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गांव को बचाने के लिए आंदोलन में कूदी आधी आबादी

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : गांव बचाने को लेकर अब महिलाएं भी आगे लगी हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 09:40 PM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 09:40 PM (IST)
गांव को बचाने के लिए आंदोलन में कूदी आधी आबादी

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : गांव बचाने को लेकर अब महिलाएं भी आगे लगी हैं। गंगा तट पर चलाए जा रहे क्रमिक धरना के 15वें दिन आधी आबादी ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर नारी शक्ति का एहसास कराया। धरना सभा में पूर्व ब्लाक प्रमुख व रसोइयां संघ की प्रदेश संरक्षक चंदा यादव ने पहुंचकर अपने समर्थन का एलान किया।

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करीब छह वर्ष पूर्व पूरी तरह से आबाद हंसी-खुशी का जीवन व्यतीत कर रहे शिवरायकापुरा व सेमरा गांव के लोगों का भविष्य अचानक अंधकारमय हो गया। कारण वर्ष 2012 में गंगा के जलस्तर बढ़ने के साथ ही आबादी कटान से प्रभावित होने लगी। उस वर्ष कटान के चलते 46 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गये। उस वर्ष के बाद भी कटान का सिलसिला नहीं रुका और वर्ष 2013 में तो गंगा ने जबर्दस्त कहर ढाया और देखते ही देखते शिवरायकापुरा गांव का अस्तित्व नाम मात्र का बचा तो सेमरा गांव का करीब 50 प्रतिशत आबादी बेघर हो गयी। उस वर्ष करीब 558 परिवार बेघर हो गये। आज भी कटान से बेघर हुए परिवार पुनर्वासित नहीं हो सके। कोई सरकारी विद्यालय में तो कोई सड़क किनारे झोपड़ी डालकर अपना जीवन यापन कर रहा है। कटान चर्चा जुबां पर आते ही पीड़ित रमेश यादव के आंखों में आंसू आ जाते हैं। उनका कहना है कि भगवान किसी को ऐसा दिन न दिखाए। जगन्नाथ पटेल, रवींद्र यादव, दीनानाथ राय, राजेंद्र राम, हरिशंकर यादव ने कहा कि कटान से पहले वह भी आम लोगों की तरह ठाट बाट से अपना जीवन व्यतीत करते थे। कटान ने उनके जीवन की खुशियों को आधा कर दिया। कई वर्ष से बरसात का सीजन आते ही उनकी धुकधुकी इस बात को लेकर बढ़ जाती है कि कहीं उनके गांव का अस्तित्व ही न समाप्त हो जाए।

चंदा यादव ने कहा कि आज कितना दुखद बात है कि गांव बचाने को लेकर महिलाओं भी आंदोलन में उतरना पड़ा। वर्तमान सरकार व जनप्रतिनिधि पूरी तरह से संवेदनहीन हो चुके हैं। गांव के अस्तित्व को लेकर ग्रामीण 15 दिनों से गांधीवादी तरीके से अपना आंदोलन चला रहे हैं लेकिन जनप्रतिनिधि गांव को बचाने के लिए किसी ठोस नतीजे की बात नहीं कर रहे हैं। चंदा यादव ने कहा कि गांव बचाने को लेकर 30 अप्रैल को आयोजित महापंचायत में महिलाओं की काफी भागीदारी होगी। महापंचायत के माध्यम से शासन व प्रशासन को अपनी शक्ति का एहसास कराया जाएगा। अगर उसके बाद भी ठोकर मरम्मत को लेकर काम शुरू नहीं कराया गया तो इस गांव गांव में पदयात्रा करते हुए तहसील मुख्यालय पर घेरा डालो डेरा डालो के माध्यम से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। समाजसेविका ऊषा यादव ने कहा कि इस गांव के कष्ट को देखकर हम लोग मर्माहत हैं। रसोइया संघ की धरना सभा में जिलाध्यक्ष सुगंती कुशवाहा ,आशा देवी, कबूतरी देवी, ललिता, कलावती प्रजापति, उर्मिला, चांदकली, पूनम, मुन्नी देवी, मीना, शारदा, अंजू दुबे, मालती, पन्ना देवी, प्रमिला, ¨बदा, पुष्पा, देवंती, लहसिया, रेशमी, चांदमति, कन्हैया निषाद, छकौड़ी निषाद, महेंद्र भारती, संजय राय, मनोज राय, डा.योगेश गुप्ता, अशोक राय, बेचू राम, दयानंद रावत, प्रेमनाथ गुप्ता आदि शामिल रहे। अध्यक्षता पुष्पा देवी व संचालन मालती देवी ने किया।


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