UP Lok Sabha Election: 3500 करोड़ की लागत से बना है यह राष्ट्रीय राजमार्ग, डबल इंजन की रफ्तार से रिश्ते और हुए प्रगाढ़
गुरु गोरखनाथ की धरती से बाबा विश्वनाथ की नगरी का रिश्ता और प्रगाढ़ हुआ है। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में डबल इंजन की सरकार पर सवार होकर विकास ने फर्राटा भरा तो सीएम सिटी से पीएम सिटी बनारस 10 से घटकर चार घंटे के फासले पर आ गई। यह फोरलेन सामाजिक-आर्थिक बदलाव का सूत्रधार बनकर उभर रहा है। अरुण चन्द की रिपोर्ट...
सात साल पहले तक सोनभद्र से गिट्टी और मौरंग के ट्रक चलते थे। ये कभी जाम में फंस जाते तो कभी गड्ढों की वजह से खराब हो जाते थे। गोरखपुर आने में 18 से 20 घंटे लग जाते थे। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए गोरखपुर एवं आसपास के जिलों के लोग हों या फिर वाराणसी से गुरु गोरक्षनाथ, भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर या फिर नेपाल आने को इच्छुक पर्यटक, सड़क मार्ग को अंतिम विकल्प के रूप में चुनते थे।
गोरखपुर से वाराणसी तक चौड़ी व गड्ढा मुक्त सड़क की जरूरत को हर सरकार मानती थी, लेकिन यह संभव तब हुआ जब केंद्र के बाद प्रदेश में भी 2017 में भाजपा की सरकार आई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस सड़क को फोरलेन करने की मांग उठाई और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी आधारशिला रख दी। 3500 करोड़ की लागत से छह साल में जब सड़क बनकर तैयार हुई तो आज विकास भी फर्राटा भरने लगा है।
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10 घंटे की दूरी महज चार घंटे में पूरी हो जा रही है। सुबह घर से निकलकर रात तक वापस आने के लिए अब सोचना नहीं पड़ता। गोरक्षनगरी व आसपास के जिलों के लोगों के लिए अब बाबा विश्वनाथ दूर नहीं हैं तो काशी के लोगों के लिए गुरु गोरक्षनाथ। बेलीपार के व्यापारी विजय मोदनवाल बताते हैं कि अब वाराणसी से आना-जाना आसान हो गया है।
225 किमी की दूरी तक सड़क किनारे के कई वीरान पड़े क्षेत्र गुलजार हो गए हैं, तमाम लोग आत्मनिर्भर बनने के साथ औरों को भी रोजगार देने की स्थिति में हैं। व्यापार को भी बढ़ावा मिला है। कई शिक्षण संस्थान यहां खुले हैं। कई की नींव पड़ी है। हाईवे के दोनों किनारों पर कई होटल, ढाबे और बाजार विकसित हुए हैं।
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भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, गुरु गोरक्षनाथ की तपोभूमि गोरखपुर और कबीर स्थली मगहर। दुनिया का कोई भी हिस्सा अलग-अलग परंपराओं में सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से इतना समृद्ध नहीं है। इसके बावजूद यह क्षेत्र सात साल पहले तक पर्यटन की दृष्टि से पिछड़ा ही रहा, लेकिन गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन के निर्माण से अब तस्वीर बदल रही है।
गोरखपुर नए पर्यटन हब के रूप में उभर रहा है और इसमें काशी से गोरक्षनगरी को जोड़ने वाली फोरलेन सड़क का भी बड़ा योगदान है। कुशीनगर हो या नेपाल बड़ी संख्या में पर्यटक वाराणसी से गोरखपुर होकर ही जाते हैं। पर्यटक बढ़े तो कभी गिनती के होटलों वाला गोरखपुर अब होटल हब के रूप में पहचान लेने लगा है।
सरयू नदी पर पुल का सपना हुआ साकार
बड़हलगंज के संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि एक महीना पहले तक गोरखपुर से वाराणसी के बीच सिर्फ बड़हलगंज बाईपास पर सरयू नदी का पुल अधूरा रह जाने से सफर में थोड़ी दिक्कत आ रही थी, लेकिन अब वह भी दूर हो गई।
एनएचएआइ प्रशासन ने 14 अप्रैल से पुल की एक लेन आवागमन के लिए खोल दिया। दूसरी लेन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। एनएचएआइ के परियोजना प्रबंधक ललित पाल के मुताबिक, जल्द ही यह लेन भी बनकर तैयार हो जाएगी।
बढ़ा शहर का दायरा
फोरलेन बनने से कनेक्टिविटी सुधरी तो शहर की सीमा का भी विस्तार हुआ। 2020 में गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने अपना दायरा बढ़ाकर गोरखपुर-वाराणसी रोड पर पड़ने वाले महावीर छपरा तक कर लिया। यह विस्तार लगभग 15 किलोमीटर का रहा। अब इन क्षेत्रों में जीडीए की कई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं।
इसी क्षेत्र के ताल नदोर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी है। इसी रोड पर वेटरनरी कालेज के लिए 100 एकड़ जमीन प्रशासन द्वारा दी जा चुकी है। इसकी आधारशिला भी रखी जा चुकी है। कुछ आवासीय योजनाएं भी यहां प्रगतिशील हैं। प्राइवेट कालोनाइजर्स ने भी यहां बड़ा निवेश किया है।