District Hospital : यूपी के इस अस्पताल में चिकित्सक दो मिनट में करते है एक मरीज का इलाज, जानिए कैसे Bareilly News
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने तीन दिन पहले अपनी रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों की खामियां गिनाई थी।
जेएनएन, बरेली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने तीन दिन पहले अपनी रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों की खामियां गिनाई थी। कहा था कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को पांच मिनट भी नहीं देख पा रहे हैं। अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उस हिसाब से संसाधनों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। मरीज, डॉक्टर और अस्पताल सभी अपनी बेबसी से बेहाल हैं।
दो मिनट में देखते है एक मरीज : जागरण की टीम ने जिला अस्पताल में इसी बात को चेक किया तो पाया अस्पताल में डॉक्टरों पर मरीजों का जबरदस्त दबाव है। चार घंटे में एक डॉक्टर सौ से अधिक मरीजों को देख रहे हैं। इस तरह एक मरीज को सिर्फ दो से ढाई मिनट ही दे पाते हैं। इसके साथ ही भर्ती मरीजों को देखना और इमरजेंसी में भी मरीज देखने होते हैं।
करीब दस बजे शुरू कर पाते ओपीडी : जिला अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर सुबह आठ बजे आने के बाद सबसे पहले भर्ती मरीजों को देखने वार्डो में जाते हैं। सड़क के पार वाले हिस्से में भी डॉक्टरों को जाना होता है। करीब दस बजे ओपीडी में डॉक्टर पहुंचते हैं। दो बजे तक मरीजों को देखते हैं। करीब सौ मरीज एक डॉक्टर के पास आते हैं। एक रोगी को दो से ढाई मिनट ही मिलते हैं।
रोजाना आते है करीब चार हजार मरीज : जिला अस्पताल में एक रुपये के पर्चे पर मरीज 15 दिन तक डॉक्टर को दिखवा सकता है। अस्पताल में रोजाना करीब दो हजार नए मरीज पहुंच रहे हैं। वही पुराने दिखाने व दवा लेने वाले मरीजों की भी करीब इतनी ही संख्या रोजाना होती है। इस कारण एक दिन में ओपीडी में करीब चार हजार मरीज पहुंचता है। डॉक्टर समय से सभी मरीज को देखने के चलते अक्सर मरीज से ही मर्ज सुनकर ही जांच व दवा लिख देते हैं।
अस्पताल में चाहिए 13 विशेषज्ञों की है कमी : जिला अस्पताल में डॉक्टरों के शासन की ओर से स्वीकृत पद 43 हैं। इनमें से सिर्फ 30 डॉक्टर ही जिला अस्पताल के पास हैं। कई विशेषज्ञ डॉक्टर अस्पताल के पास नहीं है। मार्च 2016 में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वीपी भारद्वाज सेवानिवृत्त हुए थे। उसके बाद से कोई भी हृदय रोग विशेषज्ञ अस्पताल में तैनात नहीं हुए, जबकि अस्पताल में दो पद स्वीकृत हैं। इसके अतिरिक्त मनोरोग, यूरो सर्जन, न्यूरो सर्जन, न्यूरोफिजिशियन, नेफ्रालॉजिसट, प्लास्टिक सर्जन, डेंटल सर्जन भी नहीं हैं। एक फिजिशियन, एक रेडियोलॉजिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट, एक निश्चेतक, एक ईएनटी विशेषज्ञ की भी कमी है।
सरकारी डॉक्टर के लिए करीब चालीस मरीजों को देखने के नियम है, लेकिन ओपीडी में रोजाना करीब सौ मरीज पहुंचते हैं। उसी समय में सबको देखते हैं। डॉ. वीके धस्माना, चेस्ट फिजिशियन
ओपीडी में मरीज देखने के साथ ही इमरजेंसी में भी उसी समय मरीजों को देखने जाना पड़ जाता है। उसके बावजूद रोजाना तकरीबन सौ मरीजों को ओपीडी में देखते हैं। डॉ. वागीश वैश्य, फिजिशियन
अस्पताल में जिस तेजी से मरीज की संख्या बढ़ी है, उस तरह संसाधन नहीं। मानव संसाधन बहुत कम है। स्वीकृत पद ही नहीं भर पाए हैं। स्वास्थ्य निदेशालय को पत्र भेजा है।-डॉ. टीएस आर्या, अपर निदेशक एवं प्रमुख अधीक्षक, जिला अस्पताल