तेरह दिन से जाम पड़ी मेनलाइन, आफत बनी मालगाड़ी
अमृतसर, कानपुर, रायबरेली जैसे रेल हादसों के बाद भी उत्तर रेलवे प्रशासन की आखिरकार नींद क्यों नहीं टूट रही है। क्या अभी और बड़ी घटनाओं को घटित होने का इंतजार तो नहीं हो रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा जंघई-वाराणसी रेल खंड स्थित परसीपुर स्टेशन पर देखने को मिल रहा है। जहां गत तेरह दिन से जाम पड़ी
चौरी (भदोही) : जंघई-वाराणसी रेल खंड स्थित परसीपुर स्टेशन पर तेरह दिन से जाम पड़ी बिना इंजन की गिट्टी लदी मालगाड़ी रेल कर्मचारियों के लिए किसी आफत से कम नहीं नजर आ रही है। अतिव्यस्ततम रेल खंड होने के चलते मेल व एक्सप्रेस गाड़ियों का आवागमन होते रहने से किसी न किसी दिन गंभीर हादसे को लेकर ¨चता हमेशा बनी रहती है। बावजूद इसके अवगत कराने के बाद भी न तो मंडल स्तरीय अधिकारियों की आंखें खुल रहीं हैं और न पावर कंट्रोल ही इंजन की व्यवस्था करा पाने में कोई दिलचस्पी दिखा रहा है।
अवगत कराते चलें कि तेरह दिन पहले उक्त गिट्टी लदी मालगाड़ी को परसीपुर स्टेशन के लिए वाराणसी से रवाना किया गया था। मालगाड़ी को चालक ने स्टेशन के मुख्य लाइन पर लाकर खड़ी तो कर दिया। उसे आगे तथा पीछे जाने का लोकेशन नहीं दिया गया। तब तक चालक दल भी इंजन बंदकर चाबी स्टेशन मास्टर को सौंपते हुए अपने गतंव्य को चले गए। फिर एक-दो दिन बीतने के बाद मालगाड़ी से इंजन को अलग कराकर लोकोशेड के लिए मंगा लिया गया और बिना इंजन के गिट्टी लदी मालगाड़ी को मेनलाइन पर ही जस की तस छोड़ दिया गया। अन्य महत्वपूर्ण ट्रेनों को लूपलाइनों से पास कराया जाने लगा। थ्रू सिग्नल मिलने के बाद फर्राटा भरने वालीं गाड़ियां जब लूप लाइन से गुजरने लगती हैं तो उस समय कर्मचारियों के हाथ-पांव इस बात को लेकर फूलने लगते हैं कि कहीं बेपटरी होकर गाड़ियां हादसे का शिकार न हो जाय आदि। वहीं मेनलाइन जाम होने से अन्य तरह की भी परेशानियों का सामना यात्रियों समेत स्टेशन कर्मियों को झेलना पड़ रहा है। इस संबंध में स्टेशन अधीक्षक शाहिद इमाम ने बताया कि मंडल व पावर कंट्रोल को मामले से उसी दिन अवगत करा दिया गया है। बावजूद इसके अभी तक इंजन की व्यवस्था न हो पाने से मालगाड़ी मेनलाइन पर ही खड़ी है। इंजन आने तथा कंट्रोल के आदेश पर उसे गतंव्य को रवाना किया जा सकेगा।