कोरोना संक्रमण रोकने के लिए दिल्ली से सटे यूपी के इन इलाकों में संदिग्धों पर रहेगी टीम की नजर
नोडल अधिकारी द्वारा मंगलवार को प्रशासन के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को फोन करके वर्तमान कोरोना फैलाव के बारे में पूछताछ की। दरअसल इससे पहले दिल्ली की सीमाओं को सील तक किया जा चुका है। आवागमन पर रोक लगा दी गई थी।
गाजियाबाद, मदन पांचाल। दिल्ली में बढ़ते कोरोना केसों को लेकर जहां केंद्र सरकार आगे आ गई है वहीं पर गाजियाबाद के अफसरों का तनाव तेजी से बढ़ गया है। नोडल अधिकारी द्वारा मंगलवार को प्रशासन के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को फोन करके वर्तमान कोरोना फैलाव के बारे में पूछताछ की। दरअसल इससे पहले दिल्ली की सीमाओं को सील तक किया जा चुका है। आवागमन पर रोक लगा दी गई थी। सेक्टर स्कीम तक लागू की गई। अब प्रशासन द्वारा दिल्ली से सटे इलाकों में निगरानी के लिए खास प्लान बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सर्विलांस टीमों को विशेष तौर पर दिल्ली से सटे कौशांबी, वैशाली, सूर्यनगर, चंद्रनगर, तुलसीनिकेतन और लोनी एरिया में कोरोना संदिग्धों पर नजर रखने को कहा गया है।
कंटेनमेंट जोन में बंद हो सकते हैं बाजार
प्रशासन द्वारा जिले के कंटेनमेंट जोनों में एक बार फिर से सख्ती की जा सकती है। अधिकांश लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं। शारीरिक दूरी का अनुपालन भी नहीं कर रहे है। सैनिटाइजर तो जेब के साथ ही दुकानों से गायब हो गया है। ऐसे में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रशासन स्तर से कंटेनमेंट जोन में कुछ सख्ती की जा सकती है। 15 नवंबर को 192, 14 को 201, 13 को 201, 12 को 208, 11 को 206 और 10 नवंबर को जिले में कुल 205 कंटेनमेंट जोन थे। यह संख्या रोज घटती-बढ़ती रहती है। अप्रैल में 24 और मई में 42 और जून में यह संख्या 66 थी। जुलाई और अगस्त में 427 तक संख्या पहुंच गई थी।
हर तीसरे व्यक्ति की तबीयत नासाज
जिले में इन दिनों हर तीसरे व्यक्ति की तबीयत नासाज है। किसी को खांसी, बुखार, जुकाम, सांस की परेशानी, पेट की समस्या, आंखों में जलन, बीपी और शुगर की समस्या है। जिला एमएमजी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों की ओपीडी में बढ़ रहे मरीजों की संख्या से पता चला है कि परिवार के पांच सदस्यों में से चार की तबीयत खराब बताई जा रही है। कोई इसे वायरल बता रहा तो कोई प्रदूषण को कोस रहा है। कोरोना की जांच भी लोग सजग होकर करवा रहे हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ओपीडी में आने वाले मरीजों को कोरोना फोबिया हो गया है। जुकाम होने पर खुद ही तय कर लेता है कि उसे कोरोना हो गया है। कोरोना के लक्षण पर ही कोरोना की जांच होती है लेकिन हर तीसरा मरीज पर्ची पर कोरोना की जांच के लिए लिखने का अनुरोध करता है। बुखार और खांसी होने पर कोरोना नहीं होता है। संक्रमित के संपर्क में आने के बाद लगातार बुखार आना और सांस लेने में परेशानी होने पर ही जांच करानी चाहिए। कोरोना से डरें नहीं सावधानी बरते और जागरूक रहें।
डा. अनिल कुमार विश्वकर्मा, वरिष्ठ फिजिशियन एमएमजी
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