Railway News: सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई NER की दर्जन भर रेल लाइनें, सहजनवां-दोहरीघाट को भी भूल गया मंत्रालय
गुरु गोरक्षनाथ की भूमि गोरखपुर से पडरौना के रास्ते भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर तक रेल लाइन बिछाने की योजना अधर में लटकी है। छह बार के सर्वे और कैबिनेट की मंजूरी के बाद भी सहजनवां-दोहरीघाट रेल लाइन फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई।
गोरखपुर, जेएनएन। रेल और वित्त मंत्रालय को इस बार के बजट में भी तथागत याद नहीं आए। गुरु गोरक्षनाथ की भूमि गोरखपुर से पडरौना के रास्ते भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर तक रेल लाइन बिछाने की योजना अधर में लटकी है। छह बार के सर्वे और कैबिनेट की मंजूरी के बाद भी सहजनवां-दोहरीघाट रेल लाइन फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई। दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे की लगभग दर्जन भर नई रेल योजनाएं सर्वे से आगे नहीं बढ़ पा रहीं। इन योजनाओं के लिए प्रत्येक वर्ष आवंटित होने वाला एक-एक हजार का बजट पूर्वांचल के लोगों को मुंह चिढ़ाता है।
महत्वपूर्ण सहजनवां-दोहरीघाट लगभग 80 किमी नई रेल लाइन को 17 जुलाई 2019 को कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति दी थी। लोगों की आस बढ़ गई थी कि शायद इसबार बजट में धन मिल जाए। लेकिन निराशा ही हाथ लगी है। बासगांव क्षेत्र के लोगों को आज भी 40 किमी चलकर ट्रेन पकडऩा पड़ता है। आनंदनगर- महराजगंज-घुघली लगभग 50 किमी नई रेल लाइन की स्थिति भी यही है। जिला मुख्यालय होने के बाद भी महराजगंज के लोगों को ट्रेनों की छुक-छुक नहीं सुनाई देती है।
भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को रेलमार्ग से नहीं जोड़ पाया रेलवे
बौद्ध सर्किट को यातायात की दृष्टि से समृद्ध करने की योजना भी भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को रेलमार्ग से नहीं जोड़ पाई है। पर्यटकों को सड़कमार्ग से ही कुशीनगर पहुंचना पड़ता है। करीब 64 किमी रेल लाइन के लिए पूर्व के बजट में 1345 करोड़ रुपए आवंटित भी किया था। हालांकि, इस बार मंत्रालय ने दो नई रेल लाइनों के लिए बजट दिया। जिसमें मऊ-गाजीपुर-ताड़ीघाट के लिए तो पर्याप्त धन मिला है लेकिन बहराइच-श्रावस्ती-बलरामपुर के लिए आवंटित बजट ऊंट के मुंह में जीरा के ही समान है।
अधर में लटकी नई रेल लाइन योजनाएं
सहजनवां-दोहरीघाट, पडरौना-कुशीनगर, आनंदनगर-महराजगंज-घुघली, कपिलवस्तु-बांसी-बस्ती, छितौनी-तमकुहीरोड, हथुआ-भटनी, महराजगंज-मशरख, किच्छा-खटीमा, रामपुर-लालकुआं-काठगोदाम और एटा-कासगंज।