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बदल गया कोरोना पीड़ित का शव, बेटियों ने चेहरा देखा तो खुला राज Ghaziabad News

चिता में आग लगाने की तैयारी थी कि बेटियों ने पिता के अंतिम दर्शन की इच्छा जताई। इसके बाद सील को खोला गया तो शव बदला होने का पता चला।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 02:03 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 02:03 PM (IST)
बदल गया कोरोना पीड़ित का शव, बेटियों ने चेहरा देखा तो खुला राज Ghaziabad News

मोदीनगर (गाजियाबाद), जागरण संवाददाता। मेरठ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की लापरवाही से एक कोरोना पीड़ित का शव बदल गया। पिता के अंतिम दर्शन करने शमशान घाट पहुंचीं बेटियों ने शव का चेहरा खुलवाया तो राजफाश हुआ। बेटियों ने मौके पर हंगामा किया और पिता का शव सौपने की मांग की। 

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दरअसल, 84 वर्षीय गुरुवचन निवासी हरमुखपुरी, गोविंदपुरी की एक सितंबर को तबीयत बिगड़ गयी। उनको पहले मोदीनगर के जीवन अस्पताल में ले जाया गया। वहां से उनको मेरठ रेफर कर दिया गया।

स्वजन उनको लेकर मेरठ के सुभारती मेडिकल कॉलेज लेकर गए। जांच रिपोर्ट में उनको कोरोना की पुष्टि हुई। वहां उनकी कल मौत हो गयी थी। शव रविवार को घर लाया गया। डॉक्टरों की टीम ने शव सील कर दिया और लिखा कि शव को न खोलें।अंतिम संस्कार के लिए स्वजन रविवार दोपहर को शव हापुड़ रोड स्थित शमशान घाट लेकर गए। वहां गुरुवचन की बेटियां भी पहुंच गई। उनको ससुराल से आने में देर हो गयी थी। इसलिए वे घर न जाकर सीधे शमशान घाट पहुंची। चिता में आग लगाने की तैयारी थी कि बेटियों ने पिता के अंतिम दर्शन की इच्छा जताई। इसके बाद सील को खोला गया तो शव बदला होने का पता चला।

उन्होंने मेरठ अस्पताल में फ़ोन कर यह बात बताई। तो हड़कंप मच गया। दो घंटे बाद स्पष्ट हुआ कि शव मेरठ के फजलपुर गांव के यशपाल का था। उनके स्वजनों पर गुरुवचन का शव पहुंच गया। बड़ी बात थी कि उन्होंने गुरुवचन का अपने गांव में अंतिम संस्कार भी कर दिया। जानकारी मिलते ही वे मोदीनगर के लिए चल दिये। मेरठ के डॉक्टरों के इस कारनामे से लोगों में रोष है।

इस्तेमाल करने के बाद सड़क किनारे फेंकी जा रही पीपीई किट

वहीं, शहर में कूड़े के साथ ही पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट अर्थात व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट भी फेंकी जा रही हैं। जिसकी वजह से कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है। सिर्फ रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में भी कूड़े के साथ ही पीपीई किट, दस्ताने, मास्क भी फेंके जा रहे हैं। खासतौर पर हरित पट्टी, डलावघर और सड़क किनारे बने अवैध कूड़ाघरों में इस तरह का कचरा फेंका जा रहा है। ऐसा करने वाले व्यक्तियों की पहचान न हो पाने के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

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