छोटे उद्योगों के लिए और आसान हुई राह, 72 घंटे में दूर होंगी समस्याएं Gorakhpur News
छोटे उद्योगों की समस्याओं पर नजर रखने के लिए मंडल स्तरीय कमेटी के गठन के बाद अब जिला स्तरीय समिति का गठन भी कर दिया गया है। यह समिति औद्योगिक इकाई की स्थापना एवं विस्तारीकरण के लिए अनुमति देने के लिए आए आवेदन का 72 घंटे में निस्तारण करेगी।
गोरखपुर, जेएनएन। शासन ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए नई सहूलियतें दी हैं। उनकी समस्याओं पर नजर रखने के लिए मंडल स्तरीय कमेटी के गठन के बाद अब जिला स्तरीय समिति का गठन भी कर दिया गया है। यह समिति औद्योगिक इकाई की स्थापना एवं विस्तारीकरण के लिए अनुमति देने के लिए आए आवेदन का 72 घंटे में निस्तारण करेगी। अन्य समस्याओं का निराकरण भी इसी समय सीमा में किया जाएगा।
मंडलीय समिति के बाद जिला स्तरीय समिति का भी हुआ गठन
जिला स्तर पर गठित कमेटी के अध्यक्ष जिला मजिस्ट्रेट होंगे। इसके अलावा आठ सदस्य भी शामिल किए जाएंगे। सदस्यों में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड के अधशासी अभियंता, उप श्रमायुक्त, सहायक श्रमायुक्त, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक, विद्युत सुरक्षा निदेशालय के सहायक निदेशक, जिला अग्नि शमन अधिकारी व उपायुक्त उद्योग शामिल होंगे।
अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए नहीं लगानी पड़ेगी विभागों की दौड़
औद्योगिक इकाई स्थापित करने की अनुमति लेने से पहले आवेदक को राजस्व से लेकर कई विभागों का चक्कर लगाना पड़ता था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्निशमन, श्रम विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लाने के बाद ही अनुमति मिलती थी। इसके बाद बिजली का कनेक्शन लगवाने के लिए भी दौड़ लगानी पड़ती थी लेकिन अब सबकुछ एक जगह हो सकेगा। आवेदक इस कमेटी के सामने आवेदन करेगा और 72 घंटे के भीतर सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए औद्योगिक इकाई लगाने की अनुमति दे दी जाएगी।
औद्योगिक जमीन का न हो कोई और उपयोग
इंडस्ट्रियल एस्टेट स्थित उद्योग भवन में आयोजित उद्योग बंधु की बैठक में उद्यमियों ने खुलकर अपनी बात रखी। अपर जिला मजिस्ट्रेट वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उद्यमियों की ओर से औद्योगिक जमीनों का मामला उठाया गया। उन्होंने कहा कि इस जमीन पर वाणिज्यिक एवं आवासीय निर्माण को मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए। जिले में बड़ी संख्या में ऐसी जमीन है, जिसका कोई और उपयोग हो रहा है। बैठक में बोरे की प्रस्तावित इकाई को लेकर भी चर्चा हुई। इसी के बहाने मांग की गई कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) औद्योगिक जमीन पर वाणिज्यिक विकास शुल्क लेने की बजाय औद्योगिक विकास शुल्क ले। अपर जिलाधिकारी ने इस संबंध में शासन को पत्र लिखने का आश्वासन दिया।
चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने कहा कि शहर में औद्योगिक जमीन कम है, इसलिए इसे बचाना होगा। भू उपयोग में परिवर्तन नहीं करना चाहिए। इंडस्ट्रियल एरिया में केवल 50 एकड़ में उद्योग लगे हैं। इसके बाद भी भू-उपयोग बदलने की कोशिश हो रही है। बैंकों की ओर से ऋण देने में हीला-हवाली पर भी उद्यमियों ने नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि स्टैंडअप, स्टार्टअप, मुद्रा योजना में ऋण देने में लापरवाही की जा रही है। 2017 में लगे उद्योगों को अभी तक सब्सिडी नहीं मिली। जबकि छह महीने में सब्सिडी मिलनी चाहिए। बैठक में पटरी व्यवसायियों को मिलने वाले ऋण को लेकर सवाल उठाया गया। अपर जिला मजिस्ट्रेट ने इस मामले को दिखवाने का आश्वासन दिया। बैठक में जीडीए सचिव रामसिंह गौतम, उपायुक्त उद्योग आरके शर्मा एवं कई उद्यमी उपस्थित रहे।