Move to Jagran APP

भागवत कथा में सत्संग के साथ सुरक्षा का ज्ञान भी

क्षेत्र के अमेहता में चल रहे सप्तदिवसीय भागवत कथा ज्ञानगंगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 07:50 PM (IST)
भागवत कथा में सत्संग के साथ सुरक्षा का ज्ञान भी

जागरण संवाददाता, खानपुर(गाजीपुर) : क्षेत्र के अमेहता में चल रहे

सप्तदिवसीय भागवत कथा ज्ञानगंगा में श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक कथाओं के साथ संचारी रोगों से बचने के लिए भी जागरूक किया गया। कथावाचक दीपक कृष्णशास्त्री ने बताया कि हमारे पूर्वज अत्यंत दूरदर्शी थे जिन्होंने

हजारों वर्षों पूर्व वेदों व पुराणों में महामारी की रोकथाम के लिए परिपूर्ण स्वच्छता रखने के लिए स्पष्ट निर्देश दिया है। कहा कि नमक, घी, तेल, चावल, एवं अन्य खाद्य पदार्थ चम्मच से परोसना चाहिए हाथों से नहीं। इतना ही नहीं, अपने शरीर के

अंगों जैसे आंख, नाक, कान आदि को बिना किसी कारण के छूना नहीं चाहिए।

एक बार पहने हुए वस्त्र धोने के बाद ही पहनना चाहिए। स्नान के बाद अपने शरीर को शीघ्र सुखाना चाहिए। अपने हाथ, मुंह व पैर स्वच्छ करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। बताया कि बिना स्नान व शुद्धि के यदि कोई कर्म किए जाते हैं तो वो निष्फल रहते हैं। सनातन धर्म ग्रंथों के माध्यम से ये सभी सावधानियां समस्त मानवजाति को हजारों वर्षों पूर्व से सिखाई जा रही है जिससे हमें अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सावधानियां बरतने के निर्देश तब दिए गए थे। हमारे पूर्वजों ने वैदिक ज्ञान का उपयोग कर धार्मिकता व सदाचरण का अभ्यास दैनिक जीवन में स्थापित किया था। आज भी ये सावधानियां प्रासंगिक और अत्यंत उपयोगी भी है। अतएव इसका पालन सदैव करना चाहिए।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.