नमस्ते! मैं ईवीएम हूं... इन नौ पांइट में मुझे जानकर मन में नहीं रहेगा कोई सवाल
Know all about evm लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पर्टियां मतदान अपने पक्ष में कराने के लिए जनता के बीच पहुंंच रही हैं। इस बार का चुनाव भी ईवीएम से होने वाला है। ईवीएम को लेकर विपक्ष अक्सर इसकी पादर्शिता को लेकर सवाल उठाता रहता है। ऐसे में हम आपको बहुत आसान शब्दों में इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे।
नमस्ते! मैं ईवीएम हूं। पूरा नाम इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन है। कंट्रोल यूनिट (सीयू), बैलेट यूनिट (बीयू) मेरे दो महत्वपूर्ण अंग हैं। किसी प्रकार के पक्षपात का आरोप न लगे इसलिए मैंने वीवीपैट को भी अपने साथ जोड़ा है। यानी इन तीन इकाइयों से मिलकर मैं चुनाव कराने के लिए पूरी होती हूं। 16 मार्च को भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की पत्रकारवार्ता तो याद ही होगी आपको।
परिणाम के बाद हारने वाले की ओर से बार-बार लगाए जाने वाले पक्षपात के आरोपों से मैं ही नहीं, अपना निर्वाचन आयोग भी हतप्रभ है। मैं आज आपको अपना पूरा परिचय देना चाहती हूं। चुनाव के लिए किसी जिले में आने से लेकर मतगणना के बाद वापस जाने तक का सफर बताउंगी।
ध्यान दीजिएगा...मेरी कोशिश है कि आपके मन में कोई सवाल न रह जाए। कितनी कड़ी निगरानी के बीच मुझे तैयार किया जाता है। हर कदम पर पारदर्शिता के मानक पूरे किए जाते हैं। 18वें लोकसभा के सामान्य निर्वाचन के बहाने मैं आपको सिलसिलेवार अपनी पूरी यात्रा के बारे में बताने जा रही हूं। ध्यान से पढ़िएगा...
1- ऐसे पहुंचती हूं आपके जिले में मेरा निर्माण भारत की दो कंपनियों में ही होता है। एक भारत इलेक्ट्रिकानिक्स लिमिटेड (बीईएल) और दूसरी है इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआइएल)। जरूरत का 50-50 प्रतिशत हिस्सा दोनों कंपनियों में तैयार होता है। शुरू में मैं माडल एक (एम-1), माडल दो (एम-2) के रूप में तैयार होती थी। उस समय मेरी क्षमता थोड़ी कम थी यानी अधिकतम 64 प्रत्याशियों का भार ही उठा सकती थी। यानी इतने ही प्रत्याशियों के लिए मतदान हो सकता था। पिछले कुछ चुनावों से मेरी क्षमता बढ़ गई है। अब मैं माडल तीन (एम-3) के रूप में पहचानी जाती हूं।
मेरे एक सीयू में 24 बीयू लग सकते हैं। एक बीयू में 16 प्रत्याशियों के नाम भरे जा सकते हैं। इस तरह एक बार में मैं 384 प्रत्याशियों के नाम समाहित कर सकती हूं। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में एम 3 के रूप में ही जाती हूं, एम 1, एम 2 नगर निकायों में प्रयोग हो जाते हैं। जैसे ही मेरा निर्माण होता है, भारत निर्वाचन आयोग सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचक अधिकारियों के नाम मेरा आवंटन कर देता है। वहां से जिला निर्वाचन अधिकारियों के नाम आवंटन हो जाता है और मैं निर्धारित संख्या में संबंधित जिले में पहुंच जाती हूं।
इसे भी पढ़ें- बेंगलुरु, चेन्नई की तर्ज पर बनेगी गोरक्षनगरी की सीएम ग्रिड सड़क, इस तकनीक से सुंदरता में लगेंगे चार चांद2- छह महीने पहले से शुरू हो जाती है मेरी जांच संभावित चुनाव से छह महीने पहले ही मेरी विधिवत जांच होती है। जिस कंपनी ने मुझे तैयार किया था, उसी के अभियंता जिलों के गोदाम में पहुंचकर मेरी जांच करते हैं। इस जांच को कहते हैं प्रथम स्तर की जांच यानी एफएलसी। मेरी सभी इकाइयों की बारीकी से जांच होती है।
