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हर चुनाव में घटता गया सदल प्रसाद की हार का अंतर, क्या इस बार बन पाएंगे सांसद? समझें बांसगांव लोकसभा सीट का गणित

बांसगांव लोकसभा सीट पर भले ही लगातार दो बार पूर्व मंत्री सदल प्रसाद भाजपा के कमलेश पासवान से हारे हों लेकिन वोट का अंतर कम हुआ है। वर्ष 2019 के चुनाव में सदल प्रसाद बसपा व सपा समर्थित प्रत्याशी थे तब कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ सकी थी। इस कारण सदल काे वर्ष 2014 की तुलना में 14.55 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले थे।

By Durgesh Tripathi Edited By: Aysha Sheikh Published: Mon, 25 Mar 2024 07:20 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2024 07:20 PM (IST)
हर चुनाव में घटता गया सदल प्रसाद की हार का अंतर, क्या इस बार बन पाएंगे सांसद?

दुर्गेश त्रिपाठी, गाेरखपुर। बांसगांव लोकसभा सीट पर भले ही लगातार दो बार पूर्व मंत्री सदल प्रसाद भाजपा के कमलेश पासवान से हारे हों लेकिन वोट का अंतर कम हुआ है। वर्ष 2019 के चुनाव में सदल प्रसाद बसपा व सपा समर्थित प्रत्याशी थे, तब कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ सकी थी।

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इस कारण सदल काे वर्ष 2014 की तुलना में 14.55 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले थे। अब सदल कांग्रेस में हैं और आइएनडीआइए गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में सपा व कई अन्य दलों का समर्थन मिला है। बांसगांव में बसपा ने अभी अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है लेकिन कहा जा रहा है कि पुराने बसपाई सदल प्रसाद अपनी छवि से बसपा के कैडर वोट को हासिल करने में सफल होंगे।

यूं तो कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद चौथी बार बांसगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे लेकिन इस बार उनकी पार्टी बदली हुई है। वर्ष 2004, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 2004 के चुनाव में बसपा के टिकट पर सदल प्रसाद पहली बार लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए उतरे थे।

महावीर प्रसाद को तब बांसगांव के लिए अजेय थे लेकिन सदल प्रसाद ने उनको जोरदार टक्कर दी थी। वह महावीर प्रसाद से मात्र 16 हजार 441 वोट से हारे थे। वर्ष 2009 के चुनाव में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री होने के कारण सदल प्रसाद लोकसभा चुनाव में नहीं उतरे लेकिन उन्होंने बांसगांव में खूब मेहनत की।

इसका परिणाम रहा कि भाजपा के कमलेश पासवान के मुकाबले बसपा से चुनाव लड़ने वाले श्रीनाथ दूसरे स्थान पर रहे। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी व निवर्तमान सांसद महावीर प्रसाद को मुंह की खानी पड़ी थी। वह चौथे नंबर पर पहुंच गए थे। वर्ष 2004 के चुनाव में एक लाख 80 हजार 388 वोट पाने वाले महावीर प्रसाद को वर्ष 2009 के चुनाव में सिर्फ 76 हजार 432 वोट ही मिल सके थे।

कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी का था इंतजार

बांसगांव में महावीर प्रसाद के बाद कांग्रेस को कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल पा रहा था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संजय कुमार को टिकट दिया था लेकिन वह 50 हजार 675 वोट ही पा सके थे। वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का टिकट ही खारिज हो गया था।

कांग्रेस ने पूर्व आइपीएस को टिकट दिया था लेकिन वह आखिरी समय तक अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दे सके थे। इसे लेकर पार्टी में कई दिनों तक बवाल भी मचा था। कांग्रेस वर्ष 2019 काे दोहराना नहीं चाहती थी इस कारण उसे मजबूत प्रत्याशी का इंतजार था। काफी तलाश के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने सदल प्रसाद से संपर्क किया।

बांसगांव में नोटा को भी खूब वोट

बांसगांव लोकसभा सीट पर नोटा को भी खूब वोट मिलते हैं। वर्ष 2014 में जहां नोटा को 13 हजार 495 वोट मिले थे तो वहीं वर्ष 2019 में नोटा को मिले वाेटों की संख्या 14 हजार 93 हो गई। वर्ष 2019 के चुनाव में कमलेश पासवान व सदल प्रसाद के बाद नोटा तीसरे स्थान पर था।

इतने मिले वोट

वर्ष       कमलेश     सदल

2014    417959    228443

2019    546673    393204


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