत्रालय ने दोहरीकरण को पूरा करने के लिए 1120 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए रेल मंत्रालय ने बजट में 310 करोड़ रुपये का प्रविधान भी कर दिया है।

रेल मंत्रालय की पहल पर पूर्वोत्तर रेलवे ने निर्माण कार्य की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। कैंट से कप्तानगंज तक करीब 36 किमी रेल लाइन के दोहरीकरण के लिए एजेंसी नामित कर दी गई है, जो मिट्टी और गिट्टी भराई के अलावा स्टेशनों के विस्तार, प्लेटफार्म और पुल निर्माण का कार्य करेगी। कप्तानगंज से पनियहवा तक निर्माण के लिए भी जल्द ही टेंडर फाइनल कर लिया जाएगा।

गंडक नदी पर करीब 854 मीटर लंबा पुल बनेगा। गोरखपुर से वाल्मीकिनगर के बीच 16 बड़े व 38 छोटे पुल बनेंगे। कैंट, उनौला, पिपराइच, बोदरवार, कप्तानगंज, घुघली, सिसवा बाजार, पनियहवा, वाल्मीकिनगर सहित 10 क्रासिंग स्टेशन व महुअवा खुर्द और गुरलीराम गढ़वा हाल्ट स्टेशन बनेंगे। कुल 96 किमी दोहरीकरण में लगभग 89 किमी उत्तर प्रदेश और लगभग 06.05 किमी बिहार में निर्माण होगा।

उत्तर से पूर्व तक पूरा हो जाएगा रेलमार्ग का दोहरीकरण

गोरखपुर-वाल्मीकिनगर रेलमार्ग का दोहरीकरण पूरा होते ही उत्तर से पूर्व तक का दोहरीकरण कार्य पूरा हो जाएगा। मालगाड़ियां और यात्री ट्रेनें कम समय में उत्तर भारत पंजाब से पूर्वी भारत आसाम के लबडिंग तक पहुंच जाएंगी। पंजाब से आसाम के बीच गोरखपुर-वाल्मीकिनगर रूट ही दोहरीकरण से अछूता रहा है।

पूर्वी भारत से उत्तर और पूर्वोत्तर की कनेक्टिविटी ही सुगम नहीं होगी, बल्कि गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर और पश्चिमी चंपारण के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। निर्माण कार्य के दौरान 32 लाख मानव दिवस का सृजन होगा। वर्तमान में गोरखपुर-नरकटियागंज रूट पर करीब 35 जोड़ी ट्रेनों का संचालन हो रहा है।


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