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IVRI Joining Letter : 2016 की ऑनलाइन परीक्षा का डाटा चुराया और कर रहे ठगी Bareilly News

पहले परीक्षा ऑफलाइन हुई लेकिन किसी वजह से बाद में वर्ष 2016 में ही ऑनलाइन हुई। इसके लिए आवेदकों को दोबारा परीक्षा देने के लिए एएसआरबी ने परीक्षार्थियों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 02:18 PM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 09:58 AM (IST)
IVRI Joining Letter : 2016 की ऑनलाइन परीक्षा का डाटा चुराया और कर रहे ठगी Bareilly News
IVRI Joining Letter : 2016 की ऑनलाइन परीक्षा का डाटा चुराया और कर रहे ठगी Bareilly News

बरेली, जेएनएन : पशु चिकित्सा एवं नई प्रजाति विकसित करने के लिए दुनिया में पहचान रखने वाला भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) फर्जी नियुक्ति पत्र को लेकर चर्चा में है। दरअसल, फर्जी नियुक्ति आइवीआरआइ नहीं करा रहा। बल्कि उसके नाम का उपयोग कर एक गिरोह लगातार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर हजारों रुपये ठग रहा। दैनिक जागरण ने मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि वर्ष 2016 में आइवीआरआइ के कुछ पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा ही गिरोह के लिए ठगी की सीढ़ी बनी है।

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हर ठगी का शिकार 2016 परीक्षा का आवेदक
जागरण की पड़ताल में सामने आया कि देश के विभिन्न हिस्सों में अभी तक जितने भी युवाओं को फर्जी नियुक्ति पत्र मिले वो सभी आइवीआरआइ में तकनीशियन और हेल्पर पदों के लिए परीक्षा दे चुके थे। यह परीक्षा वर्ष 2016 में हुई थी। इसे एग्रीकल्चर साइंटिस्ट रिक्रूटमेंट बोर्ड (एएसआरबी) ने आयोजित कराया था।

ऑफलाइन के बाद ऑनलाइन परीक्षा से मिला डाटा
अब सवाल यह कि आखिर जालसाजों को इन परीक्षार्थियों का डाटा कैसे मिला? क्योंकि आवेदकों को परीक्षा के लिए निजी तौर पर पत्र अलग-अलग भेजे गए थे। पता चला कि पहले परीक्षा ऑफलाइन हुई लेकिन किसी वजह से बाद में वर्ष 2016 में ही ऑनलाइन हुई। इसके लिए आवेदकों को दोबारा परीक्षा देने के लिए एएसआरबी ने परीक्षार्थियों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड कर दिया था। इसमें परीक्षार्थियों का नाम, मोबाइल नंबर और पता था। बस, यहीं से सारी जानकारी ठगों को मिल गई। ठग भी इन आवेदकों में से एक या किसी से कनेक्टेड ही माना जा रहा।

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हाल ही में ऐसे सामने आया मामला 
कर्मचारीनगर निवासी सजल चतुर्वेदी ने वर्ष 2016 में टेक्नीशियन पद की परीक्षा दी थी। इसके बाद उनके पास कोई सूचना नहीं आई तो प्राइवेट जॉब करने लगे। 27 जुलाई को अचानक एक लेटर आया जिसमें लिखा था कि उनकी नियुक्ति टेक्नीशियन पद के लिए हो गई है। लेटर पर दिए गए फोन पर कॉल की तो कहा कि ज्वाइनिंग से पहले 18500 रुपये एक खाते में जमा करने होंगे। सजल रुपये जमा करने के बजाय सीधे आइवीआरआइ पहुंचे। पत्र दिखाया तो पता चला कि वह फर्जी है।  

पंचकूला तो कभी रोहिणी का अकाउंट नंबर
जो गिरोह फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर रहा, वह कभी पंचकूला तो कभी रोहिणी का अकाउंट नंबर भेज रहा। इस बाबत आइवीआरआइ प्रशासन ने सारी जानकारी पुलिस थाना में भी मुहैया करा दी। हालांकि अधिकारियों के मुताबिक पुलिस इस केस को निबटाने में संजीदगी नहीं दिखा रही। हालांकि भेजे फर्जी नियुक्ति पत्र में तमाम ऐसी गलतियां हैं, जो यह बताने के लिए काफी है कि नियुक्ति पत्र फर्जी है।

आइवीआरआइ ने कराया केस, वेबसाइट पर भी सूचना
कई युवाओं को जालसाजी का शिकार होता देख आइवीआरआइ के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने फरवरी 2019 में इज्जतनगर थाने में अज्ञात ठगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। वहीं, आइवीआरआइ की वेबसाइट पर भी सूचना अपलोड की। इसमें साफ जिक्र है कि आइवीआरआइ ने ऐसे नियुक्ति पत्र नहीं भेजे। किसी भी परीक्षा या परिणाम की जानकारी आइवीआरआइ की वेबसाइट पर अपलोड होती है।

आइवीआरआइ की ओर से मामले में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। पुलिस को केस सॉल्व करने के पर्याप्त साक्ष्य भी दिये जा चुके। हालांकि अभी सकारात्मक परिणाम नहीं आए हैं। युवाओं को चाहिए कि अगर कोई नियुक्ति पत्र मिले तो आइवीआरआइ की वेबसाइट पर जरूर चेक करें और दिए कॉन्टेक्ट नंबर से जानकारी पुख्ता करें। - डॉ.राजकुमार सिंह, निदेशक, आइवीआरआइ

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