सफल होने पर एफएलसी ओके का प्रमाण पत्र मिलता है कोई तकनीकी खामी मिलती है तो एफलसी नाट ओके का ठप्पा लग जाता है। मेरे इस हिस्से को वापस कंपनी के पास भेज दिया जाता है। पारदर्शिता की बात भी बताती हूं, इस पूरी प्रक्रिया के समय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाता है। सबकुछ उनके सामने होता है। एफएलसी ओके वाली मशीनों में से एक प्रतिशत में 12-12 सौ वोट डालकर माक पोल किया जाता है।
3- चुनाव तिथि निर्धारित हो जाने पर होता है मेरा पहला रैंडमाइजेशन चुनाव तिथि निर्धारित हो जाने पर मेरा पहला रैंडमाइजेशन होता है। रैंडमाइजेशन उन्हीं मशीनों का किया जाता है, जिसे एफएलसी ओके का प्रमाण पत्र मिला होता है। इस प्रक्रिया के 48 घंटे पहले जिला निर्वाचन अधिकारी सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूचना देकर उनके प्रतिनिधियों को उपस्थित रहने के लिए कहते हैं।
उसके बाद उनके सामने ही कंप्यूटर से रैंडमाइजेशन होता है। जब तक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि ओके नहीं करते, यह प्रक्रिया चलती रहती है। उनकी सहमति के बाद अंतिम सूची निकलती है। उसमें यह तय होता है कि मेरी कौन सी आइडी वाली मशीन किस विधानसभा क्षेत्र में जाएगी।मैं वहां के स्ट्रांग रूम में रख दी जाती हूं। एक ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम (ईएमएस) भी है, इसके जरिए निर्वाचन आयोग के अधिकारी देख सकते हैं कि किस आइडी की मशीन किस जिले के किस विधानसभा के किस गोदाम में है। चुनाव के लिए मेरी इकाई सीयू व बीयू बूथों की संख्या के सापेक्ष 120 प्रतिशत व वीवीपैट 135 प्रतिशत के बराबर आवंटित होती है।
कुल मशीनों में से 20 प्रतिशत प्रशिक्षण व जागरूकता के लिए दिया जाता है। चुनाव के लिए मेरी जो आइडी एक बार आरक्षित हो गई, उसमें फिर कोई बदलाव नहीं कर सकता है। मेरी जिस आइडी का प्रयोग प्रशिक्षण में होता है, वह दूसरे गोदाम में रखा जाता है।
4- अब जानिए प्रत्याशियों के नाम फीड करने की प्रक्रिया जैसे ही नामांकन प्रक्रिया में फार्म सात एक जारी हो जाता है यानी नाम वापसी के बाद वैध प्रत्याशियों की सूची जारी होती है, मेरी कमीशनिंग शुरू हो जाती है। इसमें सभी प्रत्याशी या उनके निर्वाचक एजेंट मौजूद रहते हैं। बीयू में थंब व्हील स्विच के जरिए अंकन किया जाता है।अंकन में थोड़ी भी गड़बड़ी हुई यानी अंक पूरी तरह से साफ नहीं दिखे तो मैं स्वत: ही काम करना बंद कर देती हूं। बैलेट मेरी इकाई बीयू में भरा जाता है। जितने प्रत्याशी हैं, उतने नीले बटन एक्टिव होते हैं, शेष बटन की मास्किंग हो जाती है यानी वे बटन नीले नहीं दिखते। इसके बाद बीयू को सील कर दिया जाता है।
अब आते हैं सीयू की कमीशनिंग पर। सीयू के कैंडीडेट सेट सेक्शन में कैंडीडेट सेट बटन व पावर पैक (बैट्री) होती है। कैंडिडेट सेट बटन से प्रत्याशियों के नाम, चुनाव निशान सेट कर दिए जाते हैं। फिर इसे सील कर दिया जाता है। कैंडिडेट सेट बटन को किसी को खोलने का अधिकार नहीं होता। पावर पैक की सील अलग होती है, इसमें बैट्री बदलने के लिए खोला जा सकता है, हालांकि जरूरत कम पड़ती है। इसके बाद कमीशन की गई मशीनें रख दी जाती हैं।
