Lok Sabha Election 2024: सपा की साख बढ़ा रही भगवा खेमे की जद्दोजहद, कई नामों पर चर्चा जारी
Lok Sabha Election 2024 मुलायम सिंह की विरासत सहेजने के साथ ही पिछले चुनाव में गंवाई फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर वापसी के लिए सपा की छटपटा ने भगवा खेमे की जद्दोजद बढ़ा दी है। यही वजह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अभी तक ब्रज की इन दो सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं कर पाया है। माना जा रहा है भाजपा इन सीटों पर समीकरण का गणित बैठा रही है।
राजीव शर्मा, फिरोजाबाद। (Lok Sabha Election 2024) मुलायम सिंह की विरासत सहेजने के साथ ही पिछले चुनाव में गंवाई फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर वापसी के लिए सपा की छटपटा ने भगवा खेमे की जद्दोजद बढ़ा दी है। यही वजह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अभी तक ब्रज की इन दो सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं कर पाया है।
माना जा रहा है कि मजबूत उम्मीदवार के साथ जातीय समीकरण बिठाने में मामला ऐसा उलझा है कि फिरोजाबाद लोकसभा सीट का प्रत्याशी मैनपुरी का प्रत्याशी तय होने के बाद ही घोषित होगा।
12 अप्रैल से शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया
फिरोजाबाद और मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 12 अप्रैल से शुरू होगी, लेकिन भाजपा अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। प्रदेश में सपा शासन के दौरान मैनपुरी और फिरोजाबाद टाप फाइव जिलों में शामिल थे। ये दोनों सपा के गढ़ हैं।
2009 में अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ा। उन्होंने सीट छोड़ी तो उप चुनाव में अपना कब्जा बनाए रखने के लिए सैफई परिवार ने पहली बार डिंपल यादव के मैदान में उतारा। ये अलग बात है कि कांग्रेस के राजबब्बर के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 के चुनाव में सैफई परिवार ने अक्षय यादव को लांच किया गया। उनकी जीत के लिए सरकार ने पहले से तैयारी की। इसका परिणाम अक्षय की जीत के रूप में सामने आया।
2019 के चुनाव में सैफई परिवार बिखरा तब भी फिरोजाबाद सीट पूरे परिवार के लिए अहम रही। सपा ने अक्षय यादव को दूसरी बार चुनाव लड़ाया तो उन्हें पटकनी देने के लिए अपनी अलग पार्टी बना चुके शिवपाल यादव ने भी यहीं से चुनाव लड़ा। नतीजा ये हुआ कि चाचा-भतीजे दोनों हार गए और कमजोर माने जा रहे भाजपा के डा. चंद्रसेन जादौन संसद पहुंच गए। इस बार सपा अपनी इस सीट पर वापसी के लिए पूरी दम लगाए हुए हैं।
अक्षय यादव की जीत को अपनी साख का प्रश्न बना लिया है। इस चुनाव का परिणाम उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। चाचा शिवपाल के साथ आने से अक्षय की स्थिति पहले से काफी मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में भाजपा इस बार कोई चांस लेना नहीं चाहती। इसलिए प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि, राजनीतिक पकड़ और जातीय आंकड़ों का भी ध्यान रखा जा रहा है।
चर्चा है कि मामला ठाकुर और पिछड़ा वर्ग को लेकर फंसा है। भाजपा के साथ ही अन्य दलों के नेताओं का मानना है कि भाजपा यदि मैनपुरी से किसी ठाकुर को चुनाव लड़ाएगी तो फिरोजाबाद से यादव को प्रत्याशी बनाया जाएगा। यदि मैनपुरी से यादव ने चुनाव लड़ा तो फिरोजाबाद से ठाकुर प्रत्याशी होगा। पिछड़ा वर्ग में शामिल लोधी पर भी दांव लगा सकती है।
इसे भी पढ़ें: शिवपाल यादव ने भाजपा में किसे बताया अपना चेला? यूपी की इस सीट पर बेहद रोमांचक हुआ मुकाबला