सिस्टम पर सवाल: रेलवे अस्पताल में हाउस कीपिंग असिस्टेंट के 48 पद सरेंडर, अब इन पदों पर नहीं होगी कोई भर्ती
जानकारों का कहना है कि सरेंडर होने वाले पद वर्ष 2024-25 के स्वीकृत पुस्तिका से हट जाएंगे। अब इन पदों पर कोई भी भर्ती नहीं होगी। रेलवे बोर्ड ने स्टेशनों और कारखानों के बाद अस्पतालों में भी तेजी के साथ आउटसोर्सिंग की तरफ कदम बढ़ा दिया है। अब अस्पतालों में भी वार्डों और कमरों का रख-रखाव और साफ-सफाई आउटसोर्स के माध्यम से ही कराई जाएगी।
प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण गोरखपुर। चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ, उपकरण और समुचित इलाज के अभाव से जूझ रहे ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल गोरखपुर के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
अस्पताल प्रबंधन ने रेलवे बोर्ड और रेलवे प्रशासन के दिशा-निर्देश पर 02 अप्रैल 2024 को हाउस कीपिंग असिस्टेंट (सफाईकर्मी) के 42 स्थायी और 06 अस्थायी सहित कुल 48 पद को सरेंडर (अभ्यर्पित) कर दिया है।बच्चा वार्ड बदल गया है।
महिला वार्ड पहले से ही बंद है। पुरुष वार्ड संचालित हैं, उसमें भी भर्ती मरीजों को जरूरी सुविधाएं और संसाधन नहीं मिल पा रहा। अब सफाईकर्मियों की भर्ती नहीं होने से साफ-सफाई पर भी ग्रहण लग जाएगाा। इसको लेकर कर्मचारी संगठनों में रोष है।
एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता का कहना है कि सरकार रेलवे ही नहीं अस्पतालों को भी निजी हाथों में देने की साजिश रच रही है। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के माध्यम से रेल मंत्रालय तक इसका विरोध किया जाएगा।
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जानकारों का कहना है कि सरेंडर होने वाले पद वर्ष 2024-25 के स्वीकृत पुस्तिका से हट जाएंगे। अब इन पदों पर कोई भी भर्ती नहीं होगी। रेलवे बोर्ड ने स्टेशनों और कारखानों के बाद अस्पतालों में भी तेजी के साथ आउटसोर्सिंग की तरफ कदम बढ़ा दिया है।
अब अस्पतालों में भी वार्डों और कमरों का रख-रखाव और साफ-सफाई आउटसोर्स के माध्यम से ही कराई जाएगी। पद सरेंडर का यह मामला नया नहीं है। इसके पहले भी रेलवे अस्पताल में विभिन्न विभागों के लगभग 100 पद सरेंडर किए जा चुके हैं।
नए पदों पर भर्ती लगभग बंद ही है। अस्पताल प्रबंधन ने तो बोर्ड के निर्देश के बाद भी सेवानिवृत्त कर्मियों का पैरा मेडिकल स्टाफ के पद पर तैनाती नहीं की है। रेलवे अस्पताल ही नहीं अन्य विभागों में भी पद सरेंडर हो रहे हैं। सहायक रसोइया, बिल पोस्टर, टाइपिस्ट, माली, दफ्तरी, बढ़ई, खलासी व पेंटर के पद भी अनुपयोगी होते जा रहे हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे में वर्ष 2022-23 में कर्मचारियों के 1,239 पद सरेंडर कर दिए गए। एक अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक लखनऊ रेल मंडल में सर्वाधिक 357 पद सरेंडर हुए हैं। वाराणसी मंडल में 285 और इज्जतनगर मंडल में 210 तथा मुख्यालय गोरखपुर के यांत्रिक कारखाने से 124 पद खत्म किए गए हैं।
सिविल में 400, मैकेनिकल में 182 और कामर्शियल में 128 पद खत्म हुए हैं। परिचालन जैसे महत्वपूर्ण विभाग में भी 115 और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मेडिकल विभाग में भी 78 पद सरेंडर किए गए हैं।
वर्ष 2020 से पहले तीन वर्ष में पूर्वोत्तर रेलवे के 9,366 नौकरियां समाप्त कर दी गईं। यह तब है जब पूर्वोत्तर रेलवे में कर्मचारियों के करीब 12 हजार 830 पद खाली हैं। रेलवे के कुल 12 विभागों में 59 हजार 463 पदों के सापेक्ष 46 हजार 633 रेल कर्मचारी ही तैनात हैं।
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अधिकारियों के पद भी हो रहे सरेंडर
रेलवे में अधिकारियों के पद भी सरेंडर होने लगे हैं। रेलवे बोर्ड ने 22 सितंबर 2023 के आदेश में भारतीय रेलवे स्तर पर सीनियर स्केल के 1145 वर्क चार्ज और रेवेन्यू पोस्ट के 705 पदों को सरेंडर करने का निर्देश जारी किया है। अधिकारियों के पद सरेंडर होने के बाद अब दोबारा इन पदों पर भर्ती नहीं होगी।
प्राइवेट अस्पतालों को पैनल में शामिल करने की मांग
नरमू का प्रतिनिधि मंडल महामंत्री केएल गुप्ता के नेतृत्व में रेलवे अस्पताल के नवागत चिकित्सा निदेशक आरएन खान से मिला। इस दौरान महामंत्री ने मरीजों की समस्याओं को उठाते हुए प्राइवेट अस्पतालों को रेलवे अस्पताल के पैनल में शामिल करने की मांग की।
उन्होंने बताया कि रेलवे अस्पताल से निजी फातिमा हास्पिटल, न्यू उदया हास्पिटल, राज आई हास्पिटल, अग्रवाल हड्डी अस्पताल का अनुबंध समाप्त हो गया है। इसके चलते रेलकर्मियों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा।