बूढ़ी आंखों से पूंछो हरियाली की महिमा
इटावा : हमें अपनी जवानी के वो दिन याद हैं, जब बाग लगाने को धर्म का कार्य माना जाता था। लोग गांव में
इटावा : हमें अपनी जवानी के वो दिन याद हैं, जब बाग लगाने को धर्म का कार्य माना जाता था। लोग गांव में व अपने खेतों पर दादा परदादा की याद में बाग लगाते थे, पेड़ों से आक्सीजन के साथ फसली फल भी मिलते थे। खास बात यह थी, जब गांव में वृक्ष बड़ी तादात में थे तो गर्मी भी कम होती थी तथा बरसात भी खूब होती थी। पहले यातायात के इतने साधन भी नहीं थे, लोग सड़कों पर पैदल या साइकिल से ही यात्रा करते थे, धूप से बचने के लिए सड़क के दोनों ओर इतनी हरियाली होती थी कि धूप नीचे तक नहीं आ पाती थी। जब गांव व शहर में हरियाली थी, आम आदमी भी स्वस्थ व निरोग रहता था, अब तो बीमारियों से ही लड़ता रहता है आदमी, हमें पुरानी पहचान को कायम करना होगा, तभी जीवन जीने की कल्पना की जा सकती है।
- अमर ¨सह