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ब्लू ह्वेल चैलेंज गेम से साइनआउट होकर शुभम ने चुनी जिंदगी

ब्लू वेल (व्हेल) चैलेंज गेम यानी मौत का कुआं। इसमें जो भी फंसा, वापस नहीं निकल सका। वजह, बाहर आने का कोई रास्ता नहीं बचता। पूरी दुनिया परेशान है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 06 Sep 2017 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 07 Sep 2017 10:00 PM (IST)
ब्लू ह्वेल चैलेंज गेम से साइनआउट होकर शुभम ने चुनी जिंदगी
ब्लू ह्वेल चैलेंज गेम से साइनआउट होकर शुभम ने चुनी जिंदगी

बरेली (जेएनएन)। ब्लू वेल (व्हेल) चैलेंज गेम यानी मौत का कुआं। इसमें जो भी फंसा, वापस नहीं निकल सका। वजह, बाहर आने का कोई रास्ता नहीं बचता। पूरी दुनिया परेशान है। हर टॉस्क के साथ खेलने वाला किशोर और युवा मौत की तरफ बढ़ता जाता है और अंत में खुद की जान लेकर विनर बनता है लेकिन इस खतरनाक चक्रव्यूह को बरेली के सत्रह वर्षीय शुभम ने तोड़ डाला। अपनी हिम्मत के दम पर खूनी खेल को बीच में छोड़ दिया। शुभम का कहना है कि खेल को कुछ इस तरह गढ़ा गया कि वह खेलने वाले के दिमाग पर हावी हो जाता है। हालांकि यह सिर्फ भ्रम और दबाव पर टिका है। मजबूत इच्छाशक्ति और मानसिक दृढ़ता से खेल आसानी से छोड़ा जा सकता है। 

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ऐसे फंसा चैलेंज में 

दैनिक जागरण को शुभम ने बताया कि उसने ब्लू व्हेल चैलेंज खेलने के लिए डाउनलोड किया और चार अगस्त को पहला टास्क 0079046583964 मोबाइल नंबर से मेसेज के जरिए मिला। इसमें कलाई पर अच्छे दोस्त को गाली लिखकर 24 घंटे खुली बांह करके टहलना था। टास्क पूरा होने पर पांच अगस्त को शुभकामना का मेसेज आया। दूसरा टास्क छह अगस्त को मिला। इसमें सुबह 4.20 बजे हॉरर मूवी 'हॉन्टेड इन कनेक्टिकट' ऑनलाइन दिखाई और वीडियो कॉलिंग के जरिए शुभम के चेहरे पर आने वाले इम्प्रेशन भी देखे। टास्क पूरा होने पर सात अगस्त को शुभकामना मेसेज मिला। आठ अगस्त को तीसरा टास्क बांह पर व्हेल की टेल की आकृति ब्लेड से काट कर बनाने का दिया। शर्त रखी कि लाइव मूवमेंट के जरिए इसे दिखाना होगा। इस पर शुभम ने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। दोपहर 12 बजे के करीब मोबाइल ऑन किया तो उकसाते हुए 'यू कैन डन' के मैसेज आने लगे। नहीं किया तो परिवार और दोस्तों के प्रति भड़काया और 'ब्लू व्हेल चैलेंज' को हमदर्द बताते हुए मैसेज भेजे। इन्कार किया तो परिवार को बर्बाद करने की धमकियां दीं। इससे वह डिप्रेशन में आ गया। 

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टॉस्क पूरा न करने पर दी धमकी 

टास्क पूरा न करने पर शुभम और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई। कहा गया कि भारत में भी हमारे लोग हैं, जो पूरे परिवार को मार देंगे, इसलिए गेम आगे खेलो। पर शुभम आगे नहीं खेला और मौत के कुएं से आजाद हो गया। 

मुश्किल से हुए साइन आउट 

इस गेम को खेलने के बाद साइन आउट नहीं किया जा सकता। शुभम ने अनइंस्टाल कर दिया तो मोजिला पर जो भी सर्च करता उसकी जगह ब्लू व्हेल चैलेंज ही आता। इसके बाद एक नंबर से मैसेज आया, जिसे ट्रू-कॉलर पर सर्च किया तो पता चला कि पहला अक्षर सात रूस का कोड है। इसके बाद 15 अगस्त की रात को मोबाइल री-सेट कर दिया। इसके बाद कोई मैसेज नहीं आया। 

डरें नहीं, खुलकर बताएं 

ब्लू व्हेल चैलेंज को हराने वाले शुभम का कहना कि जो भी लोग इसे खेल रहे हैं। वह डरें नहीं, बल्कि दोस्तों और माता-पिता को बताएं। एडमिनिस्ट्रेटर सिर्फ टॉर्चर कर सकता है। और कुछ नहीं कर सकता। जो लोग डर जाते हैं। वही अपनी जिंदगी के लिए खतरा बनते हैं। मनोचिकित्सक हेमा खन्ना ने कहा कि टीनएजर्स में चैलेंज स्वीकार करके विनर बनने की जिद बढ़ रही है। इससे इस गेम का शिकार किशोर हो रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान देने और समय देने की जरूरत है। 

शुभम को मिल थे टास्क 

चैलेंज पूरा करने पर हाथ पर एक कट करना। हाथ पर ब्लेड से एफ57 उकेरना। सुबह 4.20 बजे हॉरर मूवी देखकर सेल्फी भेजना, हाथ की 3 नसों को काटकर फोटो भेजना, सुबह ऊंची से ऊंची छत पर जाना, खुद को चाकू से कई बार काटकर सजा देना, बेस्ट फ्रेंड को मारकर अधमरा करना, क्रेन के सामने कूदना, सबसे ऊंची जगह पर पैर लटकाकर बैठना, मरने के लिए एक दिन तैयार रहना आदि।  टास्क कंपलीट करने पर कोड जेनरेट होना था, जिससे आगे के टास्क सीक्रेट मिशन के तहत बताए जातेे। लेकिन शुभम ने सिर्फ दो टास्क पूरे करने के बाद गेम को अनइंस्टाल कर दिया। 


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