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शौहर ने रास्ते में रोका और कह दिया तलाक, तलाक, तलाक

बरेली पुराना शहर की यासमीन रात साढ़े आठ बजे घर लौट रहीं थीं। अंधेरे में किसी ने पीछे से पीठ पर हाथ रखा। कुछ समझ पातीं, तीन बार आवाज गूंजी- तलाक-तलाक-तलाक।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 21 Apr 2017 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 21 Apr 2017 05:55 PM (IST)
शौहर ने रास्ते में रोका और कह दिया तलाक, तलाक, तलाक

बरेली (जेएनएन)। बरेली की यासमीन साल भर पहले की एक रात को याद कर सिहर उठती है। उसको शौहर ने पहले साल में बच्चा नहीं होने पर जिंदगी से निकाल बाहर किया।

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पुराना शहर की यासमीन रात साढ़े आठ बजे घर लौट रहीं थीं। अंधेरे में किसी ने पीछे से पीठ पर हाथ रखा। कुछ समझ पातीं, तीन बार आवाज गूंजी- तलाक-तलाक-तलाक। मुड़कर देखा तो एक शख्स तेज चलकर उनकी नजरों से ओझल हो गया। यह उनका शौहर ही था जिसने एक साल में बच्चा नहीं होने पर उनकी सुनहरी जिंदगी अंधेरी कर दी। 

इसी तरह रोहली टोला की गुलनाज की कहानी तो यासमीन से ज्यादा दर्दनाक है। शौहर से पहले पेट पर लात मारकर बच्चा गिरा दिया, फिर तलाक दी। उनका कसूर यह था कि गरीब पिता दहेज में गाड़ी की मांग पूरी नहीं कर सके।

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यह चंद उदाहरण हैं लेकिन हालात दयनीय कहीं ज्यादा। तीन तलाक को लेकर मचे शोर के बीच सुलह हुदैबिया कमेटी ने ये और इन जैसी आधा दर्जन महिलाओं को मीडिया के सामने पेश किया। इलाज के लिए मिशन अस्पताल पहुंची यासमीन ने बताया कि शौहर सगीर अहमद ने उन्हें तलाक देने से पहले ही एक दूसरी महिला से निकाह कर लिया था। तब से वह अपने मायके में ही रह रही हैं। गुलनाज का शौहर शकील भी दूसरी शादी रचा चुका है। 

इन दोनों से इतर तीसरी महिला सायरा ने बताया कि उनकी शादी मेरठ में सरकारी मुलाजिम मुहम्मद यासीन के साथ हुई थी। चंद दिन बाद से ही उनसे मारपीट शुरू कर दी गई। बेवजह पीटा जाता और वजह पूछने पर मारपीट का सिलसिला बढ़ जाता। तंग आकर मायके चली आई। तब एक दिन फोन आया। फोन पर हैलो करते ही दूसरी तरफ से शौहर ने तीन बार तलाक कह दी।

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सैलानी की सीमा को शौहर ने तलाक नहीं दी लेकिन छोटी बच्ची के साथ घर से निकाल दिया। अब वह घरों में बर्तन-पोछा करके जैसे-तैसे जिंदगी बसर कर रही हैं। हवाई अड्डा के पास रहने वाली गुलशन और घेर जाफर खां की निशात की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। उनकी जिंदगी का सबसे दर्दनाक पहलु तमाम तरह की बीमारियों का घेर लेना है। कोई घुटनों के दर्द से परेशान है तो किसी तो रातभर नींद नहीं आती। इनके इलाज का जिम्मा हुदैबिया कमेटी उठा रही है।

कानूनी पहलू

इनमें ज्यादातर पुलिस तक गईं और मुकदमा भी दर्ज करा दिया। अभी तक उन्हें किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली। महिलाओं ने बताया कि शौहरों ने महर की रकम तक अदा नहीं की।

यह कहती है शरीयत 

मदरसा मंजरे इस्लाम दरगाह आला हजरत के मुफ्ती सय्यद मुहम्मद कफील हाशमी बताते हैं कि बेवजह तलाक देने वाला शख्स गुनहगार है। सजा का हकदार होगा लेकिन उसके तीन बार तलाक कह देने से तलाक हो जाएगी। 

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सरकार संभाले जिम्मेदारी

सुलह हुदैबिया कमेटी के संयोजक डॉ. एसई हुदा कहते हैं कि तलाकशुदा महिलाएं बुरे हाल में हैं। तमाम बीमारियों से घिरी हैं। कुछ तो दिल की बीमारी से पीडि़त हैं। उनकी अंधेरी जिंदगी में उजाले के लिए उलमा को पहल करना चाहिए। साथ ही सरकार भी उनके रहन-सहन के लिए प्रभावी योजना तैयार करे। तभी हालात बदल सकते हैं।

नहीं मिला गनर, बिना सुरक्षा कोर्ट पहुंची निदा

निदा खान की सुरक्षा व्यवस्था मखौल बन गई है। एसएसपी से सुरक्षा के आदेश होने के बावजूद कल उन्हें सुरक्षा नहीं मिली और उसके बिना ही वह मुकदमे में सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचीं। निदा ने कहा है कि अब इसके लिए वह आइजी से शिकायत करेंगी। शाहदाना निवासी निदा खान का निकाह आला हजरत खानदान के शीरान रजा खां से हुआ था। 

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कुछ समय बाद ही दोनों में विवाद हो गया और अब निदा खान का अपने पति शीरान रजा खां से कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। दोनों ही पक्षों के एक-दूसरे के खिलाफ कोर्ट में मामले डाल रखे हैं। दहेज उत्पीडऩ के मामले के लिए कल निदा कोर्ट पहुंचीं लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। थाना बारादरी में भी निदा ने दहेज उत्पीडऩ व मारपीट के दौरान गर्भपात होने का मामला दर्ज कराया था। इसमें एक बार फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई।


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