सत्संग से ही जागृत होता है सुमति का भाव
बरहनी (चंदौली) जिस घर में कुमति होती है वहां द्वेष कपट क्लेश व दरिद्रता आती है। यह घर व परिवार के सारे विकास रोक देती है।
जागरण संवाददाता, बरहनी (चंदौली) : जिस घर में कुमति होती है, वहां द्वेष, कपट, क्लेश व दरिद्रता आती है। यह घर व परिवार के सारे विकास रोक देती है। व्यक्ति का जीवन दुखमय हो जाता है। बुद्धिमान व्यक्ति की बुद्धि भी क्षीण हो जाती है। जहां सुमति होती है वहां विकास जग जाहिर हो जाता है। व्यक्ति की यश बढ़ता ही जाता है। यह बातें चिरईगांव में चल रहे चातुर्मास यज्ञ के बाद प्रवचन में सुंदर राज महाराज ने कहीं। कहा व्यक्ति के मन में सुमति का भाव सत्संग करने से प्राप्त होता हैं। सुमति वाले ही परमार्थी व्यक्ति कहे जाते है और परमार्थी व्यक्ति का सभी सम्मान करते हैं। जो परमार्थी होता है उसका यश और कीर्ति दोनों में वृद्धि होती है। ऐसे व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ का परित्याग कर मानव कल्याण की भावना से कार्य को करते हैं। जो व्यक्ति शास्त्र, वेद, पुराण का अनुसरण नहीं करता उसकी दुर्गति होती है। मृत्युंजय सिंह, मनोज सिंह, पलक सिंह, आकांक्षा सिंह, चाहत पांडेय, पिकी गुप्ता आदि लोग मौजूद थे।