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    तीन तलाक कानून से घटेगा शरिया अदालतों का वजूद Bareilly News

    By Abhishek PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 01 Aug 2019 08:46 PM (IST)

    निकाह तीन तलाक और हलाला के मसले यहीं हल किए जाते रहे लेकिन अब केंद्र सरकार के कानून बना दिए जाने से शरिया अदालतों की अहमियत घटने की संभावना जताई जा रह ...और पढ़ें

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    तीन तलाक कानून से घटेगा शरिया अदालतों का वजूद Bareilly News

    बरेली [वसीम अख्तर] : वक्त ने करीब 1100 साल बाद करवट बदली है। हिंदुस्तान की बात करें तो मुगल और उससे पहले भी मुस्लिमों के कदम यहां पडऩे के बाद शरई मामलात के हल को काजी का वजूद अमल में आ चुका था।

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    आजादी के बाद बरेली में भी आला हजरत इमाम अहमद रजा खां के हाथों सन 1869 के आसपास दारुल कजा (शरिया अदालत) की नींव रखी गई। निकाह, तीन तलाक और हलाला के मसले यहीं हल किए जाते रहे लेकिन अब केंद्र सरकार के कानून बना दिए जाने से शरिया अदालतों की अहमियत घटने की संभावना जताई जा रही है। वह इसलिए क्योंकि इन मामलों की सुनवाई न्यायिक अफसर कोर्ट में करेंगे। वहीं से सजा और रिहाई के फैसले होंगे। 

    ऐसे काम करती हैैं शरिया अदालतें

    जिस तरह न्यायिक अदालतों में तमाम तरह के मामले पेश होते हैैं, वैसे ही शरीयत से जुड़े मामले शरिया अदालतों में जाते हैैं, जिसे दारुल कजा भी कहा जाता है। इसमें बैठकर शहर काजी जज की हैसियत से तमाम मसलों निकाह से लेकर तलाक, हलाला, खुला (शौहर से छुटकारा), जायदाद का बंटवारा इत्यादि पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हैैं। उससे पहले शिकायत आने पर तारीख लगाई जाती है। पत्र जारी करके एक की शिकायत पर दूसरे को तलब किया जाता है।

    यह भी पढ़े : सुरक्षा का अहसास होती ही मुस्लिम महिलाओं में जश्नwww.jagran.com/uttar-pradesh/bareilly-city-tripple-talaq-muslim-women-celebrating-as-soon-as-they-were-security-is-realized-bareilly-news-19448625.html

    कानून बनने से नहीं कर पाएंगे सुनवाई

    शरीयत यानी कुरान की रोशनी में शहर काजी यह तय करते हैैं कि फलां शख्स ने अगर तलाक दी तो वह वैध होगी या नहीं। मोटे तौर पर अगर किसी ने एक बार में तीन बार अपनी बीवी को तलाक कह दिया तो फिर तलाक हो जाती थी। अब चाहे शौहर किसी तरह का नशा किए हो या फिर गुस्से में आकर तलाक बोल दिया लेकिन कानून बन जाने से अब ऐसा संभव नहीं होगा। शौहर ने किसी भी दशा में तीन तलाक कहा तो अपराध होगा।

    इस तरह बनाए जाते हैं काजी

    दरगाह आला हजरत दुनियाभर में सुन्नी मुसलमानों का मरकज (केंद्र) है। यहां काजी का दर्जा मुफ्ती असजद रजा खां के पास है, जिन्हें सुन्नी उलमा ने सर्वसम्मति से काजी-ए-हिंदुस्तान का ओहदा दिया है। दरगाह के जरिये ङ्क्षहदुस्तान के 640 जिलों में काजी की तैनाती की गई है। ऐसे ही काजी अन्य मसलकों देवबंद, अहले हदीस इत्यादि में भी बनाए जाते हैैं।

    उलमा की बात

    तत्काल तीन तलाक पर रोक का कानून आने पर इससे जुड़े ज्यादातर मामले कोर्ट ले जाए जाएंगे। अब से पहले तक तलाक, हलाला और महर के मामले दारुल कजा जिन्हें कि शरिया अदालतों का भी नाम दे दिया गया, उन्हीं में सुने जाते थे। वहीं से फैसले होते थे। अब उलमा को सोच समझकर अपनी बात रखनी होगी। -मुफ्ती सय्यद मुहम्मद कफील हाशमी, मदरसा मंजरे इस्लाम, दरगाह आला हजरत  

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