5- ऐसे पहुंचती हूं बूथ पर जिस दिन पोलिंग पार्टियों को रवाना होता है, उसके एक दिल पहले मध्य रात्रि के बाद अंतिम रैंडमाइजेशन होता है। इसमें यह तय हो जाता है कि मेरी किस आइडी की मशीन किस बूथ पर जाएगी। उसका पता भी लगा दिया जाता है। इस दौरान भी सभी प्रत्याशी उपस्थित रहते हैं। यहां से संबंधित पोलिंग पार्टी के हाथ मेरी जिम्मेदारी दे दी जाती है और उनके साथ मैं बूथ तक पहुंच जाती हूं।इसे भी पढ़ें- सूर्य की किरणों ने रामलला के ललाट पर पड़ते ही बिखेरा अद्भुत नजारा, वीडियो देखकर खुश हो जाएंगे आप6- मतदान के दिन तीनों इकाइयों को किया जाता है तैयार मतदान के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से निर्धारित समय से 90 मिनट पहले मेरे तीनों इकाइयों-सीयू, बीयू व वीवीपैट को तैयार कर लिया जाता है। फिर शुरू होती है माक पोल की प्रक्रिया। पहले सीयू के रिजल्ट सेक्शन के जरिए डेटा शून्य किया जाता है। उसके बाद एक-एक प्रत्याशी का एजेंट माक पोल करता है।मशीन शुरू होने पर ही वीवीपैट में सात पर्ची कटकर गिरती है, जिसपर लिखा होता है नाट टू बी काउंट। माक पोल के बाद वीवीपैट में कटकर गिरी पर्ची, पहले की सात पर्ची को निकाल लिया जाता है। माक पोल की पर्ची के पीछे माक पोल की मुहर लगाकर काले लिफाफे में रख दिया जाता है। उसके बाद सीयू में सभी पड़े वोट शून्य कर मतदान शुरू होता है।7- जानिए, बूथ पर कैसे पूरा होता है आपका मतदान मैं बूथ पर पूरी तरह तैयार होती हूं। सीयू मतदान अधिकारी तृतीय (पीओ तीन) के पास होता है और बीयू मतदाता के लिए बने स्थान पर। दोनों के बीच की दूरी पांच मीटर से कम होती है। जब जांच के बाद आप पीओ तीन के पास पहुंचते हैं तो वह सीयू के बैलेट सेक्शन में बैलेट बटन दबाते हैं।इसके साथ ही सीयू में ऊपर लाल लाइट (बीजी लैंप) जल उठता है। आप बीयू के पास जाते हैं। ध्यान रखिएगा मेरी इस इकाई के ऊपर हरी लाइट (रेडी लैंप) जलती मिलेगी। यह लाइट जब तक जलती न मिले, तब तक मानिए वोट के लिए मशीन तैयार नहीं है। जैसे ही आप अपने पसंदीदा प्रत्याशी के सामने का नीला बटन दबाते हैं ऊपर की हरी लाइट बुझ जाती है और दबाए गए नीले बटन के सामने लाल लाइट जलने लगती है।सात सेकेंड तक पास में लगे वीवीपैट में एक पर्ची छपकर आती है, जिसपर प्रत्याशी का क्रमांक, नाम व चुनाव निशान होता है। जब पर्ची कटकर गिर जाए तो मानिए वीवीपैट में वोट रिकार्ड हो गया। इसके तुरंत बाद तीन से चार सेकेंड तक बीप की आवाज होती है यानी आपका मत सीयू में दर्ज हो रहा है।इस 10 सेकेंड की प्रक्रिया में आपका मतदान पूरा हो जाता है। बीप की आवाज खत्म होने के साथ बीजी लैंप व नीले बटन के बगल की लाल लाइट भी बुझ जाएगी। मतदान पूरा होने के बाद मशीन को सील कर जमा कर दिया जाता है।8- मतगणना के दिनमतगणना के दिन केवल सीयू निकाला जाता है। रिजल्ट सेक्शन को पूरी तरह से खोला नहीं जाता है बल्कि ऊपर लगे पेपर सील को खोलकर रिजल्ट बटन दबाया जाता है और एलईडी स्क्रीन पर कुल वोट एवं प्रत्याशियों को मिले वोट नजर आ जाते हैं। इसके बाद मतगणना इसी तरह पूरी होती है। एक विधानसभा क्षेत्र में पांच बूथ पर वीवीपैट की पर्ची की भी गिनती होती है। इसके बाद मुझे क्लियर किए बिना 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाता है। उसके बाद ही कहीं और भेजा जाता है।9- नहीं होता है बिजली का उपयोग मैं बिना बिजली के प्रयोग के संचालित होती हूं। मेरी सीयू में 6.5 वोल्ट की बैट्री होती है। इससे चार बीयू भी संचालित हो जाते हैं। वीवीपैट में 22.5 वोल्ट की बैट्री होती है। 10 बीयू से अधिक हुआ तो दूसरा वीवीपैट लगाना पड़ सकता है।ये भी जानें
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- 99 मिलीमीटर लंबाई व 56 मिलीमीटर चौड़ाई है वीवीपैट में कटकर गिरने वाली पर्ची की
- 2000 पर्ची स्टोर करने की है क्षमता एक वीवीपैट में। पर्ची में प्रत्याशी का क्रमांक, नाम व चुनाव निशान होता है
- 120 प्रतिशत बैलेट यूनिट एवं इतना ही कंट्रोल यूनिट की व्यवस्था बूथ के सापेक्ष की गई है।
- 135 प्रतिशत है वीवीपैट की संख्या बूथों के सापेक्ष